दगा दे गए मेघ, अब अगस्त में ही बरसने की उम्मीद
दगा दे गए मेघ, अब अगस्त में ही बरसने की उम्मीद
डिजिटल डेस्क, नागपुर। तेज धूप और उमस ने ऐसा हाल कर दिया है कि दिन और रात दोनों बेचैनी में गुजारना पड़ रहा है। सावन के मौसम में पानी के लिए तरसना पड़ रहा है गर्मी और उमस ऐसी पड़ रही है कि पेड़ों को पानी देने की नौबत संभवत: पहली बार दिखाई दे रही है। दो दिन पहले बारिश होने की उम्मीद थी लेकिन दो दिन शाम को बौछारें देकर बादल आसमान से ही गायब हो गए। बौछारें भी ऐसी कि बरसते ही धरती फिर सूख गई। मौसम जानकारों के अनुसार, मानसूनी द्रोणिका के नीचे नहीं आने का खामियाजा विदर्भ को भुगतना पड़ रहा है। पश्चिम बंगाल, बिहार व झारखंड में यह सक्रिय है। छत्तीसगढ़ तक बौछारें आ रही हैं, लेकिन विदर्भ में सूखा पड़ा है।
बंगाल की खाड़ी में बन रहा कम दबाव का क्षेत्र भी पूर्ण विकसित होने के पहले ही बरस गया। इससे निकली कुछ नमी ने 18-19 जुलाई को शहर में कुछ बौछारें दीं। अब गुरुवार-शुक्रवार को कुछ बौछारें मिलीं तो ठीक, नहीं तो अगस्त तक इंतजार बढ़ जाएगा। सोमवार को सुबह से ही तीखी धूप व उमस ने लोगों को परेशान कर दिया। मंगलवार को सुबह से ही तीखी धूप ने लोगों को गर्मी का अहसास कराया। आसमान में दूर-दूर तक बादल नजर नहीं आ रहे। वर्षा के थमने से पारा फिर ऊपर चढ़ने लगा है।
ऐसा रहा तापमान
मौमस विभाग के अनुसार, सोमवार को अधिकतम तापमान 34.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से 3 डिग्री ऊपर रहा। न्यूनतम तापमान सामान्य से 1 डिग्री ऊपर 25.2 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया। आर्द्रता अधिकतम 79 तथा न्यूनतम 60 प्रतिशत रही। जो रात 8.30 बजे बढ़कर 83 प्रतिशत दर्ज की गई। मंगलवार को भी तापमान में बढ़ोत्तरी दिखाई दे रही है।
बारिश के नदारद होने से खेती-किसानी सबसे अधिक प्रभावित हुई है। खेतों में बोए गए बीज सूख रहे हैं। दो-चार दिन में बारिश नहीं हुई तो ये बीज बर्बाद हो जाएंगे। किसानों को अब सिर्फ ऊपर वाले से ही उम्मीद है और इसके लिए वे कई तरह के टोटके भी अपना रहे हैं।