13 माह से रिक्त है पुलिस के वैज्ञानिक अधिकारी का पद
सतना 13 माह से रिक्त है पुलिस के वैज्ञानिक अधिकारी का पद
डिजिटल डेस्क सतना। पुलिस महकमे का अहम अंग माने जाने वाले एफएसएल (फॉरेंसिक साइंस लैब) यूनिट में अधिकारियों और कर्मचारियों के पद लंबे समय से रिक्त पड़े हैं, 13 माह से वैज्ञानिक अधिकारी नहीं हैं, जिसके चलते किसी भी घटना से जुड़े वैज्ञानिक साक्ष्य एकत्र करने, आवश्यक सलाह प्रदान करने, बिसरा प्रिजर्व कर फॉरेंसिक लैब में जांच के लिए भेजने की कार्रवाई प्रभावित हो रही है। रीवा रेंज के चार जिलों में सिर्फ रीवा के पास वरिष्ठ पुलिस वैज्ञानिक अधिकारी डॉ. आरपी शुक्ला की सेवाएं उपलब्ध हैं, मगर वह भी रिटायरमेंट की
कगार पर हैं। एक अकेले अधिकारी पर रीवा के साथ ही सतना, सीधी और सिंगरौली की भी जिम्मेदारी है। विशाल कार्य क्षेत्र और वर्कलोड के कारण अक्सर जिले में होने वाली बड़ी घटनाओं की जांच में सहयोग के लिए डॉ. शुक्ला अपनी टीम के साथ समय पर उपस्थित नहीं हो पाते हैं।
पहले दिया इस्तीफा, अब वापसी की कोशिश —-
जिले के वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी डॉ. जेएस यादव जुलाई 2017 में रिटायर हो गए थे, मगर तब के एसपी राजेश हिंगणकर ने कुछ समय तक उन्हें विभाग से जोड़े रखा था। वर्ष 2018 में डॉ. महेन्द्र सिंह पटेल ने पन्ना से ट्रांसफर पर सतना आकर जिम्मेदारी संभाल ली थी, लेकिन ढाई साल तक सेवाएं देने के बाद डॉ. सिंह ने उच्च शिक्षा विभाग में सहायक प्राध्यापक के लिए चयन हो जाने पर २७ नवंबर २०२० को नौकरी से इस्तीफा दे दिया था, तभी से यह पद रिक्त चल रहा है।
दो पुलिसकर्मियों के भरोसे एफएसएल यूनिट——
जिला पुलिस की सीन ऑफ क्राइम यूनिट में ७ पद स्वीकृत हैं, जिनमें वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी के साथ ही वैज्ञानिक अधिकारी, क्लर्क, फोटोग्राफर और वाहन चालक के एक-एक पद स्वीकृत हैं। वहीं लैब टेक्निशियन के दो पद स्वीकृत हैं, मगर वर्तमान स्थितियों में पुलिस लाइन से कार्यवाहक प्रधान आरक्षक अनिल विश्वकर्मा को यहां पदस्थ किया गया है, जो क्लर्क की जिम्मेदारी निभा रहे हैं, जबकि फोटोग्राफर की भूमिका आरक्षक मुकेश यादव के कंधों पर है। २६ थानों और १६ चौकियों वाले जिले की फॉरेंसिक यूनिट इन्हीं दोनों के भरोसे चल रही है।
लगाने पड़ते हैं रीवा के चक्कर——
कोई भी घटना घटित होने पर रीवा से डॉ. आरपी शुक्ला को बुलाना पड़ता है, तो प्रयोगशाला में जांच के लिए कुछ भी भेजने से पहले उनकी राय लेने अथवा दस्तावेजों में दस्तखत कराने के लिए रीवा तक दौडऩा पड़ता है। बताया गया कि प्रदेश भर में १६ अधिकारी फॉरेंसिक विभाग की सेवाओं को छोड़कर उच्च शिक्षा विभाग से जुड़ गए हैं, तो कई अधिकारियों की ड्यूटी फॉरेसिंक लैब सागर, ग्वालियर और भोपाल में लगा दी गई है।