फिल्म डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री की पुस्तक “लाल बहादुर शास्त्री मृत्यु या हत्या” का हुआ भव्य विमोचन

पुस्तक विमोचन फिल्म डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री की पुस्तक “लाल बहादुर शास्त्री मृत्यु या हत्या” का हुआ भव्य विमोचन

Bhaskar Hindi
Update: 2022-10-14 14:14 GMT
फिल्म डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री की पुस्तक “लाल बहादुर शास्त्री मृत्यु या हत्या” का हुआ भव्य विमोचन
हाईलाइट
  • देश को नहीं पता कि लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु दो बार हुई : विवेक अग्निहोत्री
  • रवीन्द्र भवन में पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में फिल्म निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने रखे विचार

डिजिटल डेस्क, भोपाल। विश्वरंग के पूर्व रंग के रूप में रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय भोपाल द्वारा प्रसिद्ध फिल्म निर्माता-निर्देशक श्री विवेक रंजन अग्निहोत्री लिखित "हू किल्ड शास्त्री" के हिंदी अनुवाद "लाल बहादुर शास्त्री मृत्यु या हत्या?" पुस्तक का भव्य विमोचन शुक्रवार कोरवीन्द्र भवन में किया गया। इस दौरान कार्यक्रम में मप्र के चिकित्सा शिक्षा मंत्री श्री विश्वास सारंगबतौर मुख्य अतिथि, रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री संतोष चौबे बतौर अध्यक्ष उपस्थित रहे। इसके अलावा पुस्तक विमोचन के दौरान मंच पर स्वयं फिल्म डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री, पुस्तक के अनुवादक विश्वास तिवारी और शिक्षाविद् श्री अमिताभ सक्सेना उपस्थित रहे। 

इस मौके पर श्री विश्वास सारंग जी ने कहा कि अच्छा लगता है भोपाल के बाशिंदे दुनिया में राज करते हैं रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय सिर्फ शिक्षा ही नहीं विद्यार्थियों को वैश्विक मंच भी प्रदान करता है। आजादी के बाद एक परंपरा बन गई कि तथ्यों को छुपाया जाए। विवेक रंजन अग्निहोत्री जी को बधाई देता हूं कि उन्होंने तथ्यों को सामने लाने का अथक प्रयास किया है। हमारे हजारों क्रांतिकारियों ने इस देश को स्वतंत्र करने के लिए बहुत कुछ किया है। उन्हें अब सामने लाने का बीड़ा विवेक जी ने उठाया है। इतिहास सही ढंग से प्रस्तुत करना चाहिए। गलतियों से हमें सीखना चाहिए। शास्त्री जी ने कहा था इस देश के युवा ही भविष्य हैं। उन्हें सही तथ्य हमें बताना होगा यह हमारी जिम्मेदारी है। हमें हमारी संस्कृति की फिक्र करनी चाहिए। अग्निहोत्री जी को बधाई देता हूं कि उन्होंने इस काम को पूरी निष्ठा और ईमानदारी से किया है।

श्री विवेक रंजन अग्निहोत्री जी ने कहाकि यह महत्वपूर्ण बात है कि इस किताब का हिंदी में विमोचन हो रहा है। विश्वरंग के बारे में बात करते हुए कहा कि यह पहले हम भूल गए थे कि कला ही समाज की आत्मा होती है। इस आत्मा को जीवित रखने का बीड़ा संतोष चौबे जी ने उठाया है, इसके लिए उनका बहुत बहुत आभार। उन्होंने मप्र शासन के मातृभाषा में विज्ञान और चिकित्सा शिक्षा प्रदान किए जाने की पहल की भी सराहना की और मंत्री विश्वास सारंग को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि इसके लिए पूरा देश आने वाले समय में मप्र को धन्यवाद देगा। 

समारोह में आगे अपने वक्तव्य में विवेक अग्निहोत्री ने कहा कि पहले लोग पूछते थे कि क्या इतने मुश्किल विषयों पर कार्य करते हुए आपको असफलता का डर नहीं लगा। तो मेरा जवाब यही रहा है कि जब आप धर्म की राह पर होते हैं और सही कार्य करते हैं तो असफलता होती ही नहीं है।

आगे वे कहते हैं कि फिल्म के क्षेत्र में ऑडियंस के पसंद पर फिल्में बनती हैं। इसलिए एक समय के बाद फिल्मों का स्तर गिरने लगता है और वे फ्लॉप होने लगती है। मैंने तय किया था कि मैं वो कहानियां सुनाऊंगा जिससे लोगों की वैश्विक स्तर की बौद्धिकता जागे, लोगों की नजर उन विषयों या कंटेंट की तरफ ले जाऊं जहां अक्सर लोग नहीं देखते हैं।अन्य फिल्मकार हिट फॉर्मूले को पकड़कर रीपीट करते रहते हैं। 
ताशकंद फाइल्स पर बात कहते हुए उन्होंने बताया कि शास्त्री जी पर फिल्म मैंने तब बनाई जब 2 अक्टूबर पर एक दिन बेटा बोला कि आज गांधी जयंती है। और मैंने उसे बताया कि आज हमारे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की भी जयंती है तो वह बोला कौन लाल बहादुर शास्त्री? तब मेरे मन में व्यथा उठी थी। और मैंने शास्त्री को लोगों तक पहुंचाने का ठाना था क्योंकि कमोबेश यह स्थिति भारत के बहुत बड़ी संख्या में युवाओं के साथ थी। इस फिल्म की रिसर्च के दौरान मैंने यह भी जाना कि शास्त्री जी की दो बार हत्या हुई थी। एक बार ताशकंद में और दूसरी बार भारत में तब हुई जब शास्त्री जी की मौत के विषय को पूरी तरह हमारे ही लोगों ने दबा दिया। जबकि शास्त्री जी ही वह व्यक्ति थे जिनके समय में हमने अपना पहला युद्ध जीता, हरित क्रांति, श्वेत क्रांति, न्यूक्लियर प्रोग्राम पर कार्य शुरू किया था। ऐसे व्यक्तित्व को इस देश को बिल्कुल भी भूलना नहीं चाहिए। 

विवेक अग्निहोत्री ने कहा कि इससे पहले मैंने पहली फिल्म बनाई थी ‘बुद्धा इन ए ट्रैफिक जाम’जिसके कारण ही आज अर्बन नक्सल पर देश में बात हो रही है। 
कार्यक्रम में स्वागत वक्तव्य श्री संतोष चौबे जी ने दिया। इसमें उन्होंने विश्वरंग की अवधारणा के बारे में बात करते हुए कहा कि दुनिया के सबसे बड़े "विश्व रंग" टैगोर अंतर्राष्ट्रीय साहित्य एवं कला महोत्सव का भव्य आयोजन इस बार भारत सहित विश्व के 50 देशों में एक साथ होगा। भारत में 14 नवंबर से 20 नवंबर 2022 तक कुशाभाऊ ठाकरे सभागार (मिंटो हॉल), रवीन्द्र भवन, रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय में भारतीय संस्कृति, साहित्य एवं कला पर केन्द्रित विभिन्न रचनात्मक सत्रों एवं गतिविधियों का आयोजन होगा। इस समारोह के जरिए हम हिंदी और भारतीय भाषाओं को वैश्विक पटल पर ले जाने का एक अनूठा प्रयास है। 

श्री विश्वास तिवारी जी ने पुस्तक की प्रस्तावना रखी।इस मौके पर लाल बहादुर शास्त्री के ऊपर एक शॉर्ट फिल्म का प्रदर्शन किया गया। इसमें फिल्म ताशकंद फाइल्स की मेकिंग और लाल बहादुर की एक चर्चित स्पीच के अंश शामिल थे।साथ ही दर्शकों एवं विशेषकर विद्यार्थियों के लिए क्विज सेशन आयोजित हुआ जिसमें आरजे अनुज द्वारा लाल बहादुर शास्त्री के जीवन से जुड़े कई सवाल पूछे गए। इसमें लाल बहादुर कहां के मुख्यमंत्री भी रहे चुके हैं, उनके प्रधानमंत्री बनने से पहले देश का कार्यकारी प्रधानमंत्री किसे बनाया गया था, आपातकाल लागू किए जाने की तारीख क्या थी इत्यादि जैसे सवाल शामिल रहे। सही जवाब देने वाले विजेताओं को श्री विवेक रंजन अग्निहोत्री जी की हस्ताक्षर वाली पुस्तक भेंट स्वरूप प्रदान की गई। मंच संचालन वरिष्ठ कला समीक्षक एवं टैगोर विश्व कला एवं संस्कृति केन्द्र के निदेशक श्री विनय उपाध्याय द्वारा किया गया। कार्यक्रम के अंत में डॉ अमिताभ सक्सेना जी ने सभी का आभार व्यक्त किया। 

 

 

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