एरियर्स और जीपीएफ राशि में की थी गड़बड़ी, कलेक्टर ने की कार्रवाई

घोटाले के आरोप में लिपिक निलंबित एरियर्स और जीपीएफ राशि में की थी गड़बड़ी, कलेक्टर ने की कार्रवाई

Bhaskar Hindi
Update: 2022-09-28 08:15 GMT
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डिजिटल डेस्क,कटनी। पशुपालन एवं डेयरी विभाग में एरियर्स और जीपीएफ की राशि में घोटाला उजागर
होने के बाद लिपिक आलोक चौरसिया को कलेक्टर ने  निलंबित करते हुए विभागीय जांच की अनुमति दे दी है। कलेक्टर कार्यालय से पत्र आने के बाद अन्य कर्मचारियों में भी चिंता की लकीरें दिखाई दे रही है। दरअसल यह घोटाला उक्त लिपिक अधिकारियों को अंधेरे में रखकर किया था। विभाग में पदस्थ पांच कर्मचारियों के एरियर्स राशि 8 लाख 60 हजार को कोषालय के माध्यम से लिपिक अपने व्यक्तिगत खाते में जमा करा लिया था। इसकी भनक अधिकारियों को तब लगी,जब कर्मचारियों ने खातें में एरियर्स और जीपीएफ राशि नहीं आने की शिकायत अधिकारियों से की थी।  निलंबन अवधि में जीवन निर्वाह की पात्रता होगी और मुख्यालय कृत्रिम गर्भाधान केंद्र स्लीमनाबाद नियत किया गया है।

एफआईआर में देरी कर रही पुलिस विभाग के उपसंचालक के लिखित आवेदन देन के बाद भी दोषी लिपिक पर माधवनगर पुलिस अभी तक कानूनी कार्यवाही नहीं की है। जिसके बाद पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाए जा रहे हैं। इसके पहले भी 8 करोड़ रुपए के धान घोटाले में देरी से मामला कायम करने पर पुलिस की जमकर किरकिरी हुई थी। इस बार भी लिपिक को बचाने का काम खाकी कर रही है। मामला कायम करने की बात तो दूर अभी तक इस मामले की जांच भी पुलिस ने शुरु नही की है।

यह रहा पूरा मामला

आलोक चौरसिया द्वारा 2 कर्मचारियों के स्वत्वों की राशि उपसंचालक पशु चिकित्सा एवं आहरण संवितरण अधिकारी डॉ.आर.के सिंह का फर्जी हस्ताक्षर कर जालसाजी से 7 लाख 73 हजार 903 रूपए और तीन अन्य कर्मचारियों की राशि 86 हजार 437 रूपए अपने व्यक्तिगत खाते में जमा कर लिया।  इस प्रकार दोनों राशियों को मिलाकर 8 लाख 60 हजार 340 की अनियमितता किया जाना पाया गया। दोषी लिपिक 17 सितंबर से बिना किसी सूचना के कार्यालय में अनुपस्थित हैं।

इनका कहना है

लिपिक आलोक चौरसिया को कलेक्टर ने निलंबित कर दिया है। विभागीय जांच भी शुरु कर दी गई है, फिलहाल उक्त लिपिक कार्यालय नहीं आ रहा है। पुलिस को एफआईआर के लिए पत्र चार दिन पहले ही लिख दिया गया था। जांच में पुलिस अब जो दस्तावेज मांगेगी। वे दस्तावेज पुलिस को उपलब्ध कराए जाएंगे।
-आर.के.सिंह, उपसंचालक पशु चिकित्सा विभाग कटनी

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