चिकित्सकों को पीजी या सुपर स्पेशियालिटी करने के लिए ग्रामीण क्षेत्र में एक वर्ष की सेवा अनिवार्य
चिकित्सकों को पीजी या सुपर स्पेशियालिटी करने के लिए ग्रामीण क्षेत्र में एक वर्ष की सेवा अनिवार्य
डिजिटल डेस्क, जबलपुर। हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि पीजी और सुपर स्पेशियालिटी कोर्स करने के लिए एक साल ग्रामीण क्षेत्र में सेवा की अनिवार्यता को चुनौती देने वाली 131 याचिकाएं खारिज कर दी है। एक्टिंग चीफ जस्टिस आरएस झा और जस्टिस विजय शुक्ला की युगल पीठ ने अपने आदेश में कहा कि पीजी और सुपर स्पेशियालिटी कोर्स करने वाले चिकित्सकों को एक साल की ग्रामीण सेवा देनी होगी।
एक साल की ग्रामीण सेवा को अनिवार्य किए जाने को चुनौती दी थी
जबलपुर निवासी वैभव यावलकर सहित 131 सेवारत और रेजीडेंस चिकित्सकों ने पीजी और सुपर स्पेशियालिटी कोर्स करने के लिए एक साल की ग्रामीण सेवा को अनिवार्य किए जाने को चुनौती दी थी। याचिकाओं में कहा गया कि एमबीबीएस के बाद पीजी और सुपर स्पेशियालिटी कोर्स करने के लिए एक साल की ग्रामीण सेवा का बांड भरना होता है। इस शर्त का पालन कराने के लिए आवेदकों से उनके मूल दस्तावेज जमा करा लिए जाते थे। इस शर्त को संवैधानिक अधिकारों का हनन बताते हुए चुनौती दी गई थी। याचिका में ग्रामीण सेवा को अनिवार्यता को निरस्त करने का अनुरोध किया गया था।
सुको ने कहा- ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा सेवा की जरूरत
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से युगल पीठ को बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट ने 19 अगस्त 2019 को ग्रामीण सेवा की अनिवार्यता को चुनौती देने वाली याचिकाएं खारिज कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि पीजी और सुपर स्पेशियालिटी कोर्स करने वाले चिकित्सकों को एक साल ग्रामीण क्षेत्र में सेवा करना ही होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में चिकित्सा सेवा की जरूरत है। समाज के वंचित वर्ग के भी मूलभूत अधिकार है। ऐसे में व्यक्तिगत हित के सामने समाज का हित जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आधार पर हाईकोर्ट ने सभी याचिकाएं खारिज कर दी है।