पत्नी की मौत के बाद बीमा क्लेम के लिए दो साल से भटक रहा नॉमिनी
पत्नी की मौत के बाद बीमा क्लेम के लिए दो साल से भटक रहा नॉमिनी
डिजिटल डेस्क जबलपुर। बीमा कंपनियाँ लाख दावा करे पर जरूरत के वक्त व मौत के बाद भी किसी तरह का सहयोग देने तैयार नहीं रहती हैं। अनेक खामियाँ निकालकर पॉलिसी धारकों या फिर नॉमिनी को भटकाने के सिवाय कुछ नहीं करतीं। ये काम आदित्य बिरला हेल्थ इंश्योरेंस, बजाज एलियांज हेल्थ इंश्योरेंस, भारती एक्सा हेल्थ इंश्योरेंस, केयर हेल्थ इंश्योरेंस (पहले का नाम रेलिगर हेल्थ इंश्योरेंस), चोला एमएस हेल्थ इंश्योरेंस, फ्यूचर जेनेरली हेल्थ इंश्योरेंस, एचडीएफसी एर्गो जनरल हेल्थ इंश्योरेंस, एचडीएफसी एर्गो हेल्थ इंश्योरेंस (पहले का नाम अपोलो म्युनिक हेल्थ इंश्योरेंस), आईएफएफसीओ टोक्यो हेल्थ इंश्योरेंस, मैक्स बूपा हेल्थ इंश्योरेंस, मणिपालसिग्ना हेल्थ इंश्योरेंस, नेशनल हेल्थ इंश्योरेंस, न्यू इंडिया हेल्थ इंश्योरेंस, ओरिएण्टल हेल्थ इंश्योरेंस, रहेजा क्यूबीई हेल्थ इंश्योरेंस, रॉयल सुंदरम हेल्थ इंश्योरेंस, रिलायंस हेल्थ इंश्योरेंस, स्टार हेल्थ इंश्योरेंस, एसबीआई हेल्थ इंश्योरेंस, टाटा एआईजी हेल्थ इंश्योरेंस, यूनाइटेड इंडिया हेल्थ इंश्योरेंस, यूनिवर्सल सोम्पो हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियाँ कर रही हैं पर जिम्मेदार पूरी तरह मौन हैं। यह आरोप पॉलिसी धारकों द्वारा लगाया जा रहा है।
इन नंबरों पर बीमा से संबंधित समस्या बताएँ (मोनो लगाएँ टेलीफोन का)-
इस तरह की समस्या यदि आपके साथ भी है तो आप दैनिक भास्कर, जबलपुर के मोबाइल नंबर - 9425324184, 9425357204 पर बात करके प्रमाण सहित अपनी बात रख सकते हैं। संकट की इस घड़ी में भास्कर द्वारा आपकी आवाज को खबर के माध्यम से उचित मंच तक पहुँचाने का प्रयास किया जाएगा।
केस.1
सारे दस्तावेज जमा कर दिए फिर भी भटकाया जा रहा -
सतना भरहुत वार्ड नंबर 07 निवासी उमाशंकर रजक ने अपनी शिकायत में बताया कि उनकी पत्नी आँगनबाड़ी सहायिका के पद पर कार्यरत थीं। पत्नी अनसुईया रजक की वर्ष 2018 में मौत हो गई थी। पत्नी की मौत के बाद खुलासा हुआ कि उन्होंने एलआईसी से जीवन ज्योति बीमा पॉलिसी ले रखी थी। पत्नी के सारे दस्तावेज एलआईसी कार्यालय मदन महल जबलपुर में जमा किए गए थे। दोबारा अनेक दस्तावेज माँगे गए वे भी जमा किए गए पर आज तक उन्हें बीमा पॉलिसी का भुगतान नहीं किया गया। महिला बाल विकास के परियोजना अधिकारी भी एलआईसी ऑफिस को पत्र लिख चुके हैं उसके बाद भी जिम्मेदार पूरी तरह चुप्पी साधे हुए हैं। नॉमिनी का आरोप है कि बीमा कंपनी के अधिकारी जानबूझकर हमें परेशान कर रहे हैं। पीडि़त ने कहा कि अगर जल्द निराकरण नहीं हुआ तो न्यायालय की शरण लेनी पड़ेगी।
केस.2
ऑरिजनल बिल की डिमांड कर क्लेम कर दिया रिजेक्ट
ग्वारीघाट ओल्ड पीपी कॉलोनी निवासी अंकलेश पटैल ने अपनी शिकायत में बताया कि उन्होंने ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी से कोरोना कवच पॉलिसी ले रखी थी। वे 6 मई 2021 को कोरोना से ग्रसित हो गए थे। कोरोना संक्रमण का शिकार होने के कारण उन्हें सुधा अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था। वहाँ इलाज के दौरान बीमा कंपनी ने कैशलेस नहीं किया और पूरा भुगतान पॉलिसी धारक को अपने पास से करना पड़ा। अस्पताल से छुट्टी होने के बाद ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी में क्लेम किया गया था। बीमा कंपनी ने अनेक क्वेरी निकालीं। उन्होंने सारे दस्तावेज दोबारा जमा किए। बीमा कंपनी ने जल्द क्लेम देने को कहा पर अचानक बीमा कंपनी सारे ऑरिजनल दस्तावेजों की डिमांड करने लगी, जबकि अस्पताल द्वारा वे उपलब्ध ही नहीं कराए गए थे। पॉलिसी धारक ने सबमिट किए बिलों के आधार पर क्लेम देने को कहा पर बीमा कंपनी मानने तैयार नहीं है।
थर्ड पार्टी करती है सेटल-
वहीं बीमा कंपनी के जिम्मेदार अधिकारियों से पॉलिसी धारकों के निराकरण की बात की जाती है तो वे थर्ड पार्टी के द्वारा निराकरण करने की बात करते हुए अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। यही कारण है कि लगातार पॉलिसी धारक चक्कर लगा रहे हैं पर उनकी सुनवाई नहीं हो रही है। इसके पीछे प्रमुख कारण यह है कि थर्ड पार्टी के जिम्मेदार अधिकारी ऑफिस में उपलब्ध ही नहीं रहते हैं।