पर्यटन नगरी में धरोहरों की बढ़ेगी चमक, भारतीय परंपरानुसार स्वागत करेंगे गार्ड, बढ़ेगा रोजगार
पर्यटन नगरी में धरोहरों की बढ़ेगी चमक, भारतीय परंपरानुसार स्वागत करेंगे गार्ड, बढ़ेगा रोजगार
वल्र्ड हैरिटेज की सूची में शामिल ओरछा में अगले साल आएगी यूनेस्को की टीम, ऐतिहासिक स्थलों की खूबसूरती निखारने के लिए बनेगा मास्टर प्लान
डिजिटल डेस्क टीकमगढ़ ओरछा । ओरछा में ऐतिहासिक धरोहरों की चमक बढ़ेगी। धरोहर तक पहुंचने वाले मार्ग को सुगम किया जाएगा। गार्ड नियुक्त किए जाएंगे, जो सैलानियों के पहुंचते ही भारतीय परंपरानुसार उनका स्वागत करेंगे। पर्यटन नगरी में गंदगी का निशान नहीं मिलेगा। इससे सैलानियों की संख्या में वृद्धि होगी और स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलेगा। वल्र्ड हेरिटेज की सूची में आने के बाद अब ओरछा में मंदिर के अलावा अन्य धरोहरों का कैमिकल ट्रीटमेंट किया जाएगा।
पर्यटन नगरी ओरछा और ग्वालियर यूनेस्को ने अर्बन लैंडस्कैप सिटी प्रोग्राम के तहत वल्र्ड हेरिटेज सिटी की सूची में शामिल कर लिया है। बुंदेलखंड में स्थित खूबसूरत ओरछा का इतिहास बेहद खास है। नैसर्गिक सौंदर्य के साथ ही मंदिर, भवन, दुर्ग और सुंदर इमारतें पर्यटन नगरी के वैभव की कहानी सुनाते हैं। ओरछा मंदिरों और महलों के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। अब यूनेस्को ओरछा और ग्वालियर के ऐतिहासिक स्थलों को बेहतर बनाने और उसकी खूबसूरती निखारने के लिए पर्यटन विभाग के साथ मिलकर मास्टर प्लान तैयार करेगा। वर्ष 2021 में यूनेस्को की टीम मध्य प्रदेश आएगी और यहां की हेरिटेज सम्पदा को देखकर मास्टर प्लान तैयार करेगी। यह परियोजना भारत और दक्षिण एशिया के लिए एक मिसाल कायम करेगा। इस परियोजना के तहत यूनेस्को ऐतिहासिक शहरों के लिए एचयूएल की सिफारिश पर आधारित शहरी विकास के लिए सबसे बेहतर तरीके और साधनों का पता लगाएगा। यूनेस्को के मुताबिक ग्वालियर और ओरछा दोनों के ऐतिहासिक केंद्रों ने धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ाया है। शहरों की आर्थिक उन्नति में काफी योगदान दिया है। यह तेजी से और अनियंत्रित शहरीकरण और निरंतर पर्यटन के नकारात्मक प्रभावों के साथ किया गया है।
यूनेस्को दुनिया भर के उन स्थलों
की पहचान करती है, जिसे मानव द्वारा उत्कृष्ट मूल्यों का माना जाता है। इन स्थलों में मानव निर्मित इतिहास और प्राकृतिक दोनों तरह के स्थल या इमारतें शामिल होते हैं। यूनेस्को ऐसी ही सभी विश्व धरोहरों को प्रोत्साहन देने का कार्य करता है। इन धरोहरों को सूचीबद्ध कर अंतरराष्ट्रीय संधियों और कानूनों के जरिए संरक्षण दिया जाता है। यूनेस्को नई दिल्ली एचयूएल सिफारिश के दृष्टिकोण के जरिए वहां के स्थानीय कार्यान्वयन के लिए महत्वपूर्ण ट्रेनिंग और तकनीकी विशेषज्ञता की पेशकश करेगा। इस परियोजना के तहत बहुस्तरीय जुड़ाव को भी शामिल किया जाएगा। जैसे शहरी स्थानीय निकाय, नागरिक प्राधिकरण और समुदाय में हितधारकों के बीच दीर्घकालिक साझेदारी, जागरुकता और सांस्कृतिक विरासत संरक्षण, और सतत विकास के बीच संबंध विकसित करना होगा।