हर्षोल्लास के साथ सलेहा क्षेत्र में मनाया गया कजलियां पर्व

सलेहा हर्षोल्लास के साथ सलेहा क्षेत्र में मनाया गया कजलियां पर्व

Bhaskar Hindi
Update: 2022-08-13 09:40 GMT
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डिजिटल डेस्क, सलेहा । सलेहा नगर में प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी  बड़े धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान सलेहा नगर में स्थित धनउयां तालाब में नगर की माताएं एवं बहिनें परिजनों के साथ कजलियां लेकर आते हैं और पूजन विधि के उपरांत कजलियों का जल में विसर्जन कर उनका पूजन करके देवी-देवताओं को चढ़ाई जाती है। इसके उपरांत परिजनों तथा इष्ट मित्रों को कजलियां प्रदान की जाती हैं और सभी की लंबी आयु की कामना की जाती है। नगरवासियों द्वारा बताया गया कि कजलियां मुख्य रूप से बुंदेलखंड में राखी के दूसरे दिन की जाने वाली एक परंपरा है। जिसमें नागपंचमी के दूसरे दिन खेतों से लाई गई मिट्टी को बर्तनों में भरकर उसमें गेहूं बोएं जाते हैं और उन गेंहू के बीजों में रक्षाबंधन के दिन तक गोबर की खाद और पानी दिया जाता है और देखभाल की जाती है। इसका प्रचलन राजा आल्हा-ऊदल के समय से है। यह पर्व अच्छी बारिशए अच्छी फसल और जीवन में सुख-समृद्धि की कामना से किया जाता है। तकरीबन एक सप्ताह में गेहूं के पौधे उग आते हैं जिन्हें कजलियां कहा जाता है। फिर रक्षाबंधन के दूसरे दिन महिलाओं द्वारा इनकी पूजा-अर्चना करके इन टोकरियों को जल स्त्रोतों में विसर्जित किया जाता है। इस पर्व में रक्षाबंधन के दूसरे दिन एक-दूसरे को देकर शुभकामनाएं दी जाती है और घर के बुजुर्गों से आशीर्वाद लिया जाता हैं। श्रावण मास की पूर्णिमा तक ये कजलियां चार से छह इंच की हो जाती हैं। कजलियों के दिन महिलाएं पारंपरिक गीत गाते हुए और गाजे-बाजे के साथ तट या सरोवरों में कजलियां विसर्जन के लिए ले जाती हैं। इस दौरान सलेहा नगर, क्षेत्र के सामाजिक एवं गणमान्य उपस्थित रहते हैं। 

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