गड़चिरोली में शराब बिक्री पर रोक लगाने विफल रही सरकार
गड़चिरोली में शराब बिक्री पर रोक लगाने विफल रही सरकार
डिजिटल डेस्क,गड़चिरोली। वर्ष 1993 में आदिवासी बहुल और नक्सल प्रभावित गड़चिरोली जिले में शराबबंदी का कानून लागू किया गया। मात्र इन 26 वर्षों की कालावधि में शराब की बिक्री पर पूर्णत: रोक लगाने में पुलिस विभाग पूरी तरह विफल साबित होती नजर आ रही है। इसके विपरीत गड़चिरोली जिले से सटे छत्तीसगढ़, आंध्रप्रदेश व तेलंगाना राज्य से यहां नकली शराब की तस्करी की जा रही है। इस कारोबार के लिए जिले में शराब तस्करों की डी-कंपनी सक्रिय होने की जानकारी विश्वसनीय सूत्रों से मिली है। सूत्रों के अनुसार जिला मुख्यालय के विभिन्न स्थानों पर इस तरह की शराब खुलेआम बेची जा रही हैं।
ऐसा नहीं है कि, पुलिस विभाग शराब विक्रेताओं के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रहा है। अपितु शराब के कारोबार में लिप्त बड़े तस्करों के खिलाफ विशेष कार्रवाई नहीं किए जाने से क्षेत्र में तस्करों के हौसले बुलंद हैं। जिसके चलते जिले के किसी भी स्थान पर अंगरेजी शराब के कीमती और बड़े ब्रैंड आसानी से खरीदे जा सकते हैं। मात्र इसमें भी अधिक आय कमाने के लिए कुछ शराब तस्करों द्वारा डी कंपनी की शराब बिक्री करने की जानकारी सामने आयी हैं। इसके लिए जिले से सटे गोंदिया, भंडारा और नागपुर जिले की सीमा से कुछ शराब तस्कर बड़े मात्रा में शराब का परिवहन कर रहे हैं।
बताया जाता है कि, यह शराब पूरी तरह नकली होकर इसकी खरीदी कीमत भी काफी कम होती है। जिसे गड़चिरोली के विभिन्न इलाकों में पहुंचाकर इसकी बिक्री अधिक दामों में की जा रही है। ज्ञात हो कि जिला मुख्यालय से समीपस्थ चातगांव के प्रसिद्ध समाजसेवी डा. अभय बंग के निरंतर प्रयासों के बाद जिले में शराबबंदी कानून लागू किया गया। गत दिनों गड़चिरोली के तत्कालीन अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक महेंद्र पंडित ने शराब की बिक्री के खिलाफ विशेष मोर्चा खोला था। जिसके बाद शराब बिक्री का प्रमाण काफी हद तक कम हो गया था, लेकिन उनके तबादले के बाद फिर एक बार शराब तस्करों ने जिले में अपनी जड़े मजबूत कर ली है। यही कारण है कि गड़चिरोली शहर के विभिन्न होटलों और पानठेलों में यह शराब बेची जा रही है। मात्र इस बिक्री के खिलाफ पुलिस विभाग द्वारा कोई विशेष मुहिम आरंभ नहीं किये जाने से शराब तस्करों का कारोबार और अधिक फलफूल रहा है। नकली शराब के सेवन से अब लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत परिणाम होने लगा है। फलस्वरूप सभी प्रकार की शराब पर यथाशीघ्र प्रतिबंध लगाने की मांग अब जोर पकडऩे लगी है।
निश्चित रूप से होगी कार्रवाई
कार्रवाई के दौरान जब्त की गई शराब और बैच नंबर जांच के लिए प्रयोगशाला में भेजा जाता है। प्रयोगशाला से रिपोर्ट प्राप्त होने तक नकली शराब की तस्करी होने की बात नहीं कह सकते। मगर प्रयोगशाला के माध्यम से नकली शराब की तस्करी होने की बात स्पष्ट हुई तो, निश्चित रूप से कार्रवाई की जाएगी।
- प्रदीप चौगांवकर, थानेदार, गड़चिरोली
मुक्तिपथ अभियान को भी नहीं मिली सफलता
महाराष्ट्र सरकार, टाटा ट्रस्ट और प्रसिद्ध समाजसेवी डा.अभय बंग के सर्च संस्था के माध्यम से विगत तीन वर्षों से गड़चिरोली जिले में मुक्तिपथ अभियान चलाया जा रहा है। अभियान के माध्यम से क्षेत्र में नशामुक्ति पर जनजागरण का कार्य किया जा रहा है। इसके अलावा गांव में शराबबंदी दल गठित कर कार्रवाई की जा रही है। इसके बावजूद गड़चिरोली शहर समेत आसपास के गांवों में अवैध शराब की बिक्री खुलेआम शुरू है। हालांकि, अभियान के कार्यकर्ताओं द्वारा लोगों को नशे से दूर रखने का निरंतर प्रयास किया जा रहा है, परंतु शराब के व्यवसाय में लिप्त बड़े तस्करों के खिलाफ किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं किए जाने से शराब तस्कर बेखौफ हुए है।
विधायक डा. होली की मांग को लेकर उठा बवाल
गड़चिरोली क्षेत्र के विधायक डा.देवराव होली ने गत दिनों एक टीवी चैनल के लाइव कार्यक्रम के दौरान शराबबंदी के विषय में अपने विचार रखते हुए गड़चिरोली की शराबबंदी रद्द करने की मांग की थी। जिसके बाद विपक्षी खेमे के नेताओं ने उनकी मांग पर जोरदार विरोध जताया था। ऐसे में विधायक होली ने एक पत्र परिषद के माध्यम से अपनी स्पष्टोक्ति देते हुए शराब बंदी न उठाते हुए इस पर संशोधन करने की मांग की। इस समय उनका भी यह मानना था कि, गड़चिरोली जिले में बड़े पैमाने पर नकली शराब की बिक्री हो रही हैं, जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर असर होने लगा है। वे स्वयं डाक्टर होने के कारण नकली शराब के सेवन से किस तरह मनुष्य को हानि पहुंच रही हैं, इसके संदर्भ में उन्होंने जानकारी साझा की थी। शराबबंदी के कानून पर संशोधन करने के लिए उन्होंने विधानसभा में मांग करने की भूमिका भी पत्रकारों के समक्ष रखी थी। मात्र उन्हीं के विधानसभा क्षेत्र में इन दिनों धड़ल्ले से हो रही शराब की बिक्री के कारण आश्चर्य व्यक्त हो रहा है।