वारिस के लिए ससुर से संबंध बनाने का दबाव, महिला ने खुद को जला लिया

वारिस के लिए ससुर से संबंध बनाने का दबाव, महिला ने खुद को जला लिया

Bhaskar Hindi
Update: 2019-07-29 07:28 GMT
वारिस के लिए ससुर से संबंध बनाने का दबाव, महिला ने खुद को जला लिया

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने अपने एक फैसले में स्पष्ट किया है कि केवल शारीरिक क्रूरता ही नहीं, बल्कि किसी के साथ की गई मानसिक क्रूरता भी उस व्यक्ति को जीवन में बड़ा विनाशक कदम उठाने के लिए प्रवृत्त कर सकता है। मानसिक रूप से बीमार पति और वारिस के लिए ससुर से संबंध बनाने का दबाव डालना, एक विवाहिता पर जघन्य मानसिक क्रूरता का उदाहरण है। हाईकोर्ट ने अपनी बहू  को आत्महत्या के लिए प्रवृत्त करने वाले अकोला के खड़की निवासी श्यामराव खेर्डेकर और कौशल्याबाई खेर्डेकर को निचली अदालत द्वारा दी गई सजा कायम रखते हुए जेल रवानगी के आदेश जारी किए। 

क्रूरता का शिकार हुई पीड़िता 

सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने निरीक्षण दिया कि उक्त घटना से पता चलता है कि एक नवविवाहिता को जब पता चलता है कि उसका पति मानसिक रूप से बीमार है, वारिस की चाह में उसे ससुर से संबंध बनाने के लिए प्रताड़ित किया जाता है, यह एक विवाहिता पर हुई सबसे भीषण मानसिक क्रूरता है। महज इसलिए कि आरोपियों की उम्र ज्यादा है और पीड़िता के निकटवर्ती रिश्तेदार अपने बयान से पलट गए, आरोपियों की सजा माफ नहीं की जा सकती। उनकी जघन्य क्रूरता साबित करता  पीड़िता का मृत्युपूर्व बयान उनकी सजा रखने के लिए काफी है। कोर्ट ने आरोपियों की सजा कायम रख कर उनकी अपील खारिज कर दी।  

दबाव डालने मार-पीट भी

पीड़िता का विवाह 12 मई 2005 को हुआ था। घटना के पांच माह बाद 6 अक्टूबर 2005 उसने स्वयं को आग लगा ली। अकोला की सिविल लाइंस पुलिस को इस घटना का पता चला तो पुलिस दल मौके पर पहुंचा। पुलिस उसे लेकर जिला अस्पताल पहुंची। चिकित्सकों की सलाह के बाद पुलिस ने उसका बयान दर्ज किया। उसने बताया कि जिस युवक से उसका विवाह कराया गया, उसका मानसिक संतुलन ठीक नहीं था। सास-ससुर उस पर ससुर के साथ संबंध बनाने के लिए दबाव डाल रहे थे, ताकि उनके परिवार को वारिस मिल सके। इससे वह काफी तनाव में थी। उसके साथ मार-पीट भी की गई थी।

आग लगा ली 

घटना के पूर्व उसकी सास उसे ठीक से खाना भी नहीं दे रही थी। सास-ससुर की प्रताड़ना से तंग आकर उसने खुद पर केरोसीन छिड़क कर आग लगा ली थी। बयान के बाद उसकी मृत्यु हो गई।  इसके बाद पुलिस ने सास-ससुर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। अकोला सत्र न्यायालय ने 9 नवंबर 2006 को दोनों को भादवि 498-ए, 306, 34  के तहत दोषी माना। ससुर को दो वर्ष और सास को 5 वर्ष की जेल की सजा सुनाई गई। दोनों ने इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी। मगर यहां पीड़िता की ओर के तीनों रिश्तेदार पलट गए।

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