ऑक्सीजन सपोर्ट में इलाज चला पर निवाबूपा ने नहीं दिया क्लेम

अजीब तरह के तर्क देकर किया जा रहा पॉलिसी धारकों को परेशान ऑक्सीजन सपोर्ट में इलाज चला पर निवाबूपा ने नहीं दिया क्लेम

Bhaskar Hindi
Update: 2022-11-16 09:52 GMT
ऑक्सीजन सपोर्ट में इलाज चला पर निवाबूपा ने नहीं दिया क्लेम

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। पॉलिसी कराने के बाद भूल जाओ की आपको कैशलेस में इलाज कराने मिलेगा। बीमा कंपनी ने पॉलिसी देते समय जो वादे किए थेे वह पूरी तरह कोरे कागज की तरह साबित हुए। अस्पताल में भर्ती होते ही कैशलेस से इनकार कर दिया जाता है और अस्पताल का बिल भरने के बाद जब बीमा कंपनी में क्लेम किया जाता है तो बीमा कंपनी के क्लेम डिपार्टमेंट तथा उनके यहाँ पर पदस्थ चिकित्सक यह कहते हुए क्लेम रिजेक्ट करने में जुट जाते हैं कि आपको घर पर ही रहकर इलाज कराना था, अस्पताल में इलाज कराने की जरूरत नहीं थी। पॉलिसी धारकों का आरोप है कि कुछ भी तर्क देकर बीमा कंपनी का एक ही उद््देश्य है कि किसी भी तरह से क्लेम न देना पड़े। पीड़ित जिला प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों से कार्रवाई की लगातार माँग उठा रहे हैं पर अधिकारी चुप्पी साधे बैठे हुए हैं।

इन नंबरों पर बीमा से संबंधित समस्या बताएँ 
स्वास्थ्य बीमा से संबंधित किसी भी तरह की समस्या आपके साथ भी है तो आप दैनिक भास्कर मोबाइल नंबर - 9425324184, 9425357204 पर बात करके प्रमाण सहित अपनी बात दोपहर 2 से शाम 7 बजे तक रख सकते हैं। संकट की इस घड़ी में भास्कर द्वारा आपकी आवाज को खबर के माध्यम से उचित मंच तक पहुँचाने का प्रयास किया जाएगा।

6 माह की बच्ची हो गई थी निमोनिया की शिकार

इंदौर गिरनार सिटी निवासी सौरभ अग्रवाल ने शिकायत दी है कि उन्होंने निवाबूपा हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी से स्वास्थ्य बीमा कराया हुआ है। बेटी का भी बीमा है और वह निमोनिया की शिकार हो गई। उसे गंभीर अवस्था में निजी अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था। कैशलेस के लिए बीमा कंपनी में मेल किया गया तो बीमा अधिकारियों ने बिल सबमिट करने पर भुगतान देने का दावा किया।

पॉलिसी क्रमांक 31906521202201 में वे लगातार प्रीमियम जमा कर रहे हैं और बेटी का नाम पॉलिसी में जोड़ने के लिए पहले ही सूचित कर दिया था और बीमा अधिकारियों ने नाम जोड़ने का दावा करते हुए मेल भी किया पर क्लेम न देना पड़े इसके लिए जिम्मेदारों के द्वारा अनेक प्रकार की कमियाँ निकाली जा रही हैं। पहले क्लेम देने का दावा किया और बिल सबमिट करने के उपरांत निवाबूपा के अधिकारियों के द्वारा यह कहा जाने लगा की एक माह बाद ही हम इलाज के लिए कैशलेस करते हुए बिल पास करते हैं। पॉलिसी धारक के द्वारा अनेक साक्ष्य दिए गए पर बीमा अधिकारी गोलमाल कर मानसिक रूप से परेशान करने में लगे हुए हैं। बीमित का आरोप है कि उसके साथ बीमा कंपनी के द्वारा जालसाजी की गई है।

Tags:    

Similar News