कैलाश विजयवर्गीय के खिलाफ लगी याचिका खारिज, बने रहेंगे विधायक

कैलाश विजयवर्गीय के खिलाफ लगी याचिका खारिज, बने रहेंगे विधायक

Bhaskar Hindi
Update: 2017-11-03 10:18 GMT
कैलाश विजयवर्गीय के खिलाफ लगी याचिका खारिज, बने रहेंगे विधायक

डिजिटल डेस्क,इंदौर। करीब 45 महीनों की सुनवाई और ढेरों गवाहों की गवाही के बाद आखिरकार बीजेपी राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय की विधायकी पर फैसला आ गया है। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने कैलाश विजयवर्गीय के खिलाफ लगी चुनाव याचिका को खारिज कर दिया है। फैसले के बाद यह तय हो गया कि कैलाश विजयवर्गीय महू विधानसभा सीट से विधायक बने रहेंगे। सुनवाई के दौरान विजयवर्गीय के खिलाफ आचार संहिता के उल्लंघन से जुड़े आरोप सही नहीं पाए गए।

क्या था मामला ?

दरअसल 20 जनवरी 2014 को कैलाश विजयवर्गीय के खिलाफ याचिका दायर की गई थी। महू विधानसभा सीट पर कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले अंतरसिंह दरबार की ओर से लगाई गई याचिका में कहा गया था कि विजयवर्गीय ने चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन किया। उनका चुनाव निरस्त किया जाए। पहले यह मामला जबलपुर हाईकोर्ट में दायर किया गया था जिसे बाद में इंदौर बेंच में शिफ्ट कर दिया गया। कांग्रेस के अंतर सिंह दरबार की तरफ से एडवोकेट रवींद्र सिंह छाबड़ा ने पैरवी की तो वहीं वीरकुमार जैन ने विजयवर्गीय का पक्ष रखा। बता दें करीब 45 महीने चली सुनवाई के दौरान 91 पेशियां हुईं। याचिकाकर्ता अंतर सिंह दरबार की तरफ से 75 दस्तावेज पेश किए गए। इनमें 5 सीडी भी शामिल थीं।

कई गवाहों ने दी गवाही

हाईकोर्ट में दायर याचिका में अंतरसिंह दरबार ने 21 गवाहों के बयान कराए, तो वहीं कैलाश विजयवर्गीय के पक्ष में 15 गवाहों ने गवाही दी। कोर्ट ने भी अपनी तरफ से कोर्ट विटनेस के रूप में चार लोगों को गवाही के लिए बुलाया। इनमें मानपुर सीएमओ आधार सिंह, तत्कालीन उपजिला निर्वाचन अधिकारी संतोष टैगोर, कांस्टेबल मनोज और कांस्टेबल अनिल हैं। कोर्ट ने याचिका में चार मुद्दे बनाए थे। इनमें मोहर्रम के कार्यक्रम में विजयवर्गीय द्वारा मंच पर मेडल और ट्रॉफी बांटना, पेंशनपुरा में चुनाव प्रचार के दौरान आरती उतारने वाली महिलाओं को नोट बांटना, मतदाताओं को शराब बांटना और मुख्यमंत्री द्वारा चुनावसभा में मेट्रो को महू तक लाने और गरीबों को पट्टे देने की घोषणा शामिल रहे।
 

Similar News