मोतियाबिंद के आपरेशन का क्लेम नही दिया टाटा इंश्योरेंस कंपनी ने

जानबूझकर परेशान कर रहे बीमा अधिकारी मोतियाबिंद के आपरेशन का क्लेम नही दिया टाटा इंश्योरेंस कंपनी ने

Bhaskar Hindi
Update: 2022-05-06 12:52 GMT
मोतियाबिंद के आपरेशन का क्लेम नही दिया टाटा इंश्योरेंस कंपनी ने

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। परिवार के सदस्य के इलाज के लिए किसी तरह की दिक्कत न हो, इस उद्देश्य के साथ स्वास्थ्य बीमा हर व्यक्ति कराता हैं। परिवार के मुखिया को बाद में मालूम होता है कि ये बीमा कंपनियां उपचार के दौरान हाथ खड़े कर देगी। ऐसे ही दैनिक भास्कर के पास रोजाना शिकायतें आ रही। पीडि़तों के द्वारा बताया गया कि वे लगातार पॉलिसी रिन्यु कराते आ रहे हैं। पॉलिसी संचालित होनें के बाद भी बीमा कंपनी उनके इलाज के क्लेम को पास करने में आनाकानी कर रही हैं। पॉलिसी धारकों द्वारा इंश्योरेंस कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों तक को पत्र लिख चुके है पर उनके पत्रों का जवाब आज तक नही आया हैं। स्थानीय कार्यालय व एजेंट के द्वारा यहीं उन्हें जवाब मिल रहा है कि जल्द ही निर्णय होगा पर महीनों बीतने के बाद भी कुछ नही हुआ। स्वास्थ्य बीमा के बल पर पॉलिसीधारकों ने अपना इलाज तो करा लिया है पर वे अब अस्पताल का बिल चुकाने के लिए भटक रहे है। पीडि़तो का आरोप है कि बीमा कंपनी के अधिकारी आम लोगों के साथ धोखा कर रहे है। 

इन नंबरो पर बीमा से संबंधित ही समस्या बताए-  

इस तरह की समस्या यदि आपके साथ भी है तो आप दैनिक भास्कर, जबलपुर के मोबाइल नंबर -9425324184, 9425357204 पर बात करके प्रमाण सहित अपनी बात रख सकते हैं। संकट की इस घड़ी में भास्कर द्वारा आपकी आवाज को खबर के माध्यम से उचित मंच तक पहुँचाने का प्रयास किया जाएगा।

नियमों का हवाला देकर गुमराह किया जा रहा बीमित को-

शहडोल जिले के बुढ़ार निवासी श्रीमती प्रीति ताम्रकार ने अपनी शिकायत में बताया कि एक्सेस बैंक एकाउंट है। बैंक के माध्यम से ही टाटा इंश्योरेंस कंपनी से हेल्थ पॉलिसी ली थी। यह पॉलिसी बैंक वालो ने ही दी थी। आंख में दिक्कत होने पर उन्हें चित्रकूट जाना पड़ा। वहां पर चैकअप कराने पर मोतियाबिंद होने की जानकारी चिकित्सको के द्वारा दी गई। चिकित्सकों की सलाह पर उन्हें आपरेशन कराना पड़ा। पॉलिसी क्रमांक 0237868334 का कैशलेस कार्ड दिया तो बीमा कंपनी ने कैशलेस करने से इंकार करते हुए बिल सम्मेट करने पर भुगतान का दावा किया। प्रीति इलाज कराकर लौटी और सारे बिल व चिकित्सक की रिपोर्ट बीमा कंपनी में सम्मेट की तो वहां से अनेक प्रकार की कमियां निकाली गई। पॉलिसी धारक ने सारे बिलो को अस्पताल के माध्यम से भेजा पर उसमें अनेक खामियां निकाली दी और नियमों का हवाला देकर बीमित की फाईल को रिजेक्ट करते हुए नो क्लेम बीमा अधिकारियों ने कर दिया। पीडि़त ने जब पूछा तो बीमा अधिकारियों ने नियमों का हवाला देकर गुमराह कर दिया। वहीं बीमा कंपनी के आरएम वीरेन्द्र पांडे से इस संबंध में बात की गई तो उनका कहना था वेटिंग पीरियड के पूर्व ही आपरेशन करा लिया गया है और नियम के तहत हमारी कंपनी क्लेम नही देती है। आंख के इलाज के लिए दो साल बाद ही बीमा कंपनी कवर करती है।
 

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