हाईकोर्ट ने दिए शिक्षा संस्थाओं को शिक्षक नियुक्त करने के लिए आदेश

हाईकोर्ट ने दिए शिक्षा संस्थाओं को शिक्षक नियुक्त करने के लिए आदेश

Bhaskar Hindi
Update: 2019-08-27 12:14 GMT
हाईकोर्ट ने दिए शिक्षा संस्थाओं को शिक्षक नियुक्त करने के लिए आदेश

डिजिटल डेस्क,नागपुर। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने साफ किया कि कॉलेजों में पाठ्यक्रम पढ़ाने के लिए कम से कम एक नियमित शिक्षक और तय सीमा तक कंट्रीब्यूटरी शिक्षक जरूरी है। ऐसे में हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता महिला विकास संस्था समेत 20 शिक्षा संस्थाओं को नियमित शिक्षक और कांट्रिब्यूटरी शिक्षक नियुक्त करने के लिए आदेश दिए। नियमित शिक्षक नहीं मिलें, तो कॉलेज किसी सेवानिवृत्त शिक्षक को भी नियुक्त कर सकते हैं। इसी शर्त पर हाईकोर्ट ने उनके प्रथम वर्ष प्रवेश पर नागपुर विश्वविद्यालय द्वारा लगाया प्रतिबंध हटा दिया। ये कॉलेज 4 सितंबर तक विद्यार्थियों को प्रवेश दे सकते हैं। उन्हें अगले दो माह के भीतर नियमित शिक्षक की नियुक्ति करनी होगी, उसके अगले दो माह नागपुर यूनिवर्सिटी नियुक्ति प्रक्रिया की पड़ताल करेगा। 

अधिकारी हुए हाजिर

हाईकोर्ट के पिछले आदेशानुसार यूनिवर्सिटी के  प्रकुलगुरु, कुलसचिव, 4 अधिष्ठाता, उपकुलसचिव अधिकारी सुनवाई में उपस्थित हुए। उनका पक्ष रखते हुए यूनिवर्सिटी के अधिवक्ता अरुण अग्रवाल ने कोर्ट को बताया कि यूजीसी और विश्वविद्यालय अधिनियम के अनुसार कॉलेज में पाठ्यक्रम पढ़ाने के लिए कम से कम एक नियमित शिक्षक होना जरूरी है। कॉलेजों को यह छूट दी जा सकती है कि उन्हें नियमित शिक्षक पद पर योग्य उम्मीदवार नहीं मिल रहा हो, तो वे किसी सेवानिवृत्त शिक्षक को नियुक्त कर सकते हैं। विश्वविद्यालय ने शिक्षक नियुक्त करते ही प्रवेश पर से प्रतिबंध हटाने का निर्णय ले रखा है। मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया। 

यह है मामला

याचिकाकर्ता के अनुसार नागपुर यूनिवर्सिटी ने उनके यहां पाठ्यक्रम में पढ़ाने के लिए फुल टाइम शिक्षक नहीं होने का कारण बताते हुए प्रवेश प्रतिबंधित किया, लेकिन उनके यहां मान्यता प्राप्त शिक्षक उपलब्ध हैं, जो अध्यापन करने के लिए सक्षम हैं। विवि का स्वयं का नियम है कि ये शिक्षक दो विषय से ज्यादा नहीं पढ़ा सकते, इसलिए इन्हें फुल टाइम शिक्षक का दर्जा नहीं मिलेगा। कॉलेजों की दलील थी कि शिक्षकों के पद रिक्त होने पर नागपुर विवि ने अपने विभागों मंे तो कांट्रैक्ट शिक्षकों की नियुक्ति की, लेकिन कॉलेजों को ऐसा करने से रोक दिया। कॉलेजों की दलील है कि उन्हें भी कांट्रैक्ट शिक्षकों की नियुक्ति करने के अधिकार होना चाहिए। मामले मंे याचिकाकर्ता की ओर से एड. भानुदास कुलकर्णी ने पक्ष रखा।

2 याचिकाकर्ता कॉलेजों के नाम पर आपत्ति 

प्रवेश प्रतिबंधित करने के नागपुर विश्वविद्यालय के निर्णय खिलाफ  कुल 20 शिक्षा संस्थाओं ने मिलकर हाईकोर्ट में यह याचिका दायर की थी। नागपुर विश्वविद्यालय ने कोर्ट में प्रस्तुत अपने शपथपत्र में 2 याचिकाकर्ता शिक्षा संस्थाओं पर आक्षेप लिया। यूनिवर्सिटी ने कोर्ट में दलील दी कि सती माता शिक्षा संस्था द्वारा संचालित डॉ.उमाठे आर्ट एंड कॉमर्स कॉलेज ने तो वर्ष 2019-20 के लिए पाठ्यक्रम की संलग्नता के नवीनीकरण के लिए आवेदन ही नहीं किया है। इसी तरह वीएसपीएम एकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन के  वाड़ी स्थित जे.एन.आर्ट्स कॉमर्स एंड साइंस कॉलेज के तो प्रवेश ही प्रतिबंधित नहीं किए हैं। दोनों संस्थाएं इस मामले में याचिकाकर्ता क्यों बनी हैं, यह बात समझ के बाहर है।

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