मेडिकल के स्टूडेंट्स के लिए एमबीबीएस के बाद "टू प्लस टू प्लान'
मेडिकल के स्टूडेंट्स के लिए एमबीबीएस के बाद "टू प्लस टू प्लान'
डिजिटल डेस्क, नागपुर। देश में हर साल लगभग 66 हजार स्टूडेंट्स एमबीबीएस करते हैं। इस क्षेत्र में पोस्ट ग्रेजुएशन के लिए पूरे देश में मात्र 20 हजार सीटें ही उपलब्ध हैं। जाहिर है कि बड़ी संख्या में एमबीबीएस करने वाले स्टूडेंट एमडी के लिए दाखिला नहीं ले पाते हैं। ऐसे स्टूडेंट्स के लिए ग्लोबल एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन ऑफ इंडियन ओरिजिन (जीएपीआईओ) ने विशेष योजना "टू प्लस टू प्लान" तैयार किया है।
जीएपीआईओ देश से बाहर भारतीय मूल के डॉक्टरों की अंतरराष्ट्रीय संस्था है। संस्था के अध्यक्ष डॉ. रमेश मेहता ने भास्कर से विशेष बातचीत के दौरान बताया कि इस योजना को शुरू करने के लिए नीति आयोग के साथ बातचीत हो चुकी है। योजना के तहत एमडी में दाखिला नहीं ले पाने वालों को संस्था की मदद से दो वर्ष तक विशेष मार्गदर्शन में यूके के मेडिकल कोर्स करने का अवसर मिलेगा। इस कोर्स को सफलता पूर्वक पूर्ण करने वालों को दो वर्ष यूके मेें काम करने का भी अवसर प्रदान किया जाएगा। यह योजना नागपुर में भी उपलब्ध होगी।
फैकल्टी के रूप में सेवा
डॉ. मेहता ने बताया कि विदेश में काम कर रहे भारतीय मूल के डॉक्टर देश में किसी न कियी रूप में योगदान देना चाहते हैं। भारतीय मेडिकल शिक्षा संस्थानों में फैकल्टी की कमी को देखते हुए संस्था इस क्षेत्र में मदद उपलब्ध कराना चाहती है। इसके लिए विदेश में काम करने वाले ऐसे डॉक्टर जो निकट भविष्य में सेवानिवृत्त होने वाले हैं या सेवानिवृत्त हो चुके हैं वे भारतीय मेडिकल कॉलेजों में शिक्षक के रूप में सेवा देंगे।
डॉक्टर-मरीज संबंध पर विचार की जरूरत
हाल के समय में देश के विभिन्न भागों में डॉक्टरों पर हुए हमलों की घटनाओं की निंदा करते हुए डाॅ. मेहता ने कहा कि समय आ गया है कि डॉक्टर और मरीज के संबंध पर गंभीरता से विचार किया जाए। उन्होंने कहा कि भारत में डॉक्टरों की भारी कमी है। अध्ययन बताते हैं कि शहरी क्षेत्रों में प्रति दो हजार लोगों पर एक डॉक्टर का अनुपात है जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह अनुपात और भी असंतुलित है। ऐसे में डॉक्टरों को भारी दबाव में काम करना पड़ता है। इसके साथ ही डॉक्टरों को प्रोफेशनल लीडरशिप का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि उन्हें मरीजों से व्यवहारात्मक कठिनाइयों से निपटने में मदद मिल सके।
रिसर्च की कमी
बिहार के मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार के कारण बड़ी संख्या में बच्चों की मौत के सवाल पर डॉ. मेहता का कहना है कि देश में रिसर्च के क्षेत्र में और काम किए जाने की जरूरत है। इस तरह की आपदाओं से निपटने के लिए समस्या को तत्काल समझने और उसके उपाय की तलाश की जरूरत होती है।