तेंदुआ भेडिय़ा मगरमच्छों के साथ अन्य वन्यजीवों की बढ़ती हुई संख्या जो कि जैव विविधता के लिए विख्यात है अभ्यारण्य नौरादेही
और बढ़ेगा बाघों का कुनबा -नौरादेही में बाघ-बाघिन का एक जोड़ा और लाने की तैयारी तेंदुआ भेडिय़ा मगरमच्छों के साथ अन्य वन्यजीवों की बढ़ती हुई संख्या जो कि जैव विविधता के लिए विख्यात है अभ्यारण्य नौरादेही
डिजिटल डेस्क तेन्दूखेड़ा दमोह । तीन जिलों में फैली और क्षेत्रफल के हिसाब से प्रदेश की सबसे बड़ी सेंचुरी नौरादेही अभ्यारण्य में बाघ-बाघिन का एक और जोड़ा लाने की तैयारी चल रही है। वाइल्ड लाइफ से जुड़े विशेषज्ञों ने बायो डायवर्सिटी (जैव विविधता) के लिए यहां बाघ-बाघिन को लाने की आवश्यकता जताई है। गौरतलब है कि दो साल पहले बाघिन राधा ने तीन शावकों को जन्म दिया था। ये तीनों युवा हो गए हैं। खुद शिकार करने लगे हैं। इनमें एक नर व दो मादा हैं। तीनों अब बाघिन राधा से दूरी बनाने लगे हैं। नौरादेही में बाघ शिफ्टिंग प्रोजेक्ट सफल होने के बाद यहां एक और जोड़ा लाने की अफसरों ने तैयारी शुरू कर दी है। सागर नौरादेही से इसका प्रस्ताव तैयार हो रहा है। अभी यह तय नहीं हुआ कि बाघ-बाघिन किस अभयारण्य से लाए जाएंगे। इसके पहले बांधवगढ़ से एक और बाघिन लाने की तैयारी थी, लेकिन यह प्रस्ताव आगे नहीं बढ़ा था।
भेडिय़ों के लिए प्रसिद्ध नौरादेही में सफल हुआ बाघ शिफ्टिंग प्रोजेक्ट
भेडिय़ों के प्राकृतिक वास के लिए प्रसिद्ध नौरादेही अभयारण्य में बाघों की दहाड़ गूंजने लगी है। मप्र के पन्ना टाइगर रिजर्व के बाद नौरादेही दूसरा सेंचुरी है, जहां बाघ शिफ्टिंग प्रोजेक्ट सफल रहा। अप्रैल 2018 में यहां कान्हा से बाघिन एन 1 लाई गई थी। जिसे राधा नाम दिया गया। राधा के नौरादेही अभ्यारण्य में रमने के बाद यहां बांधवगढ़ से बाघ एन-2 बाघा लाया गया। जिसे किशन नाम दिया गया। मई 2019 में राधा ने तीन शावकों को जन्म दिया। इस तरह तीन साल में अभयारण्य में बाघों में का कुनबा बढ़कर 2 से पांच पर पहुंच गया। नौरादेही अभयारण्य सागर, दमोह नरसिंहपुर तथा कुछ हिस्सा जबलपुर जिले में भी आता है जो कि 1200 वर्ग किमी भू-भाग में फैला हुआ है जहां बाघ बाघिन और तीनों शावकों को भी अभ्यारण्य काफी पसंद आ रहा है जहां तीनों शावक एक साथ घूमते हुए देखे जा चुके हैं
अभ्यारण्य में तेंदुआ की संख्या बढऩे से मिला लैपर्ड स्टेट का दर्जा
अभ्यारण्य में दो बाघों से 5 बढ़ती संख्या के बाद तेंदुआ की संख्या में भी बढोत्तरी हुई है अभ्यारण्य में तेंदुओं की संख्या लगातार बढ़ी रही है पिछले एक दशक में इनकी संख्या लगभग दोगुनी हो गई है जहां वर्ष 2010-11में 10 से 12तेंदुए ही अभ्यारण्य में दिखाई देते थे लेकिन अब 20से 25 बताई जा रही है और अभ्यारण्य अन्य जीवों की तरह तेंदुओं का भी बसेरा बन चुका है
जैव विविधता के लिए विख्यात नौरादेही
प्रदेश के तीन जिले की सीमा में फैले हुए व सबसे बड़े नौरादेही अभ्यारण्य में वन्यजीव ही नहीं दुर्लभ प्रजाति के पक्षियों के लिए जाना जाता है यहां सैलानी वर्ड वॉचिंग के लिए भी आते हैं फरवरी 2020 में हुए बर्ड वॉचिंग सर्वे में गिद्ध की विलुप्त होती 5 प्रजातियां पाई गई थी वहीं 162प्रजाति की चिडिय़ा भी देखी गई थी इसी तरह मार्च माह में हुई मगरमच्छों की गणना की गई थी जिसमें 14 जलाशय में 214 मगरमच्छ मिले थे वहीं यहां पर बाघ बाघिन और तीन शावकों के साथ बढ़ता कुनवा और भबिष्य में अफ्रीकन चीतों के आने की उम्मीद लगी हुई है जिससे कि बुंदेलखंड का सबसे बड़ा पर्यटन स्थल बनने की संभावना है