ईवीएम-वीवीपैट रखने महंगे पड़ रहे गोदाम ,हाईकोर्ट ने दी शिफ्ट करने की अनुमति
ईवीएम-वीवीपैट रखने महंगे पड़ रहे गोदाम ,हाईकोर्ट ने दी शिफ्ट करने की अनुमति
डिजिटल डेस्क,नागपुर। निजी गोदामों से ईवीएम और वीवीपैट मशीनों को शिफ्ट करके सरकारी गोदामों में रखने की अर्जी को बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने स्वीकृत कर लिया है। अमरावती जिले में हुए लोकसभा चुनावों के बाद से ही चुनाव में इस्तेमाल की गई ईवीएम और वीवीपैट मशीनों को सील करके निजी गोदामों में रखा गया है, इसके लिए जरूरी सुरक्षा भी लगाई गई है। अब चुनाव के नतीजे जारी हुए काफी वक्त हो गया है, निजी गोदामों में ईवीएम और वीवीपैट मशीनें रखना राज्य सरकार को खासा महंगा पड़ रहा है।
ईवीएम और वीवीपैट रखने के लिए निजी गोदामों का करीब 3.50 लाख रुपए प्रति माह का किराया हो रहा है। जबकि अब सरकारी गोदामों में खासी जगह उपलब्ध है। सरकार के अनुसार उनके खुद के गोदामों में सीसीटीवी और अन्य जरूरी सुरक्षा व्यवस्था है। ऐसे में वे मशीनों को सरकारी गोदाम में शिफ्ट करना चाहते हैं। हाईकोर्ट ने स्थिति की गंभीरता देखते हुए सरकार की यह विनती मान्य की है। राज्य सरकार की ओर से मुख्य सरकारी वकील सुमंत देवपुजारी और सरकारी वकील नितीन पाटील कामकाज देख रहे थे।
नवनीत राणा को नोटिस जारी
हाईकोर्ट ने अमरावती की सांसद नवनीत राणा को नोटिस जारी किया है। उनके खिलाफ बहुजन वंचित आघाड़ी के नंदकुमार अंबाडकर ने याचिका दायर की है। जिसमें हाईकोर्ट से राणा की सदस्यता रद्द करने की प्रार्थना की है। याचिकाकर्ता के अनुसार अमरावती लोकसभा संघ अनुसूचित जाति के उम्मीदवार के लिए आरक्षित होने के बावजूद "लुहाणा" जाति की राणा ने यहां से चुनाव लड़ा। उनकी जीत से आरक्षित प्रवर्ग के उम्मीदवारों के हित बाधित हुए हैं। जबकि राणा के पिता का जाति प्रमाणपत्र मुंबई जाति पड़ताल समिति ने रद्द कर दिया है। याचिका में राणा पर प्रक्रिया के विरुद्ध जाकर चुनाव लड़ने और मतदाताओं को अपूर्ण जानकारी देकर चुनाव जीतने के आरोप लगाए गए हैं। याचिकाकर्ता की ओर से एड. संदीप चोपडे ने पक्ष रखा।