करंट लगाकर किया गया था बाघिन का शिकार - दो किमी. दूर ठिकाने लगाया था शव
मानपुर की 14 वर्षीय बनबेही बाघिन के शिकार में शामिल तीन आरोपी पकड़ाए करंट लगाकर किया गया था बाघिन का शिकार - दो किमी. दूर ठिकाने लगाया था शव
डिजिटल डेस्क उमरिया । बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व प्रबंधन को बीती रात बाघ के शिकार मामले में बड़ी सफलता हाथ लगी है। दो हफ्ते बाद वारदात में शामिल तीन आरोपी पकड़े गए हैं। पूछताछ में खुलासा हुआ कि बनबेही बाघिन (टी-32) को करंट लगाकर मौत के घाट उतारा गया था। कार्रवाई से बचने मृत बाघिन की लाश दो किमी. दूर आरोपियों ने कुएं में पत्थर बांधकर फेंक दिया। वन विभाग की टीम को घटना की भनक लगी। पूछताछ के दौरान आरोपियों को हिरासत में लेकर कड़ी पूछताछ हुई। साथ ही वारदात में शामिल शिकार सामग्री को जब्त करने दबिश दी जा रही है। आरोपियों के नाम कछौहा मानपुर निवासी शिवकुमार बैगा, कैलाश बैगा तथा बाबूलाल बैगा बताए गए हैं। वन विभाग का कहना है प्रकरण की विवेचना अभी जारी है। आरोपियों की सूची और बढ़ सकती है। बता देंगे हाई प्रोफाइल शिकार के मामले में टाइगर रिजर्व प्रबंधन के ऊपर बेहद दबाव था। हालात भी विपरीत थे। क्योंकि 27 अगस्त को घटना के दिन तेज बारिश हुई थी। स्थल पर कोई खास पगमार्ग व साक्ष्य नहीं मिले थे। ईधर डॉग स्क्वॉड के हाथ भी खाली थे। दूसरी तरफ बाघिन का शव कुएं के भीतर रहने के कारण खराब हो चुका था। चुनौतीपूर्ण कार्य में वन विभाग ने मुखबिरों को सक्रिय। प्राप्त इनपुट के आधार पर संदेहियों की तलाश प्रारंभ की। आखिरकार कछौहा गांव में आरोपियों का पता चला। संदेह के आधार पर पकड़ते ही पूछताछ में राज खुला।
रात 9.00 बजे हो गया था शिकार, नहीं लगी भनक
टाइगर रिजर्व प्रबंधन आरोपियों ने वारदात को मानपुर रेंज की कटुलहाई हार व जमुदाहार के जंगल में अंजाम दिया था। 27 अगस्त की रात इन्होंने जंगल के नजदीक खेत में वन्य प्राणी के शिकार के लिए करंट का जाल बिछाया। खूंटी में तार फैला कर चारों तरफ बिजली दौड़ा दी। जैसे ही बाघिन वहां पहुंची तार के संपर्क में आते ही तेज झटका लगने पर बेसुध हो गई। करीब 2 घंटे बाद आरोपी बाघिन के नजदीक पहुंचे। मौत की पुष्टि होने के बाद इन्होंने लाश को छुपाने का प्लान बनाया। हैरत की बात है यह घटना गश्तीदल के साथ ही ग्रामीणों को नहंी पता चली।
नौ शावकों को जन्मा था बाघिन ने
टाईगर रिजर्व प्रबंधन ने बाघिन टी-32 की मानपुर बफर के साथ ही ताला रेंज में इसकी टैरेटरी थी। बाघिन का जन्म 2007 में हुआ था। बेनबेही व आमानाला वाली बाघिन इसका स्थानीय व टी-32 इसका अधिकृत नाम था। पहली बार यह 2011 में मां बनी। तीन शावक (टी-33,टी46 व 1 अन्य) को जन्मी। इनका पिता टी-63 था। दूसरी बार साल 2013 में फिर इसने चार शावकों को जन्मा था। हालांकि आपसी लड़ाई व भूख के चलते वे सभी मर गए। तीसरी बार वह फिर 2015 में मां बनी। इस बार दो शावकों को जन्मा था।