आज साढ़े 7 घंटे उपलब्ध रहेगी सेंट्रल जेल में रक्षा बंधन की सुविधा 

अंतत: बहनों के लिए दोपहर बाद खुले सेंट्रल जेल के कपाट  आज साढ़े 7 घंटे उपलब्ध रहेगी सेंट्रल जेल में रक्षा बंधन की सुविधा 

Bhaskar Hindi
Update: 2022-08-12 08:02 GMT
आज साढ़े 7 घंटे उपलब्ध रहेगी सेंट्रल जेल में रक्षा बंधन की सुविधा 

डिजिटल डेस्क,सतना। केंद्रीय कारागार के कपाट गुरुवार को अंतत: शाम 5 बजे उन बहनों के लिए खोल दिए गए, जो अपने बंदी या फिर कैदी भाइयों  को राखी बांधने के लिए दूर-दूर से यहां जिला मुख्यालय आई हुई थीं। यह फैसला जेल मुख्यालय भोपाल से इस आशय का फरमान मिलने के बाद किया गया। जिस वक्त कारागार के अंदर जाकर बहनों को राखी बांधने की सुविधा मिली उस वक्त महज 15 बहनें ही परिसर में बची थीं। जेल अधीक्षक अखिलेश तोमर ने बताया कि 12 अगस्त को बहनें अपने बंदी या कैदी भाइयों को सुबह साढ़े 8 बजे से शाम 4 बजे राखी बांध सकेंगी। 

अंदर भेजी गईं 250 राखियां 

उल्लेखनीय है, कोरोना वायरस के संक्रमण की आशंका के चलते विगत 2 वर्षों से रक्षा बंधन के पर्व पर बहनों के केंद्रीय कारागार के अंदर जाकर राखी बांधने पर प्रतिबंध था। गुरुवार की दोपहर तब इस संबंध में कोई आदेश नहीं आने के कारण भी असमंजस की स्थिति बनी हुई थी। इसी बीच वैकल्पिक प्रबंधों के तहत केंद्रीय कारागार प्रबंधन ने राखियां अंदर भेजने के उपाय कर रखे थे। इसके लिए विंडो बनाकर स्टाफ को तैनात किया गया था। इस प्रकार लगभग 250 राखियां जमा कराई गईं। राखियों में कैदियों के नाम एवं मूल पते भी लिखवाए गए जिन्हें प्रहरी अंदर ले गए और फिर राखियां संबंधित बंदी भाइयों तक पहुंचाई गईं। 

30 वर्ष से बंदी भाइयों को राखी बांध रही हैं पूर्व महापौर- 

पूर्व महापौर ममता पांडेय कहीं भी हों मगर रक्षा पर्व के त्यौहार के दिन वह सेंट्रल जेल जाकर बंदी भाइयों को राखी बांध कर मुंह मीठा कराना नहीं भूलती हैं। इस बीच कारोना काल के 2 वर्षों को अगर छोड़ दें तो वह विगत 30 वर्षों से रक्षा पर्व केंद्रीय कारागार में ही मना रही हैं। गुरुवार की शाम भी वह सेंट्रल जेल पहुंचीं। उन्होंने कारागार के अंदर उन 15 बंदी भाइयों को राखी बांधी, जिनकी बहने नहीं हैं। 

ऐसे हुई थी शुरुआत-

उन्होंने बताया कि वर्षों पहले एक ऐसा दौर आया था जब उनके एक भाई के त्यौहार के दिन इसी सेंट्रल जेल में थे। वह अपने भाई को राखी बांधने पहुंचीं तो देखा कि अन्य बंदी भाई बहनों के नहीं आ पाने के कारण दुखी थे। पूर्व महापौर ममता पांडेय ने तभी तय किया कि वह हर साल इस त्यौहार को बंदी भाइयों के साथ ही मनाएंगी। तब यह सिलसिला निरंतर जारी है। उन्होंने बताया कि 2 वर्ष प्रतिबंध के कारण वह जेल नहीं जा पाने के कारण व्यथित थीं। उन्होंने इस बात पर जेल प्रशासन के प्रति आभार जताया कि अबकि बहनों को उनके भाइयों से अनुमति मिल गई।
 

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