गीदड़ भभकी: जर्जर मकान को तोडऩे में ननि के अफसरों को आया पसीना
कटनी गीदड़ भभकी: जर्जर मकान को तोडऩे में ननि के अफसरों को आया पसीना
डिजिटल डेस्क,कटनी शहर के अंदर जर्जर चिन्हित मकानों को जमींदोज करने की कार्यवाही फिर से गीदड़ भभकी में तब्दील हो गई। सोमवार को घंटाघर के पास जर्जर भवन को हटाए जाने को लेकर कार्यपालन यंत्री अपने आदेश का ही पालन नहीं कर सके। 16 जून को तैयारियों के संबंध में नगर पुलिस अधीक्षक, राजस्व और नगर निगम के अन्य शाखा को पत्र जारी करते हुए कहा था कि उक्त जगह से जर्जर मकान हटाया जाना है। इसके लिए नियत दिनांक को पूरी व्यवस्था रखें। संबंधित शाखाओं केकर्मचारियों ने तैयारी भी की थी। इसके बावजूद दोपहर तक ईई ने इसकी सुधनहीं ली। निगमायुक्त ने कहा कि अचानक से नोडल अधिकारी को किसी काम सेभोपाल जाना पड़ गया। जिसके चलते इस तरह की स्थिति निर्मित हुई। अगली पेशीमें जर्जर मकान को तोडऩे की कार्यवाही की जाएगी।
39 मकानों से खतरा
जर्जर मकानों और बिल्डिंगों से सभी जगहों पर राहगीरों को खतरा मंडरा रहा है। इसकी तैयारी बरसात के पहले ही नगर निगम ने की थी। शहर के अंदर करीब 66 जर्जर मकान चिन्हित किए गए थे। जिसमें से कुछ मकानों में सुधार की गुंजाईश रही। मकान मालिकों को सुधार के निर्देश दिए गए, लेकिन 39 मकान ऐसे रहे, जो पूरी तरह से उम्रदराज हो चुके थे। किसी मकान के छत से लोहे की सरिया बाहर निकल आई थी तो कई मकान ऐसे भी रहे। जिनकी दीवारों में बीच-बीच से बड़ी-बड़ी दरारें आ गई थीं। इंजीनियरों के प्रतिवेदन पर नगर निगम के अफसरों ने माना कि बरसात में ये जर्जर मकान राहगीरों के लिए जानलेवा साबित होंगे। जिससे इन्हें तोड़ा जाना जरुरी है।
इस तरह से रही तैयारी
इसकी सूचना कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को भी नोडल अधिकारी ने दी थी। इसके साथ एसडीएम कटनी को कार्यपालिक मजिस्ट्रेट हेतु पत्र लिखा गया था। नगर निगम आयुक्त को भी इसकी पूर्व सूचना दी गई थी। तहसीलदार से आवश्यक कार्यवाही के संबंध में मदद मांगी गई थी। नगर पुलिस अधीक्षक और कोतवाली पुलिस को सुरक्षा बल मुहैया कराए जाने के संंदर्भ में भी उल्लेख किया गया था। इसके साथ विद्युत विभाग के अधिकारियों को भी पत्र लिखा गया था।अतिक्रमण प्रभारी को अधीनस्थ अमले के साथ उपस्थित रहने के निर्देश दिए गए थे।
दो वर्ष बाद हुई थी पहल
जानलेवा मकानों को हटाने की कार्यवाही दो वर्ष बाद शुरु हुई थी। कार्यवाही में संकट के बादल फिर से मंडराते हुए दिखाई दे रहे हैं। कोरोना संक्रमण काल में कुछ समय तक के लिए जर्जर मकान मालिकों को न्यायालय ने राहत दिया था। नगर निगम के अफसर इसी का सहारा लेते हुए पूरे एक वर्ष तक टाल-मटोल रवैया अपनाए रहे। पिछले वर्ष बारिश में एक जर्जर मकान का छज्जा एक युवक के ऊपर गिर गया था। जिससे उसकी मौत हो गई थी। अफसरों ने दोबारा जर्जर मकानों की सुध ली और पाया कि अब इन्हें तोड़ा जाना जरुरी है।
इनका कहना है
उक्त मकान को तोड़ा जाना था, लेकिन नोडल अधिकारी को आवश्यक कार्य से भोपाल जाना पड़ गया जिसके चलते यह कार्य स्थगित करना पड़ा। अगली पेशी में मकान तोडऩे की कार्रवाई की जाएगी।
- सत्येंद्र धाकरे, निगमायुक्त