स्टार हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी ने कहा अस्पताल में इलाज की जरूरत ही नहीं थी

बीमित का आरोप: हमारे साथ बीमा अधिकारियों के द्वारा किया गया गोलमाल स्टार हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी ने कहा अस्पताल में इलाज की जरूरत ही नहीं थी

Bhaskar Hindi
Update: 2022-10-28 11:30 GMT
स्टार हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी ने कहा अस्पताल में इलाज की जरूरत ही नहीं थी

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। कैसे हम पॉलिसी धारक को मानसिक तनाव दें और उसे चोर साबित कर सकें इसके लिए पूरी कार्य योजना बीमा कंपनियों में जिम्मेदार बनाकर बैठे हुए हैं। अस्पताल में भर्ती होते वक्त बीमा कंपनी कैशलेस से इनकार कर देती है और जब बीमित सारे तथ्यों के साथ क्लेम करता है तो अनेक तरह के गोलमाल जवाब दिए जाने लगते हैं। कभी नियमों का हवाला दिया जाने लगता है तो कभी कहा जाता है कि आपके दस्तावेजों में कई गलतियाँ हैं दोबारा सत्यापित कराकर जमा करने होंगे। जब बीमित सारे नियम बीमा कंपनी के सामने रखता है तो उक्त जानकारी अन्य मेल में सबमिट करने को कहा जाने लगता है। क्लेम डिपार्टमेंट, सर्वेयर टीम के साथ ही ब्रांच के अधिकारी द्वारा भी बीमा पॉलिसी धारकों को किसी तरह का साथ नहीं दिया जाता है। अपनी जमा पूँजी से हेल्थ बीमा कराने वाले आम लोग बीमा कंपनी के अधिकारियों की लापरवाही के कारण दर-दर भटकने मजबूर हैं।

इन नंबरों पर बीमा से संबंधित समस्या बताएँ 

स्वास्थ्य बीमा से संबंधित किसी भी तरह की समस्या आपके साथ भी है तो आप दैनिक भास्कर मोबाइल नंबर -9425324184, 9425357204 पर बात करके प्रमाण सहित अपनी बात दोपहर 2 से शाम 7 बजे तक रख सकते हैं। संकट की इस घड़ी में भास्कर द्वारा आपकी आवाज को खबर के माध्यम से उचित मंच तक पहुँचाने का प्रयास किया जाएगा।

कोरोना से ग्रसित होने के कारण कराया था पत्नी का इलाज

गुरुग्राम हरियाणा निवासी अखिलेश शर्मा ने अपनी शिकायत में बताया कि उन्होंने स्टार हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी से स्वास्थ्य बीमा कराया था। पॉलिसी क्रमांक पी/161117/01/2022/010864 का कैशलेस कार्ड भी बीमा कंपनी ने उपलब्ध कराया था। जनवरी 2022 में अचानक पत्नी श्रीमती साधना देवी की तबियत खराब हो गई थी। चैक कराने पर खुलासा हुआ कि कोरोना से ग्रसित है और ऑक्सीजन भी कम हो गया था। उन्हें गंभीर अवस्था में निजी अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था। वहाँ इलाज के दौरान बीमा कंपनी में कैशलेस के लिए मेल किया तो क्लेम डिपार्टमेंट ने बिल सबमिट करने पर सारा भुगतान करने का दावा किया। पत्नी के ठीक होने के बाद बीमा कंपनी में सारे बिल व अनेक जाँच रिपोर्ट्स ऑनलाइन व ऑफलाइन सबमिट की गईं तो बीमा अधिकारियों ने उनमें अनेक प्रकार की गलतियाँ निकालीं। बीमित ने अस्पताल से दोबारा सत्यापित कराकर सारे दस्तावेज बीमा कंपनी में भेजे तो जल्द प्रकरण का निराकरण करने की जानकारी दी, पर महीनों बीत जाने के बाद भी बीमा अधिकारियों ने किसी भी तरह का सहयोग नहीं दिया और बीमा क्लेम रिजेक्ट कर दिया। बीमित को जवाब दिया गया कि आपको अस्पताल में इलाज की जरूरत ही नहीं थी बल्कि घर पर रहकर इलाज कराना था। पीड़ित का आरोप है कि अस्पताल के डॉक्टरों से बढ़कर बीमा कंपनी के अधिकारी हो गए हैं जो अस्पताल में भर्ती होने या नहीं होने का निर्णय करने लगे हैं।
 

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