नॉमिनी को मौत के बाद भी नहीं दिया मैक्स हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी ने क्लेम
बीमित का आरोप हमें बीमा कंपनी के अधिकारी लगातार भटका रहे नॉमिनी को मौत के बाद भी नहीं दिया मैक्स हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी ने क्लेम
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। 24 घंटे सात दिन वर्क करने का दावा करने वाली बीमा कंपनियाँ पूरी तरह आम लोगों को लाभ देने में पीछे हैं। यह आरोप आम लोगों के द्वारा लगाए जा रहे हैं। दावे व वादे तो हजार किए पर आम नागरिकों को जरूरत के वक्त बीमा कंपनियों ने दूरियाँ बनाकर रखीं। अस्पतालों में कैशलेस करने से इनकार किया जा रहा है।
अस्पतालों व दवाइयों के बिल जब बीमा कंपनियों को दिए जाते हैं उन्हें भी बीमा कंपनी के जिम्मेदार परीक्षण के नाम पर महीनों निकाल देते हैं और उसके बाद अचानक उक्त प्रकरण में क्लेम देने से इनकार कर देते हैं। यह किसी एक मामले में नहीं बल्कि अनेक पॉलिसी धारकों के साथ ऐसा ही किया जा रहा है। यहाँ तक की अनेक मामलों में मौत के बाद भी बीमा कंपनियों के द्वारा क्लेम नहीं दिया जा रहा है। उपभोक्ता बीमा कंपनियों के चक्कर लगा रहे हैं पर उनकी सुनवाई नहीं हो रही है। अब पीड़ित बीमा कंपनियों के विरुद्ध कार्रवाई की माँग कर रहे हैं।
इन नंबरों पर बीमा से संबंधित समस्या बताएँ
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इलाज के दौरान हो गई थी पति की मौत
छिंदवाड़ा गांगीवाड़ा निवासी श्रीमती सुनीता साहू ने अपनी शिकायत में बताया कि उनके पति आसाराम साहू द्वारा मैक्स हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी से पॉलिसी कराई गई थी। उसमें इलाज के साथ ही मौत के बाद निश्चित राशि देने का प्रावधान है। पॉलिसी क्रमांक 50016200201900 का कार्ड भी बीमा कंपनी के द्वारा दिया गया था। पति आसाराम साहू एक हादसे में दुर्घटनाग्रस्त हो गए। इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया। अप्रैल 2019 में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। मौत के कुछ दिन बाद बीमा कंपनी में मृत्यु प्रमाण-पत्र व अस्पताल के सारे दस्तावेज बीमा कंपनी में नॉमिनी के द्वारा सबमिट किए गए थे।
बीमा कंपनी के अधिकारियों ने उक्त बिलों में अनेक प्रकार की क्वेरी निकाली थीं। क्वेरी निकाले जाने के कारण बीमा अधिकारियों को पॉलिसी धारक के नॉमिनी ने सभी कुछ शपथ पूर्व दिया था, उसके बाद भी बीमा कंपनी ने सारे दस्तावेजों को दरकिनार करते हुए क्लेम रिजेक्ट कर दिया। बीमित ने चार वर्ष से लगातार प्रयास किया पर क्लेम डिपार्टमेंट व सर्वेयर टीम के सदस्यों के द्वारा किसी भी तरह का जवाब नहीं दिया जा रहा है। परेशान होकर नॉमिनी ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में आवेदन दिया है।