आरएनटीयू के भारतीय साहित्य एवं संस्कृति शोध केंद्र द्वारा अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन
रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय आरएनटीयू के भारतीय साहित्य एवं संस्कृति शोध केंद्र द्वारा अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन
डिजिटल डेस्क, भोपाल। प्रवासी भारतीय साहित्य एवं संस्कृति शोध केंद्र मानविकी एवं उदार कला संकाय रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय भोपाल के तत्वाधान में विश्वरंग 2022 के अंतर्गत ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की गई। जिसमें विश्व के विभिन्न देशों से बुद्धिजीवी साहित्यकार व शिक्षाविद सम्मिलित हुए। संगोष्ठी का विषय था "यूरोप के देशों में हिंदी और भारतीय संस्कृति"।
इस विषय पर सर्वप्रथम बेल्जियम से सम्मिलित हुए कपिल कुमार जी ने अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि 27 वर्ष पूर्व जब वे बेल्जियम आए थे तो संवाद कायम करने के लिए तीन भाषाओं का अध्ययन किया। लेकिन फिर भी हिन्दी और भारतीय संस्कृति को सहेजकर रखा ताकि अपनी आने वाली पीढ़ी को वह विरासत सौंप सके। अपने विचारों को समाप्त करते हुए उन्होंने कहा कि वेदों की भूमि से निकलने वाला ज्ञान ही सर्वव्यापी होगा।
ब्रिटेन से सम्मिलित हुई डॉ. वंदना मुकेश ने बताया कि कैसे हिंदी और भारतीय संस्कृति को जीवित रखने में यूरोप में धर्मस्थल कैसे महती भूमिका अदा करते हैं। वहाँ होने वाले धार्मिक आयोजन अपनी संस्कृति को अक्षुण्ण रखते हैं। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि हिंदी भाषा को जीवित रखने में हिन्दी फिल्मों का भी महत्वपूर्ण योगदान है।
स्वीडन से जुड़े हाइन्स वरनर वेसलर ने कहा कि यूरोप के देशों में हिंदी और भारतीय संस्कृति को लोग जानना और पढ़ना चाहते हैं। वहाँ इंडोलॉजी, तुलनात्मक भाषा शास्त्र को लेकर लोगों में रुचि बढ़ी है। संस्कृत, प्राकृत और हिंदी को काफी लोग पढ़ना चाहते हैं। पुर्तगाल से सम्मिलित हुए डॉ. शिव कुमार सिंह ने कहा कि पुर्तगाल और भारत के सदैव अच्छे संबंध रहे हैं। संस्कृत और हिंदी के प्रति भी काफ़ी रुचि है। गीता का अनुवाद भी पुर्तगाली भाषा में हो चुका है। जर्मनी से सम्मिलित हुए रामप्रसाद भट्ट जी ने जर्मनी में हिन्दी भाषा के विकास और उसकी बढ़ती अहमियत पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम की अध्यक्षता संतोष चौबे जी, कुलाधिपति रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय ने की। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि पुष्पिता अवस्थी नीदरलैंड थी।
मानविकी एवं उदारकला संकाय की अधिष्ठाता डॉ.संगीता जौहरी के स्वागत उदबोधन के साथ गोष्ठी का आरंभ हुआ। प्रवासी भारतीय साहित्य एवं संस्कृति शोध केंद्र की समन्वयक डॉ. मौसमी परिहार ने कार्यक्रम में आभार वक्तव्य दिया। कार्यक्रम का सफल संचालन प्रवासी भारतीय साहित्य एवं संस्कृति शोध केंद्र के सलाहकार डॉ जवाहर कर्णावट ने किया।