कोरोना : निचली अदालत में सोशल डिस्टेंसिंग के प्रबंध से संतुष्ट नहीं हैं, चाहते हैं ऑनलाइन व्यवस्था
कोरोना : निचली अदालत में सोशल डिस्टेंसिंग के प्रबंध से संतुष्ट नहीं हैं, चाहते हैं ऑनलाइन व्यवस्था
डिजिटल डेस्क, नागपुर। कोरोना संक्रमित आरोपी की कोर्ट में पेशी के बाद 2 जेएमएफसी कोर्ट के कुल 23 कर्मियों पर कोरोना की जांच कराने की घटना के बाद जिला व सत्र न्यायालय में वकालत करने वाले वकीलों में संक्रमण का डर फैल गया है। कोर्ट जाकर वीडियो कांफ्रेंसिंग करने की जगह वे हाईकोर्ट की तरह घर या दफ्तर में बैठकर वीडियो कांफ्रेंसिंग से सुनवाई करना चाहते हैं। फिलहाल जिला व सत्र न्यायालय में ऐसी व्यवस्था है कि वकीलों को युक्तिवाद के लिए कोर्ट रूम के अंदर जाना पड़ता है, न्यायाधीश अपने चेंबर में बैठ कर वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए वकीलों से संवाद करते हैं। ऐसे में न्यायधीशों और वकीलों को एक ही इमारत में दाखिल होना पढ़ रहा है। जिला न्यायालय में सोशल डिस्टेंसिंग के प्रबंध से नाराज वकीलों ने दैनिक भास्कर से बातचीत में अपनी बात रखी है।
व्यवस्था पर्याप्त नहीं
कोर्ट में सोशल डिस्टेंसिंग के लिए जो व्यवस्था की गई है वह नाकाफी हैं। वीडियो कांफ्रेंसिंग से सुनवाई के लिए तो कोर्ट जाना ही पड़ता है। लिफ्ट छोटी है, सार्वजनिक शौचालय में भी बहुत भीड़ होती है। प्रत्यक्ष कोर्ट का कामकाज शुरू करना मतलब सबकी जान कोरोना के खतरे मंे डालने जैसा है। ऐसी स्थिति में वीडियो कांफ्रेंसिंग को और ज्यादा प्रभावी बनाने की जरूरत है। हाईकोर्ट की तरह निचली कोर्ट के पास पर्याप्त सेट-अप है, उसका उचित उपयोग नहीं हो रहा है।
- एड.आकाश गुप्ता
पक्षकारों की एंट्री से बढ़ी भीड़
मैं सुनवाई के लिए कोर्ट जाता हूं। 1 जून से जैसे ही अन-लॉक हुआ सारी सोशल डिस्टेंसिंग चौपट हो गई। पक्षकारों को भी कोर्ट के अंदर प्रवेश दे दिया गया। इससे कोर्ट में बहुत भीड़ इकट्ठा हो गई। स्थिति इतनी बुरी थी कि मैं अपने दो मामलों की सुनवाई छोड़ कर घर लौट आया, क्योंकि मुझे चिंता सताने लगी कि यदि इस भीड़ में कोई संक्रमित हुआ, तो मेरे द्वारा कहीं मेरा परिवार संक्रमित न हो जाए। हमने कई बार पक्षकारों की एंट्री देने के लिए बार एसोसिएशन से विनती की, लेकिन हल नहीं निकला। पक्षकारों को अंदर प्रवेश मिलना ही नहीं चाहिए, वहां उनका कोई काम नहीं है।
- एड.फैजल शेख
पहले प्रबंध किए जाएं
प्रत्यक्ष सुनवाई तभी शुरू हो सकती है, जब आपके पास सोशल डिस्टेंसिंग और कम से कम कर्मचारियों के काम करने का प्रबंध हो। हाल ही में दो जेएमएफसी कोर्ट के जजों और कर्मियों को कोरोना जांच करानी पड़ी। इससे पता चला कि एक कोर्ट में करीब 8 लोग काम कर रहे थे। इससे तो कोरोना फैलने का खतरा ज्यादा है। इसकी जगह ज्यादा से ज्यादा एक जज के साथ दो कर्मचारी के साथ कामकाज चल सके, तो ही सुनवाई के लिए वकीलों को कोर्ट बुलाएं वरना नहीं।
-एड. विश्वजीत ओबेरॉय
वीडियो कांफ्रेंस कारगर
जिला व सत्र न्यायालय बहुत बड़ी इमारत है। यहां बहुत से कोर्ट और काफी संख्या में कर्मचारी कार्यरत हैं। ऐसे में यहां प्रत्यक्ष सुनवाई से कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है। यहां अगर एक भी इंसान संक्रमित हुआ, तो इसका खतरा सब पर आ जाएगा। कोरोना पर नियंत्रण लगने तक जिला न्यायालय की सुनवाई जजों, वकीलों और कर्मचारियों तक ही सीमित रखनी चाहिए। मैंने वीडियो कांफ्रेंसिंग से सुनवाई में हिस्सा लिया है। वह प्रणाली बहुत कारगर है। इसे और अधिक विस्तार देने की जरुरत है।
- एड. यशस्विनी ओझा