मौत के डेढ़ साल बाद किसान के क्रेडिट कार्ड से निकल गई रकम, जानिए कैसे

मौत के डेढ़ साल बाद किसान के क्रेडिट कार्ड से निकल गई रकम, जानिए कैसे

Bhaskar Hindi
Update: 2017-08-20 17:06 GMT
मौत के डेढ़ साल बाद किसान के क्रेडिट कार्ड से निकल गई रकम, जानिए कैसे

डिजिटल डेस्क, टीकमगढ़। मनरेगा में जिस तरह मृत लोगों के नाम पर फर्जी मस्टररोल के जरिए राशि निकालने के मामले सामने आते रहे हैं, ठीक ऐसे ही मामले अब ग्रामीण क्षेत्र से जुड़े बैंकों में भी देखने को मिल रहे हैं। जहां डेढ़ साल पहले दम तोड़ चुके व्यक्ति के किसान क्रेडिट कार्ड से राशि निकाली गई और फिर हंगामा मचने पर आनन-फानन में डेढ़-दो महीने बाद इसे जमा कराया गया। संबंधित बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों तक भी शिकायत पहुंची है, फिर भी बैंक शाखा और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो रही है।

मोहनगढ़ में स्थित मध्यांचल ग्रामीण बैंक शाखा में केशवगढ़ के एक किसान का किसान क्रेडिट कार्ड बना था। किसान का नाम दिल्ले है। जिसका बैंक खाता नंबर 80007845366 है। 1 लाख 92 हजार की राशि का यह किसान Credit Card बनवाया गया, जिसमें से किसान द्वारा राशि निकाली गई, लेन-देन चलता रहा। इसी बीच नवम्बर 2015 में किसान दिल्ले यादव की मृत्यु हो गई। मृत्यु के बाद इसकी जानकारी शाखा प्रबंधक के पास पहुंची और फिर यहां से किसान क्रेडिट कार्ड में मौजूद राशि जो किसान द्वारा निकाली नहीं गई थी, उसको निकालने और बंदरबांट करने का खेल शुरू हो गया। 6 जुलाई 2017 को इस खाते से 30 हजार रुपए की राशि निकाली गई, जबकि मृत किसान के किसान क्रेडिट कार्ड में से राशि आहरण करने का अधिकार नहीं होता है। बकाया राशि किसान के परिजन जमा कर चुके हैं। निकली 30 हजार राशि की बैंक प्रबंधन, एजेंट या अन्य व्यक्तियों के बीच बंदरबांट के रूप में चली गई। मृत किसान के परिजनों को मालूम चला तो वह घबराए।

परिजनों ने बैंक प्रबंधन से सच्चाई जानने की कोशिश की तब इन्हें डराया धमकाया गया। किसी तरह मामले को शांत कराने की कोशिश हुई ओर जब मामला थमता नहीं दिखा, तब रहीश यादव नामक व्यक्ति के द्वारा उक्त खाते में 30 हजार की राशि 11 अगस्त 2017 को जमा करा दी गई। बैंक शाखा से लेकर गांव तक इस गड़बड़ी की खबर से अफरा-तफरी मच गई। शिकायत मध्यांचल ग्रामीण बैंक शाखा की मुख्य शाखा टीकमगढ़ में भी पहुंची। सूत्र बताते हैं कि जिला मुख्यालय की शाखा में बैंक के अधिकारियों ने इस मामले में रुचि नहीं दिखाई और शिकायत को ठंडे बस्ते में डाल दिया, जिसको लेकर तरह-तरह की चर्चाएं व्याप्त है। जबकि जिला मुख्यालय पर क्षेत्रीय प्रबंधक को इसकी जानकारी नहीं दी गई।

मोहनगढ़ स्थित मध्यांचल ग्रामीण बैंक शाखा के प्रबंधक आरबी खरे की भूमिका संदिग्ध होने पर मामला अभी भी गरमाया है। मृत किसान के पुत्र का नाम भी रहीश यादव बताया गया है। एक गांव का रहीश यादव नामक व्यक्ति बैंक से एजेंट का काम करता है। नाम का मेल होने की वजह से बैंक प्रबंधन ने कहीं न कहीं घालमेल करने की कोशिश की है। मृत किसान के परिजन इस बात को लेकर संशय में हैं कि अब वह शिकायत करना नहीं चाहते क्योंकि मृत दिल्ले यादव के नाम के खाते में राशि जमा हो गई है। बैंक प्रबंधन से उसे धमकी भी मिली है कि अगर उसने लिखित में पत्र नहीं दिया कि पैसा उसी ने निकाला और जमा किया है, तो उसे आगे इस खाते के जरिए नुकसान भुगतना पड़ेगा। लिहाजा मृत दिल्ले यादव के परिजनों ने बैंक प्रबंधन के इरादे देखते हुए मन बदला और शांत हो गए। बैंक शाखा से जिस व्यक्ति ने राशि मृत किसान के खाते से निकाली है उसके खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज होना चाहिए। यह नहीं माना जाना चाहिए कि किसी से भूल हुई है। अगर भूल मानकर बैंक में ऐसी ही गड़बड़ी होती रही तो इसके लिए कहीं न कहीं बैंक प्रबंधन ही दोषी माना जाएगा।

भूल हुई थी सुधार ली गई : प्रबंधक

मध्यांचल बैंक शाखा प्रबंधक आरबी खरे इस संबंध में कहते हैं कि हां यह बात सही है कि दिल्ले यादव के खाते से राशि आहरण हुई थी और जब मुझे इसकी जानकारी हुई, तब उन्होंने तत्काल कार्रवाई करने का मन बनाया, जिस पर मृतक किसान के परिजनों ने उक्त निकाली राशि जमा करा दी है। जिस कारण आगे कार्रवाई नहीं की गई। अब इस मामले में कहीं किसी को कोई शिकायत नहीं है।
 

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