खेत अब खुद ले सकेगा पानी, कृषि विभाग ला रहा है अनोखी तकनीक- जानिए इसकी खूबी
खेत अब खुद ले सकेगा पानी, कृषि विभाग ला रहा है अनोखी तकनीक- जानिए इसकी खूबी
डिजिटल डेस्क, नागपुर। अब खेतों में किसानों को पानी देने की जरूरत नहीं पड़ेगी। खेत अपनी जरूरत के अनुसार पानी ले सकेगा। कोटा पूरा होने पर खुद ब खुद पानी बंद भी हो जाएगा। कृषि विभाग ऐसी तकनीक बनाने में जुटा है। जिसके लिए वह जल्द ही मुंबई के कृषि समिति को इसका लेखा-जोखा भेजने की तैयारी में है। इसके बाद किसानों की मदद के लिए इस तरह की तकनीक सामने आ सकेगी। इससे एक ओर किसानों की मेहनत बचेगी, वहीं दूसरी ओर बिजली से आंखमिचौनी की नौबत भी नहीं आयेगी ।
वर्तमान स्थिति में कृषि आधुनिक होते जा रही है। जिसके कारण कई किसान अपने खेतों में पानी देने के लिए पंप का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन अभी-भी कई छोटे गांव ऐसे है, जहां कई घंटों तक बिजली गुल रहती है। ऐसे में खेती को पानी देने की जरूरत पड़ने पर किसानों को संघर्ष करना पड़ता है। दिन में बिजली गुल रहने से कई किसानों को रात में खेत में पानी देने की नौबत आ जाती है। बहुत ज्यादा अंधेरा रहने से किसान रात में खेती में पानी नहीं दे सकता वन्यजीवों का भी खतरा रहता है।
ऐसे में कई किसानों की खेती बर्बाद हो रही है। लेकिन अब इन्हें इस परेशानी से निजात मिलने की उम्मीद है। हाल ही में नागपुर कृषि विद्यापीठ इस दिशा में काम कर एक ऐसी तकनीक बनाने की तैयारी में है। जिसमें कृषि अपने जरूरत के अनुसार पानी ले सकेगी व जरूरत पूरी होने पर पानी बंद भी हो जाएगा। दरअसल यह सब एक सेंसर के माध्यम से हो सकेगा। पानी के पंप में सेंसर लगाकर मिट्टी से उसका तालमेल किया जाएगा। मिट्टी सूखने लगते ही मिट्टी पानी की मांग करेगी, वही सेंसर पंप को शुरू कर देगा। जरूरत पूरी होने पर सेंसर के माध्यम से ही पंप बंद किया जा सकेगा। इससे दिनभर बिजली गुल रहने के बाद भी रात भर शुरू रहनेवाली बिजली के कारण खेती को पानी दिया जा सकेगा।
किसे भेजा जाएगा प्रस्ताव
मुंबई में राजीव गांधी साइंस एंड टेक्नोलॉजी मिशन मुंबई सरकारी संस्था है। जो राज्य के कृषि विद्यापीठ की ओर से आनेवाली किसान हित की नई योजनाओं को साकार करती है। नागपुर कृषि विद्यापीठ की ओर से जल्दी इन्हें यह प्रस्ताव भेजा जाएगा।
कृषि परिसर में सोलर को बढ़ावा
विभाग की ओर से परिसर के सारे पथदीप सोलर पर निर्भर करने की जद्दोजहद भी की जा रही है। जिसके लिए ग्रीन एनर्जी कैंपस डेवलपमेंट एट कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर नामक प्रोजेक्ट तैयार कर उपरोक्त संस्था को भेजा गया है।