कृषि कानून रद्द करने मांग को लेकर वंचित बहुजन आघाडी ने खोला मोर्चा, TIME मैगजीन के कवर पर आंदोलन- हुए 100 दिन पूरे
कृषि कानून रद्द करने मांग को लेकर वंचित बहुजन आघाडी ने खोला मोर्चा, TIME मैगजीन के कवर पर आंदोलन- हुए 100 दिन पूरे
डिजिटल डेस्क, माजलगांव। केंद्र सरकार के तीन काले कृषि कानून के विरोध में वंचित बहुजन आघाडी ने महाराष्ट्र के कई हिस्सों में मोर्चा खोल दिया। इसी कड़ी में माजलगांव में कार्यकर्ता जुटे। शुक्रवार को वंचित बहुजन आघाडी ने धरना दिया। इस दौरान कृषि कानून का जमकर विरोध हुआ, सभी ने कानून रद्द करने की मांग की। कार्यकर्ताओं ने उपविभागीय अधिकारी कार्यालय के सामने आंदोलन कर ज्ञापन सौंपा। जिसमें कहा गया है कि किसानों के लिए तीन नए कानून पेश किए गए हैं, जो बात तो सुधार की कर रहे हैं, लेकिन पर्दे के पीछे से इसका सीधा फायदा बड़ी कंपनियों को दिखता नजर आ रहा है। जिससे निजी कंपनियां जमकर मुनाफ़ा उठाएंगी, तो किसानों को इसका लाभ नहीं होगा। आंदोलन का नेतृत्व वंचित बहुजन आघाडी के जिलाध्यक्ष धम्मानंद सालवे ने किया। इस मौके पर अंकुश जाधव, भारत तांगडे, लक्ष्मण जाधव, विठ्ठल पंडीत, प्रशांत बोराडे, शञुघ्न कसबे, संजय फंदे, बालासाहब गायसुमुद्रे, राजेश विघ्ने सहित साथी कार्यकर्ता मौजूद थे।
दुनियां भर में कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलनों को और हवा मिली। आंदोलन में शामिल महिलाओं को टाइम (TIME) मैगजीन ने अपने कवर पेज पर छापा है। टाइम मैगजीन ने इंटरनेशल कवर भारत की उन महिलाओं को समर्पित किया, जो दिल्ली सीमा पर प्रदर्शन का नेतृत्व कर रही हैं।टैगलाइन में लिखा है कि मुझे डराया-धमकाया नहीं जा सकता और मुझे खरीदा नहीं जा सकता।
किसान आंदोलन के प्रदर्शन स्थल गाजीपुर बॉर्डर के एक हिस्से को खोलने के बाद फिर बंद कर दिया गया था। ट्रैक्टर परेड के दौरान इस मार्ग को बंद किया गया था।
दिल्ली में किसान आंदोलन के 100 दिन
उधर किसान आंदोलन की बात करें तो दिल्ली के बॉर्डर पर आंदोलन के 100 दिन पूरे हो गए हैं। इस दौरान मौसम से लेकर हालात सब कुछ बदले, कई उतार चढ़ाव के बावजूद किसानों का रुख नहीं बदला है। सिंघू बॉर्डर से लेकर टीकरी बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर भी किसानों का जमावड़ा लगा है, यहां टेंट बढ़ते - घटते हैं।