फर्जी कागजों से हड़पी 50 करोड़ की जमीन
घोटाला फर्जी कागजों से हड़पी 50 करोड़ की जमीन
डिजिटल डेस्क, नागपुर। सरकार के पास जा चुकी सीलिंग की जमीन पर फर्जी कागजों के आधार पर 50 करोड़ से अधिक की संपत्ति बना ली। इन कागजों को बनाने से लेकर इस पर प्लाॅट काटने और उसे बेचने में कई तरह के नियमों की अनदेखी हुई। इसमें प्रशासन से लेकर पुलिस तक के कुछ अधिकारी शामिल हैं। उक्त कागजों को बनाने के लिए कहीं मृत व्यक्तियों के नाम का उपयोग किया गया, तो कहीं संपत्तिधारकों के फर्जी हस्ताक्षर बनाए गए। इसके कुछ कागजात जब सामने आए तो पूरे मामले का खुलासा हुआ। दूसरी तरफ बिल्डर का आरोप है कि संबंधित परिवार के एक सदस्य द्वारा पूरे मामले को दबाने के बदले 10 करोड़ की मांग की गई। जब डील नहीं हो पाई, तो मामले की शिकायत पुलिस से लेकर प्रशासन तक पहुंची। हालांकि इसके पहले भी इसी मामले में बिल्डर ने खिलाफ पुलिस में शिकायत की गई थी, जिसे अपने रसूख के दम पर दबा दिया गया। पुलिस को पहुंची शिकायत के आधार पर ऐसे हुआ घोटाला।
पूरे मामले में एक और फर्जीवाड़ा सामने आया है। सरकारी कार्यालय और एक निजी बैंक में अलग-अलग पॉवर ऑफ अटाॅर्नी लगी हुई है, जबकि पूरे मामले में एक ही पॉवर ऑफ अटाॅर्नी दी गई थी। रजिस्ट्रार ऑफिस में सर्टिफाइड निकाली पॉवर ऑफ अटाॅर्नी में चार जमीन मालिक के हस्ताक्षर हैं और पॉवर देने की तरीख को खाली छोड़ा गया है। जबकि इसी पॉवर ऑफ अटाॅर्नी से एक निजी बैंक से 4 करोड़ 20 लाख का लोन लिया गया जिसमें जो जमीन की पॉवर ऑफ अटाॅर्नी लगी हुई है, उसमें संबंधित जमीन मालिकों के हस्ताक्षर हैं। एक 20 रुपए के स्टॉम्प पर, तो एक 100 रुपए के स्टॉम्प पर। यह बात ही अपने आप में फर्जीवाड़ा साबित करने के लिए पर्याप्त है। यदि कोई भी एजेंसी इसकी जांच करती तो सरकारी मिलीभगत का एक बड़ा खुलासा सामने आ सकता था। बिल्डर डांगरे ने अधिकारियों से सांठ-गांठ कर 1 अप्रैल 2021 को शांताबाई और वामन को जीवित बताकर विवादित जमीन पर निजी फाइनेंस कंपनी से 4 करोड़ 20 लाख रुपए का कर्ज ले लिया, जबकि शांताबाई की मौत 2 फरवरी 2002 को ही हो गई थी।
रद्द कर दी पॉवर ऑफ अटाॅर्नी, नोटिस के माध्यम से सूचना दी, इसके बाद भी बिल्डर ने जमीन वापस नहीं की
इस मामले में एक खास बात यह है कि बिल्डर जमीन पर संबंधित पॉवर ऑफ अटाॅर्नी के आधार पर कॉलोनी डालने की तैयारी था, इसी दौरान परिवार को इसकी भनक लग गई। और उक्त पॉवर ऑफ अटाॅर्नी भी सामने आ गई, जिसमें फर्जी हस्ताक्षर की बात भी खुली। परिवार के दबाव में वर्ष 2020 में विलास ने उक्त पॉवर ऑफ अटाॅर्नी कैंसल कर दी और इसकी जानकारी अधिकृत रूप से बिल्डर विजय डांगरे को भी दे दी गई। हालांकि बिल्डर ने इस पर मौन साध लिया। कॉलोनी डालने की तैयारी हो चुकी थी। इसलिए इस बात को एक तरफ रख दिया गया। वहीं 2 फरवरी 2002 को शांताबाई और 18 दिसंबर 2003 को वामन का देहांत हो गया। दोनों की मृत्यु होने के कारण कानूनन उनकी पॉवर ऑफ अटॉर्नी अपने आप रद्द हो जाती है।
शांताबाई और वामन के फर्जी हस्ताक्षर कर डांगरे द्वारा पॉवर ऑफ अटॉर्नी बनाने की शिकायत 18 दिसंबर 1998 को शांताबाई ने कोतवाली थाने में की थी। 7 जून 1999 को वकील के जरिए डांगरे को लीगल नोटिस भेजा गया। उसी दिन स्थानीय अखबारों में जाहिर नोटिस प्रकाशित कर फर्जी पॉवर ऑफ अटॉर्नी के बारे में जानकारी दी गई थी। इसके बाद वामन के बेटे शिकायतकर्ता अनंत आंबेकर ने 20 अगस्त 2020 को अजनी थाने में इसकी शिकायत की। इसके बाद 18 अगस्त 2021 को क्राइम ब्रांच में डीसीपी गजानन राजमाने को पूरे दस्तावेजों के साथ शिकायत की। कार्रवाई नहीं होने पर 29 जून 2021 को पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार को भी इसकी शिकायत की गई। मगर यहां भी बिल्डर का रसूख काम कर गया और मामले पर कार्रवाई नहीं की गई।