कानून ने बेटी को बेटों की भांति सम्पत्ति में दिया समान अधिकार : न्यायाधीश बडगुजर
मालेगांव कानून ने बेटी को बेटों की भांति सम्पत्ति में दिया समान अधिकार : न्यायाधीश बडगुजर
डिजिटल डेस्क, मालेगांव. बेटियों को बेटों की भांति सम्पत्ति में समान अधिकार कानून द्वारा दिए जाने का प्रतिपादन कनिष्ठ स्तर दिवाणी न्यायाधीश जी.एस. बडगुजर ने करते हुए कानूनन छोटे बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा का अधिकार दिए जाने की बात भी कही । प्रत्येक नागरिक से अपने पाल्य की शिक्षा की ओर ध्यान देने का आव्हान भी उन्होंने किया । तहसील विधि सेवा समिति मालेगांव की ओर से ग्राम खिर्डा में हालही में कानून विषय जनजागृति शिविर का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता करते हुए मालेगांव के कनिष्ठ स्तर दिवाणी न्यायाधीश जी.एस. बडगुजर सम्बोधित कर रहे थे । इस अवसर पर प्रमुख अतिथि के रुप मंे न्यायाधीश पी.यु. कुलकर्णी, एड. एस.एस. मगर, आशिष गोरेचा, एड. अनिल शिंदे, एड. दीपक अग्रवाल, सतीश मगर, एड. सुनील सोमानी समेत सभी ग्रामपंचायतों के सरपंच, सचिव, पटवारी, प्रल्हाद पाटिल, अभियान मुले, कमल नाईक, आकाराम राठोड आदि उपस्थित थे । एड. आशिष गोलेच्या ने बताया कि महिलाओ के लिए कानून में अनेक नियोजन किए गए है । धारा 125 सीआरपीसी के अनुसार महिलाओं को अपने गुज़ारे के लिए पति से गुज़ारा मांगने का अधिकार है । साथही सर्वोच्च न्यायालय ने भी स्पष्ट किया है की प्रत्येक पति पर उसकी पत्नि और बच्चों के खान-पान की व्यवस्था करने की जवाबदारी है । साथही वरिष्ठ नागरिक कानून के अनुसार प्रत्येक वरिष्ठ व्यक्ति का ध्यान रखना उनके पाल्याें की जवाबदारी है । एड. शंकर मगर ने कुल कानून पर मार्गदर्शन किया । साथही महिलाओं को समान अधिकार और कानून तथा प्रत्येक नागरिक से अपने अधिकारों के प्रति जागरुक रहने की अपील भी की । न्यायाधीश पी.यू. कुलकर्णी ने अनेक कानूनों को लेकर गहन मार्गदर्शन किया । कानून आपके द्वार संकल्पना के अनुसार गांव-गांव में जाकर कानून विषयक मार्गदर्शन करने का प्रयास किया जा रहा है और प्रत्येक नागरिक को कानून को लेकर अवगत कराने के लिए इस शिविर का आयोजन किए जाने की जानकारी दी गई । इस अवसर पर लोक आदालत में सामाजिक शिकायतों का निवारण कैसे करे, इस सम्बंध में दिवाणी न्यायाधीश जी.एस. बडगुजर ने मार्गदर्शन करते हुए बताया कि सोशल मीडिया के उपयोग पर ध्यान रखना आवश्यक है । गलत संदेश भेजनेवालों की पोस्ट वायरल करना कानूनन अपराध है । शिविर का सूत्रसंचालन एड. अनिल शंकरराव शिंदे ने तो प्रस्ताविक एड. शंकरराव मगर ने किया ।