मौत के 22 महीने बाद भी नहीं मिला परिजनों को क्लेम
सारे दस्तावेज देने के बाद भी नहीं हो रही सुनवाई मौत के 22 महीने बाद भी नहीं मिला परिजनों को क्लेम
डिजिटल डेस्क, जबलपुर। अनेक बीमा कंपनियों ने आम लोगों को लाभ पहुँचाने का दावा करते हुए कई योजना लॉन्च की। योजनाओं का लाभ लेने के लिए आम लोगों ने प्रीमियम भी जमा करना शुरू कर दिया, पर जब जरूरत पड़ी तो पॉलिसीधारकों को निराशा ही हाथ लगी। अस्पताल में कैशलेस नहीं करना। बीमित के द्वारा ठीक होने के उपरांत बिल व रिपोर्ट सबमिट की जाती है तो उसमें अनेक खामियाँ निकालकर भटकाना शुरू कर दिया जाता है। पॉलिसीधारक सभी कुछ सत्यापित कराकर जमा करता है तो क्लेम डिपार्टमेंट के अधिकारी उसमें नियमों का हवाला देकर नो क्लेम कर देते हैं। यहाँ तक की मौत होने के बाद नियम के तहत जो भुगतान बीमित के नॉमिनी को दिया जाना है वह भी बीमा कंपनी नहीं दे रही है। बैंकों के माध्यम से होने वाली प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना का भी लाभ नहीं दिया जा रहा है। पॉलिसीधारक के परिजन बीमा कंपनी व बैंक के अधिकारियों पर गोलमाल का आरोप लगा रहे हैं।
इन नंबरों पर बीमा से संबंधित समस्या बताएँ-
इस तरह की समस्या यदि आपके साथ भी है तो आप दैनिक भास्कर के मोबाइल नंबर -9425324184, 9425357204 पर बात करके प्रमाण सहित अपनी बात रख सकते हैं। संकट की इस घड़ी में भास्कर द्वारा आपकी आवाज को खबर के माध्यम से उचित मंच तक पहुँचाने का प्रयास किया जाएगा।
बैंक के माध्यम से कट रहा था प्रतिवर्ष प्रीमियम-
नगर निगम कम्पाउंड जबलपुर निवासी अमन कुमार बर्मन ने अपनी शिकायत में बताया कि उसके पिता दिनेश कुमार बर्मन का इंडियन बैंक में खाता है। उनके बैंक खाते से प्रतिवर्ष प्रीमियम कट रहा था। पॉलिसी के नियम के अनुसार बड़े हादसे में शारीरिक क्षति पहुँचती है या फिर मौत होती है तो नाॅमिनी को क्लेम दिया जाएगा, पर बीमित दिनेश कुमार का सितम्बर 2020 में निधन हो चुका है और महीनों बाद भी परिजनों को क्लेम नहीं दिया गया। प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना की पॉलिसी क्रमांक 900100003 के दस्तावेज के अनुसार सारी कार्रवाई करते हुए बैंक में नॉमिनी के द्वारा जमा किया जा चुका है, पर वहाँ से किसी भी तरह का सहयोग नहीं दिया जा रहा है। परिजनों का कहना है कि हमें महीनों से चक्कर लगवाया जा रहा है और जब भी जानकारी लेने जाते हैं तो वहाँ से सही जवाब ही नहीं मिलता है। इस मामले की वे बीमा कंपनी के अलावा बैंक के मुख्यालय में शिकायत कर चुके हैं, पर वहाँ से भी कोई जवाब नहीं आया। परिजनों का आरोप है कि हमारे साथ गोलमाल किया जा रहा है, वहीं इंश्योरेंस कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि बैंक अधिकारियों को ही पूरा प्रकरण बनाकर चेन्नई ऑफिस भेजना पड़ता है और वहाँ से ही नियमानुसार राशि स्वीकृत होकर आती है। बैंक के अधिकारी प्रकरण नहीं बनाएँगे तो क्लेम सेटल नहीं होगा।