दि ग्रेनेडियर्स रेजीमेंट में दिया जा रहा अग्निवीरों को प्रशिक्षण
पिता ने दिया बलिदान, अब हम भी देश रक्षा में लगाएँगे जी जान दि ग्रेनेडियर्स रेजीमेंट में दिया जा रहा अग्निवीरों को प्रशिक्षण
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। देश सेवा करने का जज्बा नौजवानों में भरपूर है। कोई अपने पिता की तरह देश के प्रति अपना कर्तव्य निभाने के लिए आतुर है, तो वहीं कोई सेना में शामिल होकर अपनी माँ का सपना पूरा कर रहा है। दि ग्रेनेडियर्स रेजीमेंट में भारतीय थल सेना में चयनित अग्निवीरों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। लगभग 31 सप्ताह तक चलने वाली इस ट्रेनिंग का नेतृत्व दि ग्रेनेडियल रेजीमेंट सेंटर जबलपुर मप्र के कमांडेंट ब्रिगेडियर राजीव चावला, विशिष्ट सेवा मेडल कर रहे हैं।
मीडिया से चर्चा के दौरान ब्रिगेडियर राजीव चावला ने बताया कि प्रशिक्षण टीम युवा अग्निवीराें को एक अनुशासित सैनिक के रूप में ढालने में लगी है, साथ ही उच्च तकनीक वाले ट्रेनिंग शेड, नई तकनीक और नवीनतम तकनीकों वाले उपकरणाें का प्रयोग किया जा रहा है। ट्रेनिंग के दौरान फिजियोथैरेपी सेंटर भी उपलब्ध है। वहीं स्विमिंग पूल भी बनाया गया है, जहाँ प्रशिक्षणार्थियों की मसल्स को मजबूत बनाने के लिए उन्हें पानी के बहाव के अपोजिट डारेक्शन में तैरना सिखाया जा रहा है।
मिलेगा विशेष प्रशिक्षण
ट्रेनिंग पीरियड के दौरान अग्निवीर कम से कम एक खेल, हॉबी या कौशल का विकास कर सकें। इसलिए अग्निवीरों के लिए एक कौशल और एक खेल की अवधारणा को अपनाया गया है। जिसमें कारपेंटर, इलेक्ट्रिशियन, वेल्डिंग, प्लम्बिंग क्लब बनाए गए हैं। जिसके माध्यम से सप्ताह में 3 दिन उसका भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है। ब्रिगेडियर राजेश मलिक ने कहा कि इसके जरिए अग्निवीरों को देश का एक अच्छा नागरिक और कुशल युवा बनने में मदद मिलेगी। प्रशिक्षण पूरा करने के बाद अग्निवीरों को ग्रेनेडियर्स रेजीमेंट की अलग-अलग बटालियनों में तैनात किया जाएगा। जहाँ उन्हें राष्ट्र की रक्षा करने का अवसर मिलेगा।
अग्निवीरों ने शेयर किए अपने अनुभव
अजमेर राजस्थान के अग्निवीर साहिल हुसैन ने बताया कि उनके पिता भी आर्मी का हिस्सा रहे। अपना कर्तव्य निभाते हुए वे शहीद हुए। जिसके बाद से उन्होंने स्वयं भी आर्मी में आने का सपना देखा। साहिल ने बताया कि अग्निवीर बनकर उनका और उनकी माँ का सपना पूरा हुआ है। वे पूरे जोश और उत्साह से ट्रेनिंग ले रहे हैं।
अग्निवीर रोहित कुमार बताते हैं कि वे सेना में शामिल होकर बहुत खुश हैं। उनके पिता भी आर्मी में थे, उन्होंने देश सेवा करते हुए अपना बलिदान दिया। पिता के नक्शे-कदम पर चलकर वे भी देश सेवा करना चाहते हैं। वे बताते हैं कि माँ ने बहुत परिश्रम करके उन्हें बड़ा किया है। ऐसे में सेना में शामिल होने से माँ का परिश्रम सफल हुआ।
उत्तरप्रदेश के अग्निवीर कमल सिंह बताते हैं कि उनके पिता किसान हैं। वे बचपन से ही एक अच्छा फौजी बनने का सपना देखते थे। जिसके लिए बहुत मेहनत भी की। इसके पहले भी एक सेना के लिए परीक्षा दी थी, जिसमें सफलता हासिल नहीं हुई। दोबारा फिर से प्रयास किया और अग्निवीर के लिए सिलेक्ट हो गया।