गांधीग्राम में बेमियादी धरना आंदोलन शुरू, पुल की समस्या से ग्रामीणों में असंतोष

आंदोलन गांधीग्राम में बेमियादी धरना आंदोलन शुरू, पुल की समस्या से ग्रामीणों में असंतोष

Bhaskar Hindi
Update: 2022-11-16 13:36 GMT
गांधीग्राम में बेमियादी धरना आंदोलन शुरू, पुल की समस्या से ग्रामीणों में असंतोष

डिजिटल डेस्क, दहिहांडा. अकोट से अकोला मार्ग पर गांधीग्राम स्थित पूर्णा नदी पर बना हुआ ब्रिटिशकालीन पुल प्रशासन ने बंद किया है। लेकिन वैकल्पिक मार्ग की समस्या का समधान प्रशासन ने  अब तक नहीं किया है, ऐसा आरोप लगाते हुए चोहोट्‌टा परिसर के सर्वपक्षीय संघर्ष समिति ने इस समस्या पर आवाज उठाने के लिए आंदोलन का पैतरा अपनाया है। इस समस्या से जूझ रहे लोगों को न्याय दिलाने के लिए गांधीग्राम में मंगलवार से बेमियादी धरना आंदोलन शुरू कर दिया है। इस आंदोलन को सभी स्तरों से समर्थन मिलने का दावा आंदोलकों ने किया है। गांधीग्राम स्थित पुल को नीचे से दरारे आने से यह पुल दैनिक यातायात के लिए बंद किया गया है। यहां से केवल पैदल ही आवागमन की अनुमती है।

जिससे अकोट तहसील के लोग परेशान हो रहे हैं। प्रशासन की ओर से अब तक वैकल्पिक मार्ग भी उपलब्ध नहीं करवाया गया है। अंतत: इस समस्या पर आक्रोशित जनता ने आवाज उठाते हुए 15 नवंबर को सर्वपक्षीय संघर्ष समिति के माध्यम से गांधीग्राम में गांधी स्मारक के सामने निषेधात्मक धरणा आंदोलन का निर्णय लिया और  इस को शुरू कर दिया है। पुल बंद होने से वैकल्पिक मार्ग की मांग उठाते हुए  अकोट तहसील के नागरिकों ने 31 अक्टूबर को जिलाधिकारी कार्यालय में जाकर ज्ञापन सौंपा था। ज्ञापन पर संघर्ष समिति के मनोहर शेलके, डा. पुरूषोत्तम दातकर समेत कई नागरिकों के दस्तखत थे। वहीं जिलाधिकारी ने भी स्वयं पुल पर जाकर जाएजा लिया था। इस पुल का स्ट्रक्चरल आडीट कर तथा आवश्यक मरम्मत कर दुपहिया वाहन और हलके वाहनों के लिए यह पुल खुला कर देने को लेकर आश्वासित किया गया था। लेकिन उस पर अब तक कोई भी अमल नहीं हो पाया है, ऐसा सर्वपक्षीय संघर्ष समिति का कहना है। लिहाजा 15 नवंबर से सर्वपक्षीय संघर्ष समिति के माध्यम से गांधीग्राम में गांधी स्मारक के सामने निषेधात्मक धरणा आंदोलन शुरू किया गया है, ऐसी जानकारी सर्व पक्षीय संघर्ष समिति की ओर से दी गई है। 

आंदोलन में यह थे शामिल 

गांधीग्राम में आज शुरू हुए आंदोलन में संघर्ष समिति के मनोहर शेलके, डा. पुरूषोत्तम दातकर समेत, राजेंद्र मंगले, राजेंद्र एखे, मोहम्मद खालीद,  सुनील अघड़ते, इबादुल्लाखां साहेबखां, प्रभाकर वाघमारे, दिलीप लेलेकर, प्रभाकर वाघमारे, शेख सलीम शेख खुदबी साहब, दिलीप अवधुत, सिध्दार्थ पलसपगार, श्रीकांत गाडेकर, निरंजन दामोदर, सारंगधर मार्के, गवई, मंगेश ताडे, बाबाराव इंगले, भोकरे पाटील, सुरेंद्र ओईंबे, सुनील बांगर, गणेश बुटे, मंगेश टाले, बालु इंगले,वसु पाटील, चेतन पतंगे, विशाल लांडे, निलेश बगाडे, विवेक काकड, दीपक इंगले, कालेखां  पठाण, संजय  मांजरे, निरंजन दामोदर, मनोहर मार्के, केशव बिहाडे, पंकज साबले, अरविंद शुक्ला, शरद भाऊ,  रामदास काठोले समेत कई पदाधिकारी, कार्यकर्ता, नागरिक शामिल हो गए थे। अब इस आंदोलन पर प्रशासन की नीति क्या होती है, इस ओर जनता का ध्यान लगा हुआ है।

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