205 करोड़ की मल्टी में दीवारों से रिस रहा पानी
कटनी 205 करोड़ की मल्टी में दीवारों से रिस रहा पानी
डिजिटल डेस्क, कटनी । प्रेमनगर में 205 करोड़ की लागत से सामूहिक प्रधानमंत्री आवास में सीपेज की समस्या से यहां के रहवासी परेशान हैं। हाल में हुई दो दिन की बारिश में ही दीवारों से पानी रिसने लगा। वहीं इस समस्या का निराकरण करने की बजाए कल्याण टोल प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर ने यह कहकर हाथ खड़े कर दिए हैं कि वे सामूहिक आवेदन नहीं नहीं लेंगे। जिसको व्यक्तिगत समस्या है, वह यहां पर आकर शिकायत दर्ज कराए। जिससे लोगों में आक्रोश पनप रहा है। दरअसल मल्टी पीएम आवास के नाम पर शहर में दो जगहों पर करोड़ों रुपए के प्रोजेक्ट को शासन ने मंजूरी दी। जिसमें झिंझरी प्रोजेक्ट की लागत करीब 121 करोड़ तो प्रेमनगर प्रोजेक्ट की लागत 205 करोड़ रुपए रही। झिंझरी में आवास के नाम पर अभी तक पिलर खड़े हैं, जबकि प्रेमनगर में मल्टी आवास का कार्य पूरा हो चुका है और यहां पर करीब 600 लोग निवासरत हैं। बाहर से तो यह परिसर चकाचक दिखाई देता है, लेकिन अंदर चारों तरफ बदहाली नजर आती है। पेयजल की परेशानी के साथ नालियां भी चोक है।
सभी ब्लाकों में समस्या
यहां पर 16 ब्लाक बनाए गए हैं। सभी में इसी तरह की समस्या व्याप्त है। रहवासियों को यह डर सता रहा है कि जीवन भर की पूंजी लगाकर वे यहां पर पक्का आवास लिए हैं। यदि इसी तरह से बरसात का पानी रिसता रहा तो जल्द ही मकान जर्जर हो जाएगा। इनके पास इतने रुपए भी नहीं हैं कि मकान खराब होने पर वे दूसरी जगह पर नए मकान का निर्माण कर सकें। अधिकारियों ने 2800 आवासों में गुणवत्ता का वादा किया था। एक वर्ष के अंदर ही पानी ने गुणवत्ता की पोल खोल दी है।
झूठा आश्वासन ही मिला
ब्लॉक नंबर 5 से लेकर 16 तक में निवासरत लोगों का कहना है कि सुधार के नाम पर उन्हें झूठा आश्वासन ही मिल रहा है। रामकली बर्मन, विजय कुमारी, सन्जू खटिक ने कहा कि यहां पर जरुर निर्माण कंपनी का दफ्तर खुला है, लेकिन दफ्तर के कर्मचारी और अधिकारी समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। जहां पर दो बिल्डिंग साथ में बनी है। वहां बीच में कच्चा भाग छोड़ दिया गया है। जिसके कारण गंदगी बनी रहती है।
इनका कहना है
प्रेमनगर मल्टी आवास में सुधार कार्य कराने की जिम्मेदारी निर्माण कंपनी की है। कंपनी को निर्देश दिए जाएंगे कि आवश्यक सुधार कार्य कराएं। जिससे की वहां के रहवासियों को परेशानी न हो।