जंगली हाथियों से बचाने नवाचार, बाघ की दहाड़, मधुमक्खी की भिनभिनाहट की आवाज बनी सहारा
जंगली हाथियों से बचाने नवाचार, बाघ की दहाड़, मधुमक्खी की भिनभिनाहट की आवाज बनी सहारा
डिजिटल डेस्क, उमरिया। बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व में छह माह से जंगली हाथी के एक दल का मूवमेंट है। इस झुंड से ग्रामीणों तथा दूसरे वन्य प्राणियों को कोई खतरा न हो इसके लिए पार्क प्रबंधन द्वारा एक नवाचार किया गया है, जिसके सार्थक परिणाम भी सामने आए हैं। यहां झुण्डों पर नजर रखने अफ्रीकन स्टाइल में काम किया जा रहा है। बीटीआर प्रबंधन हाथी कॉफ (हाथी का बच्चा) वाले 2 समूह सहित 38 हाथियों की मानीटरिंग में बाघ व मधुक्खियों की आवाज साउण्ड का नवाचार कर रहा है। छह माह में इसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आए हैं। बांधवगढ़ में अभी तक हाथियों से कोई जनहानि की घटना नहीं हुई। गौरतलब है कि सीधी टाईगर रिजर्व में इनके आतंक से प्रदेश सरकार खासी परेशान रही है।
ये है सुरक्षा तंत्र का पूरा सिस्टम
बांधवगढ़ के अलग-अलग हिस्सों में छोटे बड़े 38 हाथी जंगलों में घूम रहे हैं। चूंकि इनके दल में नए हाथी कॉफ(हाथी का बच्चा) भी हैं। इसलिए वे अक्सर बाघ से सामना करने से बचते हैं। इसके अलावा सर्वविदित है कि वे मधुमक्खियों से ये हमेशा दूर रहते हैं। नवाचार के तहत पार्क प्रबंधन ने इन्हीं दोनों जीवों की आवाज को पैनड्राइव में स्टोर किया है। सुरक्षा में लगे पेट्रोलिंग वाहन, कैम्प, कर्मियों के साथ ही चुनिंदा लोगों को भी साउण्ड सिस्टम दिया गया है। जैसे ही हाथियों का झुण्ड गांव व आबादी की तरफ बढ़ता है। ये लोग तेज ध्वनि में इसे बजा देते हैं और झुण्ड वापस जंगल लौट जाता है। बता दें कि हाथी में सूघने व श्रावण शक्ति अन्य जानवरों की तुलना में तेज होती है। 16 एचजेड से 12,000 एचजेड की आवाज भी ये दूर से सुन लेते हैं।
इन पर दारोमदार, ग्रामीणों को रोजगार भी
टाईगर रिजर्व क्षेत्र में हाथियों की 24 घण्टे निगरानी होती है। इस साउण्ड सिस्टम को पेट्रोलिंग वाहन, पार्टी से लेकर जंगली कैम्प में भी विकसित किया जा चुका है। इसके अलावा वन क्षेत्रों से लगे ऐसे प्रभावित क्षेत्र में ग्रामीणों को भी जोड़ा गया है। खितौली, ताला व एक अन्य परिक्षेत्र में 10-10 ग्रामीणों को ढाई महीने के लिए सुरक्षा कार्यों लगाया जाएगा। ताकि इन्हें रोजगार देने के साथ ही वन्यजीवों की सुरक्षा के प्रति जागरुक किया जा सके।
इनका कहना है
बांधवगढ़ में ग्रामीणों को हाथियों के आतंक से बचाने पटाखे व मशालों का उपयोग होता था। यह नवाचार हम लोगों ने पेट्रोलिंग पार्टियों व कैम्पों में किया है। जागरुक ग्रामीणों को भी जोड़ रहे हैं। परिणाम भी सकारात्मक है। क्योंकि हमारे यहां हाथियों से कोई जनहानि दर्ज नहीं हुई।
सिद्धार्थ गुप्ता, संयुक्त संचालक बांधवगढ़