निजी अस्पताल के तीसरे फ्लोर पर बंद कमरे में फंदे से लटका मिला ड्राइवर का कंकाल

बाहर से बंद था ताला, मामला संदिग्ध, पुलिस जांच में जुटी निजी अस्पताल के तीसरे फ्लोर पर बंद कमरे में फंदे से लटका मिला ड्राइवर का कंकाल

Bhaskar Hindi
Update: 2021-08-31 15:55 GMT
निजी अस्पताल के तीसरे फ्लोर पर बंद कमरे में फंदे से लटका मिला ड्राइवर का कंकाल



डिजिटल डेस्क दमोह। शहर के गार्डलाइन स्थित डॉ. अलका निखार के निजी नर्सिंग होम के तीसरे फ्लोर पर बने एक कमरे में फंदे पर ड्राइवर का कंकाल लटका मिलने से हड़कंप मच गया। मौके पर पहुंची पुलिस ने जब कमरा खुलवाया तो शव को देख उनके भी होश उड़ गए। मौके पर पहुंची एफएसएल टीम ने सूक्ष्म जांच के बाद शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा और अन्य टेस्ट भी लैब भेजे गए हैं। वहीं पुलिस ने प्रारंभिक पूछताछ के बाद मामले को विवेचना में लिया है।
बताया गया है कि गार्डलाईन स्थित डॉ. शैलेंद्र निखार मेमोरियल अस्पताल से मंगलवार की सुबह पुलिस के पास सूचना पहुंचती है कि अस्पताल के तीसरे फ्लोर पर बंद पड़े कमरे में फांसी के फंदे पर शव लटका हुआ है।  मौके पर सीएसपी अभिषेक तिवारी और कोतवाली स्टाफ एफएसएल डॉ. किरण राव के साथ पहुंचता है। जहां दरवाजा खोलने पर शव की स्थिति देखकर पुलिस भी दंग रह गई। शव पूरी तरह खोखला हो चुका था, रंग काला पड़ चुका था। मृतक के कपड़ों के आधार पर उसकी पहचान राजेश पिता पुरुषोत्तम अठ्या 35 वर्ष निवासी नरसिंहगढ़ के रूप में की गई। जो डॉ. निखार का ड्राइवर था। बाद में सूचना परिजनों को दी गई, जो भी मौके पर पहुंचे और पंचनामा बाद शव को उतारा गया।
अस्पताल का स्टोर रूम का ताला था बंद
सीएसपी अभिषेक तिवारी ने बताया कि तीसरे फ्लोर पर जिस कमरे में शव लटका मिला है, वह स्टोर रूम बताया गया है। जिसका ताला बाहर से बंद था। अस्पताल की ओर से बताया गया है कि कांच की खिड़की से भी कोई अंदर प्रवेश कर सकता है। जिसे भी नोट किया गया है। बताया गया है कि मंगलवार की सुबह कुछ सामग्री स्टोर रूम में रखने के लिए कर्मचारी गए थे। जिन्होंने सबसे पहले यह दृश्य देखा और डॉक्टर को सूचना दी। शव की स्थिति यह थी कि दुर्गंध से आसपास खड़ा होना भी मुश्किल थी। इसके बाद भी इतने समय से यहां शव लटका रहा, जो जांच का विषय है।
तीन महीने से लापता था राजेश
मौके पर नरसिंहगढ़ से पहुंचे परिजनों को जैसे ही घटना की जानकारी ली, उन्होंने अस्पताल प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाए। साथ ही अस्पताल में हंगामा भी किया। इस दौरान परिजनों के आरोप थे कि इतने दिनों से शव कमरे में लटका रहा और किसी को पता भी नहीं चला। बदबू भी नहीं आई? क्या वांकई कोई वहां नहीं जाता था। ऐसा कैसे संभव हो सकता है। दो दिन में भी शव की दुर्गंध को झेल पाना मुश्किल होता है। उन्होंने मामले में पुलिस से सूक्ष्म जांच करने की मांग की है। परिजनों ने बताया कि वह डॉ. निखार के यहां करीब 5 वर्ष से काम करते आ रहा था। मई के आखिर में वह लापता हुआ था। इसके बाद परिजनों ने जून में रिपोर्ट दर्ज भी कराई थी, लेकिन उसका कोई पता नहीं लग सका था। अस्पताल प्रबंधन ने भी उसकी जानकारी होने की बात कही थी। मृतक का शव भी लगभग इतना ही पुराना होना संभव है।
मौत की वजह नहीं स्पष्ट, पीएम रिपोर्ट के बाद होगा खुलासा
सीएसपी अभिषेक तिवारी ने बताया कि मृतक का शव हाइली डिकंपोज हो चुका हैं। जिसके कीड़े भी खत्म हो चुके थे। कंकाल की तरह ही शव बरामद किया गया है। ऐसे में उसकी मौत कैसे हुई, फिलहाल नहीं कहा जा सकता है। इसके लिए पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और एफएसएल की जांच महत्वपूर्ण होगी। जिसके बाद ही कुछ खुलासा संभव है। यह बात सही है कि तीन महीने से वह लापता था। जिसकी गुमसुदगी भी दर्ज है। इस बीच ऐसा क्या हुआ कि उसे आत्महत्या करनी पड़ी या साजिशन किसी ने वारदात की, यह सब विवेचना में सामने आएगा। परिजनों ने भी कुछ बातें बताई हैं, जिसके आधार पर भी जांच की जाएगी। तीन-चार क्लू शुरुआती जांच में मिले है, जो जांच में अहम भूमिका निभाएंगे।
बड़ा सवाल: इतने दिन क्यों नहीं आया नजर
इस मामले में सभी के दिमाग के एक सवाल बार-बार घर कर रहा है कि आखिर इतने दिन तक क्यों कुछ नजर नहीं आया? दरअसल, डॉ. अलका निखार के नर्सिंग होम में पहले और दूसरे फ्लोर में अधिकांश व्यवस्थाएं है। जिसमें दिन-रात मरीज और उनके परिजनों की मौजूदगी रहती है। अस्पताल के अनुसार तीसरे फ्लोर पर अस्पताल का कबाड़ और अतिरिक्त सामग्री का स्टेार रूम है, जिसमें शव मिला है। इसके अलावा अस्पताल का बॉयो वेस्ट भी  इसी फ्लोर पर एकत्रित किया जाता है। जिससे तय है कि रोजाना किसी न किसी का यहां जाना होता होगा। बदबू न आने के पीछे भी अस्पताल प्रबंधन ने यही तर्क दिया है कि कचरे से वैसे भी बदबू आती थी। इसीलिए ध्यान नहीं गया होगा। 

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