वकीलों के हंगामे के बाद स्टार हेल्थ इंश्योरेंस ने लकवा के मरीज को दी कैशलेस की सुविधा

आरोप: निजी अस्पताल में इलाज के दौरान किया जा रहा था गोलमाल वकीलों के हंगामे के बाद स्टार हेल्थ इंश्योरेंस ने लकवा के मरीज को दी कैशलेस की सुविधा

Bhaskar Hindi
Update: 2022-09-22 10:36 GMT
वकीलों के हंगामे के बाद स्टार हेल्थ इंश्योरेंस ने लकवा के मरीज को दी कैशलेस की सुविधा

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। स्टार हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी कार्यालय कटंगा में वकीलों ने जमकर हंगामा किया। यह स्थिति लकवा से ग्रसित अधिवक्ता को अस्पताल में कैशलेस नहीं किए जाने के कारण बनी। गंभीर रूप से बीमार वकील का दमोहनाका स्थित निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है और स्थिति नाजुक बनी हुई है। परिजनों के द्वारा पहले बीमा कंपनी से निवेदन किया गया था, पर बीमा अधिकारियों ने आम पॉलिसीधारकों की तरह गोलमाल करते हुए जवाब दिया और कैशलेस से इनकार कर दिया था। यह मामला जिले के अधिवक्ताओं तक पहुँचा तो वे पहले अस्पताल गए और अपने साथी की हालत को देखने के बाद बीमा कंपनी पहुँच गए। ब्रांच मैनेजर सहित अन्य अधिकारी वकीलों को ज्यादा देर तक गुमराह करने में सफल नहीं हो सके और कुछ देर बाद ही मरीज को कैशलेस की सुविधा प्रदान की।

इन नंबरों पर बीमा से संबंधित समस्या बताएँ 

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काम के दौरान लगा लकवा

शिकायत में बताया गया कि जय प्रकाश नगर निवासी अधिवक्ता (नोटरी) सुशीलकांत दुबे के द्वारा स्टार हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी से हेल्थ पॉलिसी कराई गई है। प्रतिवर्ष प्रीमियम भी जमा करते आ रहे हैं। बीमित श्री दुबे को सितम्बर 2022 को कार्य के दौरान लकवा लग गया था। उन्हें परिजनों के द्वारा दमोहनाका स्थित निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। पॉलिसी क्रमांक पी/201116/01/2023/004821 का कैशलेस कार्ड परिजनों ने अस्पताल में दिया तो पहले निजी अस्पताल के प्रबंधन के द्वारा पूरा इलाज का वादा किया गया और स्टार हेल्थ के ऑफिस कैशलेस के लिए मेल किया गया तो बीमा अधिकारियों व क्लेम डिपार्टमेंट के लोगों ने कैशलेस से इनकार कर दिया। परिजनों के द्वारा बीमा अधिकारियों से संपर्क किया गया, पर बीमा अधिकारियों ने सही जवाब नहीं दिया और किसी भी तरह की सहायता से इनकार कर दिया। परेशान होकर परिजनों ने अधिवक्ताओं को जानकारी दी और समूह में पहुँचे वकीलों ने अस्पताल प्रबंधन से बात की और उसके बाद बीमा कार्यालय पहुँचकर कैशलेस नहीं किए जाने पर हंगामा किया तब जाकर बीमा अधिकारी कैशलेस सुविधा देने के लिए राजी हुए। अधिवक्ताओं का आरोप है कि बीमा कंपनी के द्वारा जानबूझकर पॉलिसीधारक को लाभ देने से इनकार किया जा रहा था।
 

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