ग्राम स्वराज को जमीन पर उतारती पंचायती राज व्यवस्था - नरेंद्र सिंह तोमर

राष्‍ट्रीय पंचायती राज दिवस ग्राम स्वराज को जमीन पर उतारती पंचायती राज व्यवस्था - नरेंद्र सिंह तोमर

Bhaskar Hindi
Update: 2023-04-23 08:07 GMT
ग्राम स्वराज को जमीन पर उतारती पंचायती राज व्यवस्था - नरेंद्र सिंह तोमर

डिजिटल डेस्क, भोपाल। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, पं. दीनदयाल उपाध्याय और राष्ट्रऋषि नानाजी देशामुख के विचारों में गांव, ग्रामीण और कृषि सबसे पहले थे। इन महापुरुषों द्वारा देखा गया ग्राम स्वराज का सपना स्वतंत्रता के इस अमृतकाल में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के दूरदर्शी मार्गदर्शन में त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था के माध्यम से साकार किया जा रहा है। यह भारत उत्‍थान का एक नया अध्‍याय है, जिसे प्रधानमंत्री जी के सक्षम नेतृत्‍व में आजादी के इस अमृतकाल में लिखा जा रहा है। वस्‍तुत: देखा जाए तो विगत 9 वर्ष मोदी जी के नेतृत्‍व में भारत के उत्‍कर्ष, नव उदय और उत्‍थान के वे स्‍वर्णिम अध्‍याय हैं जो भविष्‍य के आत्‍मनिर्भर भारत की बुनियाद बन रहे हैं। स्‍वतंत्रता के 75 वर्ष के बाद के आगामी 25 वर्ष के समय को ‘अमृत काल’ की संज्ञा दी गई है। इस अमृतकाल में हमारी पंचायती राज व्‍यवस्‍था का भी सशक्तिकरण इस प्रभाव के साथ हुआ है कि लोकतंत्र की सबसे जमीनी इकाई हमारी ‘ग्राम पंचायतें’ आज सबसे सशक्‍त संस्‍था के रूप में उभरते हुए ग्रामीणों को आर्थिक विकास और सामाजिक न्‍याय प्रदान करने के साथ ही सेवा प्रदाता के रूप में भी अपनी बेहतर भूमिका निभा रही है। 

24 अप्रैल 2023 को हम त्रिस्‍तरीय पंचायती राज व्‍यवस्‍था के लागू हाने की 30 वीं वर्षगांठ मनाने जा रहे हैं। यह तीन दशक पंचायती राज व्‍यवस्‍था के लिए कई मायनों में महत्‍पूर्ण रहे हैं। विगत 9 वर्षों में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्‍व में सरकार ने यह प्रयास किया है कि ग्राम स्‍वराज की अवधारणा को मूर्त रूप प्रदान करने के लिए 3 एफ- फंड (निधि), फंक्‍शन (कार्य) और फंक्‍शनरी (पदाधिकारी) का सीधा हस्‍तांतरण पंचायत स्‍तर पर करके उन्‍हें एक सशक्‍त स्‍वायत्‍तशासी संस्‍था के रूप में विकसित किया जाए। 

संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ ने वर्ष 2023 तक अधिक समानतावादी, अधिक संपन्‍न और अधिक संरक्षित विश्‍व बनाने के लिए 17 सतत विकास लक्ष्‍यों (एसडीजी) को पूरी दुनिया में हासिल करने का संकल्‍प लिया है। भारत भी इस संकल्‍प में एक हस्‍ताक्षरकर्ता है। चूंकि भारत की लगभग 68 फीसदी आबादी गांवों मे निवास करती है, इसलिए यह आवश्‍यक है कि हम ग्रामीण स्‍तर पर एसडीजी को प्राप्‍त करना सुनिश्चित करें। माननीय प्रधानमंत्री जी मार्गदर्शन में पंचायती राज मंत्रालय ने सतत विकास लक्ष्‍यों का स्‍थानीयकरण करते हुए उन्‍हें 9 विषयों में समाहित किया है, और विगत डेढ़ वर्ष में पंचायती राज संस्‍थाओं के अथक परिश्रम के बल पर हम ग्रामीण स्‍तर पर सतत विकास लक्ष्‍य प्राप्ति की दिशा में तेजी से अग्रसर हुए हैं। इसमें गरीबी मुक्‍त एवं उन्‍नत आजीविका युक्‍त गांव, स्‍वस्‍थ गांव, बाल हितैषी गांव, जल पर्याप्‍त गांव, स्‍वच्‍छ एवं हरित गांव, आत्‍मनिर्भर अधोसंरचना से युक्‍त गांव, सामाजिक रूप से सुरक्षित गांव, सुशासित गावं एवं महिला हितैषी गांव बनाने का ब्‍ल्‍यू प्रिट तैयार किया गया है। भारत सरकार के 21 संबद्ध मंत्रालयों के 26 विभागों के साथ ही राज्‍य सरकारों की विभिन्‍न योजनाओं के अभिसरण से पंचायती राज संस्‍थाएं इस लक्ष्‍य को समय से पूर्ण प्राप्‍त करने की दिशा में तेजी से चल पड़ी हैं। अमृतकाल में उठाया गया यह कदम ऐतिहासिक है और इसके परिणाम गांवों के विकास में एक नया अध्‍याय लिखेंगे। 

24 अप्रैल 2020 को माननीय प्रधानमंत्री जी ने राष्‍ट्रीय पंचायती राज दिवस पर स्‍वामित्‍य योजना का शुभारंभ किया था। पंचायती राज मंत्रालय द्वारा, राज्‍यों के राजस्‍व विभाग और सर्वे आफ इंडिया के सहयोग से संचालित यह योजना ग्रामीण क्षेत्र में एक ऐतिहासिक बदलाव लाने वाली योजना है। ड्रोन के माध्‍यम से ग्रामीण आबादी क्षेत्र के हर घर का नक्‍शा तैयार किया जा रहा है। अब तक गांवों में रहने वाले लोगों के पास उनके मकानों के मालिकाना हक का कोई दस्‍तावेज नहीं था। स्‍वामित्‍व योजना के माध्‍यम दे दिया जा रहा संपत्ति कार्ड ग्रामीणों को ‘अभिलेख का अधिकार’ प्रदान करता है। इस दस्‍तावेज से जहां गांवों की संपत्ति के माध्‍यम से युवा बैंक से ऋण ले कर अपना रोजगार प्रारंभ  कर पा रहे हैं वहीं संपत्‍ती की व्‍यवसायिक क्षमता भी बढ़ी है। स्‍वामित्‍व गांवों के सुनियोजित विकास के लिए तैयार की जाने वाली योजना के लिए एक ब्‍लूप्रिंट भी तेयार करता है। अब तक देश में सवा करोड़ संपत्ति कार्ड तैयार होने की उपलब्धि पर 24 अप्रैल 2024 को रीवा, मध्‍यप्रदेश में माननीय प्रधानमंत्री जी मध्‍यप्रदेश के 9 लाख ग्रामीण परिवारों को संपत्ति कार्ड प्रदान करेंगे। 

गांवों में कृषि एंव इससे जुड़े कार्य आजीविका का सबसे प्रमुख साधन है, 70 प्रतिशत ग्रामीण परिवार कृषि पर ही आधारित हैं। पंचायती राज मंत्रालय द्वारा सतत विकास लक्ष्‍यों के स्‍थानीयकरण (एलएसडीजी) के लिए जो 9 विषय तैयार किए गए है, उनमें से कई में कृषि की भूमिका महत्‍पूर्ण है। जैसे ‘गरीबी मुक्‍त एवं उन्‍नत आजीविका युक्‍त गांव’ बनाने के लिए कृषि कार्य में जुड़े किसानों की आय का सशक्तिकरण आवश्‍यक माना गया है। प्रधानमंत्री जी की दूरदर्शिता से इसी दिशा में कृषि मंत्रालय 2019 से प्रधानमंत्री किसान सम्‍मान निधि के रूप में प्रतिवर्ष 6 हजार रुपए तीन किश्‍तों में किसानों को प्रदान कर रहा है। पीएम किसान योजना के माध्‍यम से अब तक देश के लगभग 11 करोड़ किसानों को 2.40 लाख करोड़ रुपए से अधिक प्रदान किए गए हैं। भूमि की उत्‍पादकता बढ़ाना, सिंचाई की व्‍यवस्‍था में सुधार करना, जैव उर्वरक के प्रयोग पर बल देना, उपयुक्‍त नवीन कृषि प्रौद्योगिकियों को किसानों तक पहुंचाने जैसे कार्यों को ग्राम पंचायतें अपनी ग्राम पंचायत विकास योजना (जीपीडीपी) में जोड़ कर किसानों की आय में सुधार ला सकती है। 

इसी तरह से स्‍वस्‍थ गांव की अवधारणा को मूर्त रूप देने के लिए पोषण आहार की व्‍यवस्‍था को सुधारने की जरूरत है। माननीय प्रधानमंत्री जी की पहल पर संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ द्वारा वर्ष 2023 को अंतर्राष्‍ट्रीय मिलेट वर्ष घोषित किया गया है। मिलेट यानि श्रीअन्‍न (मोटा अनाज) अत्‍यधिक पोष्टिक एवं स्‍वास्‍थ्‍य कारक है। कृषि मंत्रालय इस दिशा में लगातार कार्य कर रहा है कि देश में अधिकाधिक किसान श्रीअन्‍न की खेती को अपनाएं। श्री अन्‍न की खेती छोटे एवं मझौले किसानों के आर्थिक सशक्तिकरण का भी एक बड़ा साधन बनेगी। 

वित्तीय वर्ष 2023-24 के बजट में कृषि एवं किसान कल्याण के लिए भारत सरकार द्वारा किए गए महत्वपूर्ण प्रावधान कृषकों के साथ ही ग्रामीण अर्थव्‍यवस्‍था को सशक्‍त करते हैं। कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान सहित कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय का कुल बजट इस बार लगभग 1.25 लाख करोड़ रुपये का है। इसमें प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना के लिए 60 हजार करोड़ रु., किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के लिए 23 हजार करोड़ रु., डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन काके बढ़ावा देने के लिए 450 करोड़ रु. तथा टेक्नालाजी द्वारा कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के संबंध में लगभग 600 करोड़ रु. का प्रावधान किया गया है। 

माननीय प्रधानमंत्री जी ने प्राकृतिक खेती को एक जन-आंदोलन का स्‍वरूप देने का आह्वान राष्‍ट्र से किया है। ग्रामीण भारत के पर्यावरण, आर्थिक एवं सामाजिक व्‍यवस्‍था में प्राकृतिक खेती से चमत्‍कारिक परिणाम आ सकते हैं। प्राकृतिक खेती के लिए इस साल बजट में 459 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। आगामी 3 वर्षों में देश के 1 करोड़ किसानों को सहायता प्रदान की जाएगी। 

छोटे-मझौले किसानों को एफपीओ के जरिये संगठित करते हुए उन्हें खेती-किसानी से संबंधित सभी सुविधाएं मुहैया कराने का लक्ष्य रखा गया है, जिसके लिए 10 हजार नए एफपीओ बनाए जा रहे हैं। ये एफपीओ ग्रामीण स्‍तर पर किसानों के आर्थिक सशक्तिकरण का एक अग्रणी माध्‍यम बन रहे हैं। ग्राम पंचायतें अपनी ग्राम पंचायत विकास योजना में एफपीओ के गठन का लक्ष्‍य रखकर कृषि विभाग के साथ समन्‍वय से किसानों के कल्‍याण में यह कार्य कर रही हैं। 

विगत 9 वर्षों में ग्रामीण भारत के परिदृश्‍य में अभूतपूर्व सकारात्‍मक परिवर्तन दृष्टिगोचर हुआ है। कई गांव आज अपने सुनियोजित विकास के बल पर शहरों से टक्‍कर लेने की स्थिति में आने लगे हैं। जो सड़कें गांव से शहर की ओर जाती थीं, आज वे शहरों से गांव की ओर भी लौट रही है। माननीय प्रधानमंत्री जी का संकल्‍प था हर गरीब का अपना पक्‍का मकान हो। अब तक लगभग 3 करोड़ ग्रामीण परिवारों को अपनी छत दिलाने का संकल्‍प पूर्ण हो चुका है। प्रधानमंत्री आवास योजना को और तेज गति देते हुए इस साल इसका बजट करीब 66 प्रतिशत बढ़ाकर 79 हजार करोड़ रु. किया गया है।

प्रधानमंत्री जी ने पिछले साल राष्‍ट्रीय पंचायती राज दिवस (24 अप्रैल 2022) को अमृत सरोवर योजना का शुभारंभ किया था। एक वर्ष में इस दिशा में भगीरथी प्रयास पंचायतों एवं अन्‍य हितधारकों के द्वारा किए गए और परिणामस्‍वरूप अब तक लगभग 40 हजार अमृत सरोवनर देशभर में बन कर तैयार हो गए हैं, जो कि लक्ष्‍य का 80 प्रतिशत है। 

‘एक भारत-श्रेष्‍ठ भारत’ की संकल्‍पना के साथ प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी आत्‍मनिर्भरता से युक्‍त एक ऐसे राष्‍ट्र का पुनर्निमाण कर रहे हैं जहां सभी के लिए समान अवसर हो।

अमृतकाल में सशक्‍त होती हमारी पंचायती राज व्‍यस्‍था इस बात का प्रमाण है कि शक्तियों का हस्‍तांतरण जमीनी स्‍तर पर किया गया है और सरकार के मार्गदर्शन में पंचायतों ने भी पूर्ण पारदर्शिता और प्रभाविता के साथ गांवों के विकास में अपनी गंभीरता दिखाई है। 

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