डेंगू के इलाज का भुगतान नहीं किया एचडीएफसी इंश्योरेंस कंपनी ने

बीमित का आरोप: महीनों से परेशान कर रहे हैं क्लेम डिपार्टमेंट के लोग डेंगू के इलाज का भुगतान नहीं किया एचडीएफसी इंश्योरेंस कंपनी ने

Bhaskar Hindi
Update: 2022-08-19 08:31 GMT
डेंगू के इलाज का भुगतान नहीं किया एचडीएफसी इंश्योरेंस कंपनी ने

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। पॉलिसी धारक का क्लेम किस आधार पर रोकना और केस कैसे रिजेक्ट करना है, यह पूरा गोलमाल क्लेम डिपार्टमेंट व सर्वेयर टीम के साथ ही ब्रांच के अधिकारियों द्वारा पहले से तय कर लिया जाता है। यह आरोप बीमितों द्वारा लगाया जा रहा है। बीमा कंपनी में सारे तथ्य देने के बाद भी बीमा कंपनी के जिम्मेदार पॉलिसी धारक को भटकाने व आश्वासन देने के बाद नो क्लेम का लैटर भेजकर शांत बैठ जाते हैं। बीमित बीमा कंपनी को मेल भेजे या फिर टोल-फ्री नंबर पर बात करे तो भी बीमा कंपनी के अधिकारी किसी तरह का जवाब नहीं देते। पीड़ितों का कहना है कि अगर कंपनियों के विरुद्ध कार्रवाई होगी तो आम लोगों को परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा और आसानी से उन्हें बीमा क्लेम का भुगतान प्राप्त होने लगेगा। प्रशासन से भी बीमा कंपनी के गोलमाल पर संज्ञान लेने की लगातार माँग पॉलिसी धारकों द्वारा की जा रही है।

इन नंबरों पर बीमा से संबंधित समस्या बताएँ 

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बीमा कंपनी ने क्लेम नहीं दिया तो जाना पड़ा कंज्यूमर कोर्ट

शहडोल जिले के ब्यौहारी निवासी शिवमोहन का कहना है कि उन्होंने एचडीएफसी इंश्योरेंस कंपनी से स्वास्थ्य बीमा कराया हुआ है। माँ गीता को डेंगू हो गया था। इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया तो बीमा कंपनी द्वारा अस्पताल में कैशलेस से इनकार कर दिया गया। बीमित को स्वयं के खर्च पर पूरा इलाज कराना पड़ा। ठीक होने के बाद बीमा कंपनी में सारे बिल व अस्पताल की रिपोर्ट सबमिट करते हुए क्लेम की डिमांड की गई, तो उसमें अनेक प्रकार की गलतियाँ निकाली गईं। इसके बाद जब चिकित्सक से दोबारा सत्यापित कराकर दस्तावेज दिए गए तो क्लेम डिपार्टमेंट, सर्वेयर टीम के सदस्यों के द्वारा किसी भी तरह की राहत नहीं दी गई। बीमा कंपनी के अधिकारी अस्पताल के चिकित्सक की रिपोर्ट को ही झूठा साबित करने में जुट गए। बीमित का आरोप है कि टोल-फ्री नंबर पर भी सही जवाब नहीं दिया जाता। यहाँ तक की चिकित्सक से फोन पर भी बात कराई गई पर बीमा अधिकारी ने उसमें भी गोलमाल कर दिया। बीमित का आरोप है कि जानबूझकर बीमा कंपनी के द्वारा परेशान किया गया। परेशानी के कारण उन्हें क्लेम पाने के लिए कंज्यूमर कोर्ट में केस लगाना पड़ा है।
 

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