भारत में राफेल: अंबाला एयरबेस पर लैंड हुए पांचों लड़ाकू विमान,रक्षा मंत्री बोले- सैन्य इतिहास में नए युग की शुरुआत

भारत में राफेल: अंबाला एयरबेस पर लैंड हुए पांचों लड़ाकू विमान,रक्षा मंत्री बोले- सैन्य इतिहास में नए युग की शुरुआत

Bhaskar Hindi
Update: 2020-07-29 09:07 GMT
हाईलाइट
  • वॉटर सैल्यूट से किया गया स्वागत
  • वायुसेना प्रमुख रहे मौजूद
  • हरियाणा के अंबाला एयरबेस पर लैंड हुए पांच राफेल विमान

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। फ्रांस से भारत पहुंचे पांचों राफेल लड़ाकू विमानों की हरियाणा के अंबाला एयरबेस पर सफलतापूर्वक लैंडिंग हो गई है। वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया सहित कई आला अधिकारी विमानों के स्वागत के लिए अंबाला एयरबेस पर मौजूद रहे। वॉटर सैल्यूट के साथ राफेल विमानों का स्वागत किया गया। बता दें कि, फ्रांस से मिलने वाले राफेल विमानों की ये पहली खेप है। इन विमानों ने सोमवार को फ्रांस से उड़ान भरी थी, जिसके बाद ये UAE में रुके और बुधवार दोपहर भारत की जमीन पर उतरे।

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संस्कृत के श्लोक से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राफेल का स्वागत किया।

फ्रांस से अंबाला एयरबेस पहुंचे 5 राफेल फाइटर जेट्स को "वॉटर सैल्यूट"।

अंबाला में लैंड करता राफेल लड़ाकू विमान।

रक्षा मंत्री बोले- सैन्य इतिहास में एक नए युग की शुरुआत
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी ट्वीट कर राफेल विमान के लैंड होने की जानकारी दी, साथ ही उन्होंने वायुसेना को बधाई भी दी। राजनाथ सिंह ने कई ट्वीट किए। उन्होंने कहा, भारत में राफेल लड़ाकू विमानों का पहुंचना हमारे सैन्य इतिहास में एक नए युग की शुरुआत है। यह मल्टीरोल एयरक्राफ्ट हमारी वायुसेना की ताकत को बढ़ाएंगे।

एक अन्य ट्वीट में राजनाथ सिंह ने लिखा, "मैं भारतीय वायुसेना को बधाई देता हूं। मुझे यकीन है, 17 स्क्वॉड्रन, गोल्डन एरो "उदयम अजाश्रम" के अपने आदर्श वाक्य पर काम करता रहेगा। बेहद खुशी है कि IAF की युद्धक क्षमता में समय पर बढ़ोतरी हुई।"

विमानों के पहुंचने के बाद से अंबाला एयरबेस पर आवाजाही बढ़ गई है। सेना के जवान लगातार पट्रोलिंग कर रहे हैं। अंबाला के इसी एयरबेस पर हुई राफेल लड़ाकू विमानों की लैंडिंग।

राफेल विमानों की फोटोग्राफी पर प्रतिबंध
अंबाला एयरबेस के आसपास के गांवों में धारा 144 लगाई गई है। यहां आधिकारिक फोटोग्राफी से अलग फोटो खींचने पर रोक लगा दी गई है, साथ ही एक जगह लोगों के जुटने पर भी रोक है। गौरतलब है कि, सोमवार को पांच राफेल विमानों ने फ्रांस से उड़ान भरी थी, जिसके बाद एक बार हवा में ही उनकी फ्यूलिंग हुई। बाद में पांचों लड़ाकू विमान UAE के अल दाफरा बेस पर रुके। बुधवार सुबह सभी विमानों ने यहां से भारत के लिए उड़ान भरी और दोपहर में करीब डेढ़ बजे लड़ाकू विमान मुंबई एयरस्पेस में पहुंचे। कुछ एक घंटे से भी कम समय में विमानों ने अंबाला में एंट्री की।

पहले बेड़े को दिया जाएगा यह नाम 
वायुसेना ने इन लड़ाकू विमानों के पहले बेड़े को खास नाम दिया है। इन विमानों के बेड़े को वायुसेना की 17वीं स्क्वाड्रन के तौर पर जाना जाएगा। राफेल विमान के स्क्वाड्रन का नाम "गोल्डन एरो" होगा। इन विमानों का निर्माण करने वाली फ्रांसीसी कंपनी दसाल्ट ने अभी 10 राफेल विमान दिए हैं। इनमें से पांच फ्रांस में ही हैं, जिन पर भारतीय वायुसेना के पायलट प्रशिक्षण ले रहे हैं। सभी 36 विमानों की डिलीवरी 2021 के अंत तक हो जाएगी। 

पायलटों को दिया गया है खास प्रशिक्षण
राफेल विमानों को उड़ाने के लिए भारतीय वायुसेना के पायलटों को खास प्रशिक्षण दिया गया है। साल 2018 में इस विशेष प्रशिक्षण के लिए एक फाइटर पायलट, एक इंजीनियर और चार तकनीकी विशेषज्ञों को पहले ग्रुप में चुना गया था। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम वर्तमान में भी चल रहा है। इसके लिए अभी पांच राफेल विमानों को फ्रांस में ही रखा गया है। वायुसेना के 12 लड़ाकू पायलटों ने फ्रांस में राफेल लड़ाकू जेट पर अपना प्रशिक्षण पूरा कर लिया है। 

रखरखाव की तैयारियां भी पूरी
वायुसेना ने राफेल विमान के रखरखाव की भी तैयारियों को भी अंतिम रूप दे दिया है। इसके लिए वायुसेना ने बुनियादी ढांचा विकसित कर लिया है। अंबाला एयरबेस पर शेल्टर, हैंगर और अन्य सुविधाओं समेत बुनियादी ढांचे को विकसित किया गया है। फ्रांसीसी विशेषज्ञों की देखरेख में इन्हें तैयार किया गया है। यहां एडवांस हैंगर के साथ एक अत्याधुनिक वेपन स्टोरेज बनाया है। जहां राफेल के हथियारों और मिसाइलों को सहेज कर रखा जाएगा। 

कुल 36 राफेल में से 30 लड़ाकू विमान और 6 ट्रेनर विमान
इन विमानों की पहली स्क्वाड्रन को अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर तैनात किया जाएगा, जिसे भारतीय वायुसेना का सबसे अहम रणनीतिक बेस माना जाता है। दिलचस्प बात ये भी है कि अम्बाला एयरबेस चीन की सीमा से भी 200 किमी की दूरी पर है। अंबाला में 17वीं स्क्वाड्रन गोल्डन एरोज राफेल की पहली स्क्वाड्रन होगी। वहीं, दूसरा रणनीतिक बेस पश्चिम बंगाल के हाशिमारा में होगा। कोरोना महामारी के बावजूद वायुसेना कड़ी मेहनत से जमीनी ढांचे को तैयार कर रही है, ताकि विमानों को यहां से संचालित किया जा सके। वायुसेना ने राफेल के रखरखाव और तैनाती के लिए दोनों स्टेशनों पर करीब 400 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। कुल 36 राफेल में से 30 लड़ाकू विमान हैं, जबकि छह ट्रेनर विमान हैं। ट्रेनर विमान दो सीटों वाले हैं। उनमें लड़ाकू विमानों जैसी ही खासियतें होंगी।

 

 

 

 

 

 

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