इक्कीसवीं सदी के श्रवण कुमार, मां को स्कूटर पर लेकर निकले

सिवनी इक्कीसवीं सदी के श्रवण कुमार, मां को स्कूटर पर लेकर निकले

Bhaskar Hindi
Update: 2023-03-28 07:46 GMT
इक्कीसवीं सदी के श्रवण कुमार, मां को स्कूटर पर लेकर निकले

डिजिटल डेस्क,सिवनी। मिलिए डॉ. दक्षिणामूर्ति कृष्ण कुमार से। ये मानो इक्कीसवी सदी के श्रवण कुमार हों। अपने पिता की पुरानी स्कूटर पर मां को भारत दर्शन के अलावा अन्य देश की सीमाओं पर घुमाने फिराने निकले हैं। उनका मकसद है वे सभी प्रसिद्ध मंदिरों और तीर्थ स्थल पर अपनी मां को लेकर जाएं। अभी तक वे 66057 किमी का सफर स्कूटर से कर चुके हैं। रविवार शाम को सिवनी पहुंचे डॉ कुमार ने कई जानकारियां साझा की। कर्नाटक के मैसूर स्थित वोगादी निवासी 42 वर्षीय डॉ कुमार और उनकी 73 वर्षीय मां चूड़ारत्नम्मा के इस सफर की कहानी सुनकर हर कोई अचंभित हो रहा है।

मां का दर्द समझा तो निकला सफर पर

कंप्यूटर साइंस पढ़े डॉ कुमार ने बताया कि एक दिन उन्होंने अपनी मां से पूछा कि वे किसी मंदिर में दर्शन के लिए गई थी क्या? तब मां ने बताया कि वे तो अपने घर के पास का भी मंदिर नहीं गई। तब से उन्होंने ठाना कि वे भारत के सभी मंदिरों के दर्शन कराने मां को साथ लेकर जाएंगे। मां को पहले पूछा तो वह पहले इंकार करती रही लेकिन बाद में बेटे की जिद और उसके प्रेम भाव देखते हुए वह स्कूटर पर बैठकर भारत दर्शन करने के लिए राजी हुई।

पांच साल से जारी है सफर

डॉ कुमार के अनुसार उनके पिता का निधन होने के बाद परिवार में दुख का पहाड़ टूट गया था। ऐसे में पिताजी की याद अपने साथ रखने के लिए उनका पुराना स्कूटर को ठीक कर वे मां को साथ लेकर मैसूर से 16 जनवरी 2018 को सफर पर निकले। अभी तक वे केरल, तमिलनाडू, कर्नाटक,पांडिचेरी, गोवा, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, कन्याकुमारी ओर अन्य राज्यों में जा चुके हैं। उन्होंने बताया कि माता पिता बोलने वाले भगवान हैं। वे हमारे साथ रहते हैं। उनकी सेवा ही सबसे बड़ी सेवा है और मां से बढ़कर कोई नहीं।
 

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