ब्लड बैग के लिए जद्दोजहद, मेडिकल को 20000 बैग की जरूरत, 13000 ही हो पाते हैं जमा
ब्लड बैग के लिए जद्दोजहद, मेडिकल को 20000 बैग की जरूरत, 13000 ही हो पाते हैं जमा
डिजिटल डेस्क, नागपुर। राष्ट्रीय रक्तदान दिवस 1 अक्टूबर को मनाया गया। देशभर में रक्तदान को बढ़ावा दिया जा रहा है। राज्य में भी शासकीय स्तर पर रक्तदान को बढ़ावा देने के लिए विविध घोषणाएं व अभियान चलाए गए। रक्तदान को बढ़ावा देने के लिए 2010 में नागपुर जीएचसीएच को मोबाइल ब्लड बैंक की सुविधा शुरू की गई थीं। ऐसे स्थानों पर जहां रक्तदान की सुविधा नहीं वहां यह सविधा उपलब्ध कराकर मोबाइल ब्लड बैंक रक्तदान अहम भूमिका निभा रहा था। लेकिन अब स्टेट ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल ही मोबाइल ब्लड बैक के पर कतरने में जुटा है। काउंसिल पहले ही नागपुर में काम कर रहे माेबाइल ब्लड बैंक के दो कर्मचारियों का ट्रांसफर दूसरी जगह कर चुका है और अब एक और कटौती की तैयारी है।
कर्मचारियों की कमी के कारण मोबाइल ब्लड बैंक की ओर से आयोजित होने वाले शिविरों में भी कमी आती जा रही है। इससे रक्त संग्रह पर भी असर पड़ सकता है। मेडिकल में हर वर्ष लगभग 20 हजार ब्लड बैग की जरूरत होती है, जबकि शहर में 13 हजार बैग ब्लड ही जमा हो पाता है। मध्य भारत के सरकारी ब्लड बैंकों में यह सबसे अधिक रक्तदान के कारण नागपुर के ब्लड बैंक को आदर्श ब्लड बैंक का दर्जा भी प्राप्त है। सूत्रों मेडिकल प्रशासन की ओर से काउंसिल को पत्र भेजकर वैन के कर्मचारियों में कटौती नहीं करने की अपील भी की गई है, लेकिन काउंसिल ने इस अपील पर कोई ध्यान नहीं दिया।
ईंधन खर्च देना किया बंद
महाराष्ट्र ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल ने तीन वर्ष बाद ही वैन का ईंधन खर्च देना बंद कर दिया। कुछ दिन पूर्व एक विशेषज्ञ व सहायक को वैन की ड्यूटी से हटाकर डागा शासकीय अस्पताल में नियुक्त कर दिया गया। इसके बाद दूसरे विशेषज्ञ को भी डागा भेजने का संकेत हैं।
2010 में शुरू हुआ मोबाइल ब्लड बैंक
वर्ष 2010 में रक्त दान को बढ़ावा देने के लिए केंद्र व राज्य रक्त संकलन परिषद ने सवा करोड़ की लागत से आधुनिकतम सुविधाओं से लैस वैन में मोबाइल ब्लड बैंक सेवा शुरू की थी। इसमें कर्मचारी के रूप में दो विशेषज्ञ, एक सहायक, एक वाहन चालक शामिल थे। सभी कर्मचारियों का वेतन भार महाराष्ट्र ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल पर है। परियोजना में वैन के लिए वर्ष भर ईंधन पर 1 लाख 14 हजार, वैन की मरम्मत के मद पर डेढ़ लाख व अन्य खर्च एम सैक की जिम्मेदारी है।