सीएम की सभा में गए अधिकारी, इधर जेसीबी से गिरा दिया सरकारी कमरा

शहडोल सीएम की सभा में गए अधिकारी, इधर जेसीबी से गिरा दिया सरकारी कमरा

Bhaskar Hindi
Update: 2023-04-07 08:45 GMT
गड़चिरोली में जिला खनिज निधि का नहीं हो रहा कोई उपयाेग!

डिजिटल डेस्क,शहडोल। शहर में सरकारी जमीनों को सांठगांठ कर हथियाने और अवैध कॉलोनाइजेशन की कड़ी में बुधवार को मनमानी का बड़ा मामला सामने आया। अवैध कॉलोनी निर्माण से जुड़े लोगों को लगा कि 5 अप्रैल को जिला प्रशासन के अधिकारी व पुलिस ब्यौहारी में सीएम की सभा में व्यवस्थाओं में व्यस्त रहेंगे तो सुबह-सुबह ही तालाब के मेढ़ पर बना मत्स्य विभाग का कमरा जेसीबी लगाकर गिरा दिया।

इसकी जानकारी सोहागपुर पुलिस तक पहुंची तो पहले तो कार्रवाई को लेकर बहाने बनाए गए। एसपी के निर्देश पर कार्रवाई करते हुए जेसीबी वाहन को थाने लाकर खड़ी किया। अगले दिन यानी 6 अप्रैल को कलेक्टर वंदना वैद्य, एसडीएम प्रगति वर्मा सहित अन्य अधिकारी गोरतरा में मौके पर पहुंचे। स्थिति का जायजा लिया। कार्रवाई को लेकर कलेक्टर ने बताया कि एसडीएम को जांच के निर्देश दिए हैं। जेसीबी मशीन थाने में जब्त है। वहीं कुछ ही देर बात थाना प्रभारी सोहागपुर अनिल पटेल ने बताया कि जेसीबी वाहन तो बुधवार को ही छोड़ दिया था।

अवैध कॉलोनाइजेशन का जारी हुआ था नोटिस

कमरा गिराने के दौरान रवि जगवानी, राकेश जायसवाल व राजकुमार जगवानी मौके पर रहे। उल्लेखनीय है कि आसपास की जमीनों को लेकर एसडीएम ने 20 मार्च को प्रकाश जगवानी पिता खैराजमल निवासी किरण टॉकीज को नोटिस जारी कर गोरतरा स्थित खसरा नंबर 543/2/1 में निर्माण को अवैध कॉलोनाइजेशन की श्रेणी में बताते हुए जवाब मांगा था। इसी प्रकार योगेश जायसवाल, राजेश जायसवाल, अभिषेक जायसवाल, ज्ञानेश जायसवाल, यशवंत सिंह व राकेश जायसवाल को भी नोटिस जारी किया गया था।

इसलिए गिराया मत्स्य विभाग का कमरा- जमीन लेने के लिए कोई भी आता था तो उन्हे लगता था कि सरकारी भवन है यानी जमीन सरकारी होगी। अवैध कॉलोनाइजरों को ये बात नागवार गुजरती थी, अब आने वालों को पता भी नहीं चलेगा और ये लोग आमजनों को धोखे में रख सकेंगे।

तालाब की जमीन सुरक्षित नहीं रख पा रहे अधिकारी- जिस जमीन पर मत्स्य विभाग का कमरा बना था, राजस्व रिकार्ड में पूर्व में शासकीय मत्स्य पालन तालाब दर्ज था। मामले में अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं। पटवारी, एसडीएम से लेकर दूसरे अधिकारी शहर में सरकारी जमीन सुरक्षित नहीं रख पा रहे।

एसडीएम कार्यालय का उदासीन रवैया- कमिश्नर कार्यालय से 24 सितंबर 2012 को आदेश जारी कर निगरानी आवेदन स्वीकार करने कहा गया। इसमें आवेदक बुद्ध गोड़ ने दावा किया था कि खसरा नंबर 543 की भूमि उसकी है और धारा 170 ख के तहत वापस किया जाए। कमिश्नर के इस आदेश पर 11 साल बाद भी ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

मत्स्य विभाग बेपरवाह- जानकार बताते हैं कि मत्स्य विभाग ने पूर्व में तालाब और कमरा बनाया है तो उन्हे निश्चित ही जमीन आबंटित हुई होगी। बिना दस्तावेज सरकारी निर्माण कैसे होगा? अब कमरा टूटने से तालाब में फेंसिंग को लेकर मत्स्य विभाग का रवैया उदासीन बना हुआ है।
 

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