8 साल बाद भी यूनाइटेड इंश्योरेंस कंपनी ने नहीं दिया बीमित को क्लेम

हमारी सुनवाई कहीं नहीं हो रही 8 साल बाद भी यूनाइटेड इंश्योरेंस कंपनी ने नहीं दिया बीमित को क्लेम

Bhaskar Hindi
Update: 2022-06-06 12:27 GMT
8 साल बाद भी यूनाइटेड इंश्योरेंस कंपनी ने नहीं दिया बीमित को क्लेम

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। पॉलिसी किस तरह से बेची जानी है इसके लिए कमीशन पर बीमा कंपनी एजेंट रख लेती है। एजेंट व बीमा कंपनी के कर्मचारी मिलकर आम लोगों को अनेक प्रकार से लाभ होने का दावा करते हैं। कंपनी के दोनों व्यक्तियों के द्वारा दिखाए गए लुभावने सपनों के सामने आम आदमी लालच में आ जाता है। प्रीमियम की राशि एजेंट व कंपनी के कर्मचारी चैक के माध्यम से प्राप्त कर लेते हैं। उसके बाद कभी बीमित को बीमा कंपनी के कैशलेस कार्ड की जरूरत होती है तो बीमा कंपनी नियमों का हवाला देकर आम उपभोक्ताओं को चक्कर लगाने इतना मजबूर कर देती है कि वे दोबारा पॉलिसी लेने से भी डरने लगे हैं। यह स्थिति किसी एक व्यक्ति के साथ नहीं, बल्कि सैकड़ों लोग बीमा कंपनी के गोलमाल के शिकार हो चुके हैं और कुछ कंज्यूमर फोरम में आवेदन दे चुके हैं तो कुछ ने बीमा लोकपाल के समक्ष अपनी शिकायत दी है।

इन नंबरों पर बीमा से संबंधित समस्या बताएँ-

इस तरह की समस्या यदि आपके साथ भी है तो आप दैनिक भास्कर के मोबाइल नंबर -9425324184, 9425357204 पर बात करके प्रमाण सहित अपनी बात रख सकते हैं। संकट की इस घड़ी में भास्कर द्वारा आपकी आवाज को खबर के माध्यम से उचित मंच तक पहुँचाने का प्रयास किया जाएगा।

सारे दस्तावेज जमा करने के बाद भी लगवाया जा रहा चक्कर-

अधारताल सीओडी कॉलोनी निवासी अंशु वर्मा ने अपनी शिकायत में बताया कि उसके पति महेन्द्र वर्मा बाइक से बाहर गए थे और 23 मई 2014 को वापस लौट रहे थे तभी बरगी के समीप सड़क हादसे का शिकार हो गए थे। हादसे में उनकी मौत हो गई थी। घटना के कुछ दिनों बाद वह मायके रीवा गोविंदगढ़ अमिलिकी चली गई थी। वहाँ से अपनी ससुराल भी आती-जाती रही और सारे दस्तावेजों के आधार पर बीमा कंपनी में क्लेम भी किया था। न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी में उसके द्वारा कई बार मेल किया गया और वह खुद ब्रांच में जाकर मिलकर आई, पर उसे सालों बीत जाने के बाद भी किसी तरह की राहत नहीं मिली। हर बार बीमा कंपनी के अधिकारी सारे दस्तावेज माँगते हैं और सत्यापित दस्तावेजों को लेने के बाद बीमा अधिकारी व टीपीए कंपनी के लोग भूल जाते हैं। पीड़िता का आरोप है कि उसके साथ पिछले 8 साल से गोलमाल किया जा रहा है। सारे दस्तावेज देने के बाद भी उन्हें चक्कर लगवाया जा रहा है। नॉमिनी होने के बाद भी मुझे क्लेम की राशि न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी के अधिकारी नहीं दे रहे हैं। वहीं न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी के अधिकारियों से संपर्क किया गया, पर उनके द्वारा किसी भी तरह का जवाब नहीं दिया जा रहा है।
 

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