नागपुर के 10 स्थानों पर ध्वनि प्रदूषण मापने लगाई जाएंगी नॉइस मैपिंग डिवाइस
नागपुर के 10 स्थानों पर ध्वनि प्रदूषण मापने लगाई जाएंगी नॉइस मैपिंग डिवाइस
डिजिटल डेस्क,नागपुर। ध्वनि प्रदूषण के दुष्प्रभाव को समझने के लिए महाराष्ट्र में अपनी तरह के प्रथम अध्ययन के तहत नागपुर व मुंबई में 25 स्थानों पर नॉइस मैपिंग डिवाइस लगाई जाएंगी। अध्ययन के लिए नागपुर में डिवाइस लगाए जाने के लिए चुने गए दस स्थानों में अत्याधिक यातायात, व्यावसायिक गतिविधियां, नेशनल हाईवे और स्टेट हाईवे का चयन किया गया है। इनमें सीताबर्डी चौक, इंदोरा चौक, धरमपेठ और इतवारी शामिल हैं। इसके साथ ही आवासीय इलाकों और हाईवे पर भी डिवाइस लगाई जाएंगी।
विशेषज्ञ करेंगे अध्ययन
प्रोजेक्ट तैयार करने वाले रितेश विजय, वरिष्ठ वैज्ञानिक क्लीयर टेक्नोलॉजी एंड मॉडलिंग डिवीजन, नीरी के अनुसार शहर में 15 अक्टूबर के बाद डिवाइस लगाई जाएंगी। ये डिवाइस 48 घंटे तक ट्रैफिक संबंधी आंकड़े जुटाएंगी। इसमें गुजरने वाले वाहनों की संख्या, गति और हार्न की तीव्रता व कितनी बार बजाया शामिल होंगे। महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के निर्देश पर नीरी और केईएम हॉस्पिटल, मुंबई के ईएनटी विशेषज्ञ दो वर्ष तक यह अध्ययन करेंगे। एमपीसीबी के संयुक्त निदेशक वी.एम. मोटघरे के अनुसार बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के तहत इस अध्ययन को बोर्ड की मंजूरी प्रदान की गई है। अब इसके शीघ्र ही लगने की उम्मीद की जा रही है।
स्वास्थ्य के लिए खतरा
विशेषज्ञों के अनुसार ध्वनि प्रदूषण के कारण चिड़चिड़ाहट, हाइपरटेंशन, आक्रामकता, रक्तचाप बढ़ने, उच्च तनाव, बहरापन, अनीद्रा, डिप्रेशन, घबराहट की समस्या हो सकती है। लंबे समय तक 80 से 90 डीबी से अधिक शोर में रहने पर नर्सव सिस्टम प्रभावित होने, बहरेपन की समस्या हो सकती है।
कोर्ट ने दिया अध्ययन का निर्देश
नीरी ने राज्य के 24 नगरपालिकाओं में नॉइस मैंपिंग की रिपोर्ट पिछले वर्ष जून में बॉम्बे हाईकोर्ट में समिट की थी। इस रिपोर्ट पर गौर करने के बाद कोर्ट ने नीरी और एमपीसीबी को ध्वनि प्रदूषण को मानव व अन्य जीवों के स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव, हार्न बजाने का विपरीत प्रभाव और ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए तकनीक विकसित करने का निर्देश दिया था।