छतरपुर मेडिकल कॉलेज की डिजाइन फाइनल, बेहतरीन ऐलीवेशन और ग्रीन कैंपस पर फोकस
छतरपुर छतरपुर मेडिकल कॉलेज की डिजाइन फाइनल, बेहतरीन ऐलीवेशन और ग्रीन कैंपस पर फोकस
डिजिटल डेस्क, छतरपुर। छतरपुर मेडिकल कॉलेज की डिजाइन फाइनल हो गई है। इससे अब काम के रफ्तार पकड़ने की उम्मीद है। पीडब्ल्यूडी के पीआईयू ने कॉलेज की ड्राइंग और डिजाइन को फाइनल कर दिया है। सागर के बाद यह बुंदेलखंड का दूसरा मेडिकल कॉलेज होगा। गोरगांय स्थित कैंपस में 216 करोड़ रुपए की लागत से 11 बिल्डिंग का निर्माण होना है। खास बात है कि यह ग्रीन कैंपस होगा। पानी को री-यूज करने के लिए सीवर ट्रीटमेंट प्लांट बनाने की योजना है। इससे न सिर्फ मरीजों और उनके परिजनों को शुद्ध हवा मिलेगी, बल्कि पानी की दिक्कत से भी नहीं जूझना पड़ेगा। कॉलेज परिसर के चारों तरफ हरियाली की चादर बिछेगी। बिजली समस्या से निजात पाने सोलर सिस्टम लगेगा। बिल्डिंग पूरी तरह से इको फ्रेंडली रहेगी।
कॉलेज निर्माण का ठेका गुजरात की कंपनी जेपी इंफ्रा को दिया है। कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि पीआईयू ने डिजाइन उपलब्ध करा दी है। अब काम में तेजी आएगी। पीआईयू ने मेडिकल कॉलेज के निर्माण के लिए अक्टूबर महीने निविदा जारी की थी। इसके लिए 216.74 करोड़ रुपए का टेंडर जारी किया था। ठेका 18 प्रतिशत बिलो पर गया है। पीआईयू के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर मयंक शुक्ला ने बताया कि कॉलेज परिसर में बाउंड्रीवॉल, सीवर लाइन और पेयजल लाइनों का नेटवर्क भी विकसित किया जाएगा। इसके अलावा कॉलेज की मुख्य बिल्डिंग, स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स, गर्ल्स हॉस्टल, ब्वॉयज हॉस्टल, प्रोफेसर क्वार्टर, रेसीडेंट डॉक्टर हॉस्टल, इंटर्न्स हॉस्टल, कमर्शियल सेंटर, फायर फिटिंग आदि बनाए जाएंगे। लाइट के लिए सोलर सिस्टम के उपयोग के अलावा नेचुरल वेंटीलेशन होंगे।
सामने से कुछ ऐसा लगेगा हमारा मेडिकल कॉलेज-
मेडिकल कॉलेज 100 सीटर होगा। इसके एलीवेशन का डिजाइन अत्यंत सुंदर और आधुनिक है। इसके बन जाने से छतरपुर, पन्ना, महोबा, बांदा, टीकमगढ़ सहित एमपी-यूपी के कई गांवों के लोगों को फायदा मिलेगा। अभी यहां के लोगों को सागर, झांसी या ग्वालियर जाना पड़ता है। मेडिकल कॉलेज भवन का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद एडमिशन की प्रक्रिया शुरू होगी। पहले 2023 के अंत तक भवन निर्माण पूरा किए जाने के निर्देश दिए गए थे। इसके तहत वर्ष 2024 के सत्र से एडमिशन प्रारंभ होने की उम्मीद थी, लेकिन ड्राइंग और डिजाइन तैयार होने में लंबा समय लग गया। ऐसे में एडमिशन प्रक्रिया शुरू होने में संशय है। भवन निर्माण होते ही स्टाफ की नियुक्ति और एडमिशन की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।
155 टीचिंग स्टाफ की जरूरत रहेगी-
जानकारों का कहना है कि मेडिकल कॉलेज के संचालन के लिए 1200 कर्मचारियों की नियुक्ति जरूरी है। इसमें 155 टीचिंग स्टाफ रहना चाहिए। इनमें लैक्चरर और प्रोफेसर शामिल हैं। इसके अलावा पैरामेडिकल स्टाफ, क्लेरिकल और चतुर्थ श्रेणी स्टाफ भी रहेगा। बताया जाता है कि मेडिकल कॉलेज की ड्राइंग दिल्ली की एक निजी फर्म से तैयार कराई गई है। इसकी डिजाइन सतना मेडिकल कॉलेज से मिलती-जुलती रह सकती है।
डीन की नियुक्ति का इंतजार-
मेडिकल कॉलेज निर्माण संबंधी सभी औपचारिकताएं पूरी हो चुकी हैं। अब डीन की नियुक्ति का इंतजार है। पहले बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के डीन को ही चार्ज दिया गया था। बाद में वापस ले लिया गया। चिकित्सा शिक्षा विभाग के सूत्रों के मुताबिक डीन की नियुक्ति का मामला लंबित है। एक-दो महीने में नियुक्ति कर दी जाएगी।
भास्कर री-कॉल: 2018 में मिली थी मंजूरी-
वर्ष 2018 में विधानसभा चुनाव के पहले भाजपा सरकार ने आनन-फानन में छतरपुर में मेडिकल कॉलेज की स्वीकृति दी थी। उस समय कैबिनेट ने 300 करोड़ रुपए का बजट भी जारी कर दिया था। तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान ने गौरगांय में मेडिकल कॉलेज निर्माण की आधारशिला रख दी थी। इसके बाद सरकार बदल गई और कॉलेज का मामला उलझ गया था। दोबारा फिर भाजपा के सत्ता में आने के बाद मेडिकल कॉलेज निर्माण की प्रक्रिया आगे बढ़ी है।