आरएनटीयू में नई शिक्षा नीति के संबंध में भाषा, साहित्य और भाषा विज्ञान में नवाचार पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित

रबींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय आरएनटीयू में नई शिक्षा नीति के संबंध में भाषा, साहित्य और भाषा विज्ञान में नवाचार पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित

Bhaskar Hindi
Update: 2022-11-11 08:54 GMT

डिजिटल डेस्क, भोपाल। नई शिक्षा नीति के संबंध में भाषा, साहित्य और भाषा विज्ञान में नवाचार पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन भाषा शिक्षा केंद्र, मानविकी और उदार कला संकाय द्वारा ग्रैंड एकेडमिक पोर्टल (जीएपी) और सरकारी एमएलबी गर्ल्स पीजी कॉलेज, भोपाल के संयुक्त तत्वावधान में  किया आयोजित किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि एवं राव अकादमी की निदेशक शिक्षाविद एवं सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी अरुणा मोहन ने कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्जवलित कर किया। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता रबींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय, भोपाल के कुलाधिपति संतोष चौबे ने की, जबकि समापन सत्र की अध्यक्षता आईसेक्ट ग्रुप ऑफ यूनिवर्सिटीज की निदेशक डॉ. अदिती चतुर्वेदी ने की। इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के संयोजक डॉ रुचि मिश्रा तिवारी के अनुसार प्रतिष्ठित भारतीय विश्वविद्यालयों और कॉलेजों से 75 शोध पत्र प्राप्त हुए और शोध पत्र समीक्षा के बाद लगभग 25 शोध पत्रों को प्रस्तुति के लिए चुना गया है।

इस दो दिवसीय सम्मेलन में जाने-माने देशभर से आए शिक्षाविदों ने उपरोक्त विषय पर अपने विचार साझा किए। इस अवसर पर मुख्य अतिथि और सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी और राव अकादमी के निदेशक शिक्षाविद अरुणा मोहन राव ने कहा कि एनईपी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को आकार देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। उन्होंने आगे कहा कि एनईपी रोजगार और शिक्षा को पाटने में मददगार हो सकता है। इस श्रृंखला में डीन, अंग्रेजी विभाग, विल्सन कॉलेज, मुंबई और सम्मानित अतिथि डॉ मिशेल फिलिप ने एनईपी पर अपने विश्लेषित विचारों को साझा किया और शिक्षक के लिए "दृष्टि की अभिव्यक्ति" पर प्रकाश डाला। उन्होंने यह भी कहा कि एनईपी के माध्यम से एक तरह की रचनात्मकता और शिक्षा नीति में सुधार किया जा सकता है। इसी क्रम में सम्मेलन के मुख्य वक्ता प्रो मंजुला श्रीनिवास, डीन, सेंटर फॉर डिज़ाइन थिंकिंग एंड लिबरल आर्ट्स, एसओआईएल  इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, नई दिल्ली ने मूल्यवान अंतर्दृष्टि साझा की और कहा, “टीचिंग-लर्निंग प्रक्रिया में मानवीय दृष्टिकोण पर जोर दिया जाना चाहिए”। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि अनुभवात्मक अधिगम दृष्टिकोण को अपनाकर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त की जा सकती है। डॉ सीमा रायज़ादा, विशिष्ट अतिथि और अंग्रेजी के प्रोफेसर, गवर्न्मेंट पीजी गर्ल्स कॉलेज भोपाल ने कहा कि भाषा बच्चों के लिए बाधा उत्पन्न करती है और एनईपी इस चुनौती से उबरने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि टीचिंग-लर्निंग में "समुदाय की भागीदारी" पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उद्घाटन सत्र में आरएनटीयू के कुलपति डॉ ब्रम्ह प्रकाश पेठिया ने एनईपी पर महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि साझा की और कहा, “नई शिक्षा नीति शिक्षा का क्षैतिज दृष्टिकोण प्रदान कर रही है”। इस सम्मेलन की अध्यक्षता आरएनटीयू के कुलाधिपति संतोष चौबे ने की। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में संतोष चौबे ने कहा कि एनईपी भारतीय समाज को समझने का एक उपकरण प्रदान करता है। उन्होंने भाषाओं के महत्व एवं नवाचार और अनुसंधान में एनईपी की भूमिका पर भी चर्चा की और कहा की नई शिक्षा नीति द्वारा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के बारे में सोचा जाना संभव किया जा सकता है। दो दिवसीय सम्मेलन में सरोजिनी नायडू गवर्नमेंट गर्ल्स पीजी कॉलेज की प्रोफेसर डॉ. इंदिरा जावेद, डॉ. प्रीति ओझा, एसोसिएट प्रोफेसर, अंग्रेजी विभाग, सेंट एंड्रयूज कॉलेज, मुंबई, डॉ. नीलक दत्ता, प्रोफेसर, मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान, बिट्स पिलानी, गोवा, डॉ. राम प्रसाद भट्ट, रीडर और सीनियर रिसर्च एसोसिएट, हैम्बर्ग जर्मनी विश्वविद्यालय, प्रो. राशिद नेहल, अंग्रेजी विभाग, एएमयू, अलीगढ़ ने एनईपी पर अपनी बहुमूल्य अंतर्दृष्टि साझा की। सम्मेलन के अंत में आरएनटीयू की प्रतिकुलपति डॉ. संगीता जौहरी ने अतिथियों का औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन किया। इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का संयोजन एवं समन्वयन डॉ. रुचि मिश्रा तिवारी, विभागाध्यक्ष, भाषा विद्यापीठ द्वारा किया गया। डॉ. रुचि मिश्रा तिवारी ने सह-संपादक डॉ. राकेश खरे और डॉ. अन्नू सक्सेना के साथ सम्मेलन के विषय पर एक पुस्तक का संपादन भी किया गया। इस संपादित पुस्तक का विमोचन इसी अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में किया गया है।

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