धान रिजेक्ट करने की साजिश में मिलर्स और सर्वेयरों की सांठगांठ, नान की भूमिका संदिग्ध
धान रिजेक्ट करने की साजिश में मिलर्स और सर्वेयरों की सांठगांठ, नान की भूमिका संदिग्ध
-किसानों को किनारे लगाने के लिये मिलर्स ने सर्वेयरों के साथ मिलकर बनाई योजना
-जिले में अब तक 11 हजार 230 क्विंटल धान के पास और फेल करने का हुआ खेल
डिजिटल डेस्क सिंगरौली (वैढऩ)। जिले में नान, मिलर्स और सर्वेयरों की जुगलबंदी से किसानों की धान को पास और फेल करने का खेल शुरू हो गया है। बताया जाता है कि जिले में धान के उपार्जन की शुरूआत के साथ ही मिलर्स ने सर्वेयरों से संपर्क कर किसानों की धान को अमानक बताकर रिजेक्ट करने की साजिश रची है। इसके चलते जिले में सर्वेयरों ने मिलर्स की सांठगांठ से अब तक किसानों की 11 हजार 230 क्विंटल धान को रिजेक्ट करवाकर अपना असली मकसद पूरा कर लिया है। मिलर्स की इस साजिश में नागरिक आपूर्ति निगम के जिला प्रबंधक की भूमिका भी संदिग्ध बताई जा रही है। जानकारों का कहना है कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली में मिलर्स और नान द्वारा घटिया चावल खपाने की योजना को अंजाम देने के किसानों के खिलाफ यह साजिश रची है। इसके चलते जिलेभर की समितियों में किसानों की उपज को पास और फेल करने का खेल चल रहा है। बताया जाता है कि नागरिक आपूर्ति निगम, मिलर्स और सर्वेयरों की इस साजिश से अन्नदाता हताश और निराश होने लगा है।
केन्द्रों में धान की सफाई के लिये पंखे तक नहीं
जिले में 16 नवंबर से धान की सरकारी खरीदी शुरू होने के बाद भी अब तक एक दर्जन केन्द्रों में किसानों को उपज की सफाई के लिये पंखे तक नसीब नहीं हो पाये हैं। इसी का फायदा उठाकर सर्वेयर मिलर्स के इशारे पर किसानों की धान को धड़ाधड़ रिजेक्ट कर रहे हैं। बताया कि जिले के एक दर्जन समितियों के प्रबंधक भी मिलर्स की शह पर किसानों की कमर तोड़ रहे हैं। इन हालातों के बाद भी जिले में सरकारी खरीदी में निगरानी रखने वाली टीम केवल जांच के नाम पर औपचारिकता पूरी कर रही है।
दवाब बनाने तक सीमित डीएसओ की जांच
जिले में सरकारी खरीदी में दलाल और बिचौलियों की खुलेआम घुसपैठ के बाद भी डीएसओ बालेन्द्र शुक्ला की जांच अब तक समितियों पर दबाव बनाने तक सीमित रही है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार डीएसओ अपना असली मकसद पूरा करने के लिये जांच के नाम पर खानपूर्ति कर रहे हंै। जांच टीम की अनदेखी के चलते जिले के किसान बिचौलियों और दलालों के हाथ लुटने के लिये मजबूर हंै। ऐसी गंभीर स्थिति के बाद भी प्रशासन की खामोशी सवालों के घेरे में है।
आखिरी क्यों रचा षडयंत्र?
जिले में 1 लाख मैट्रिक टन धान का उपार्जन होने के लक्ष्य की जानकारी के सामने आने के बाद मिलर्स के मंसूबों पर पानी फिर गया है। बताया जाता है कि नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारियों की मौन स्वीकृति के चलते मिलर्स और सर्वेयर मिलकर किसानों के साथ छल करने का षंडयंत्र रचा है। जानकारों का कहना है कि जिले के किसानों की बड़ी मात्रा में धान रिजेक्ट होने के बाद मिलर्स छत्तीसगढ़ और यूपी के घटिया चावल को पीडीएस में खपाने में कामयाब हो जायेंगे। इस साजिश के चलते अन्नदाता जहां टूट जायेगा, वहीं अधिकारी और मिलर्स मालामाल होंगे।
नोडल के संरक्षण से परिवहन ठेकेदार बेलगाम
जिले में 2514 किसानों से 83 हजार 203 क्विंटल धान का उपार्जन होने के बाद भी परिवहन ठेकेदार ने केन्द्रों से उपज का उठाव नहीं किया है। इसके चलते जिले में परिवहन का ग्राफ 70 फीसदी से आगे नहीं बढ़ पाया है। जानकारों का कहना है कि नोडल अधिकारी गुलजारी लाल के भाई संत्री प्रसाद का ठेका होने कारण ठेकेदार बेलगाम हो गया है। इसी के चलते धान के उपार्जन के बाद भी परिवहन का ग्राफ तेजी से नीचे गिरने लगा है। इसके बावजूद जिला प्रशासन के अधिकारी परिवहनकर्ता की मनमानी पर चुप्पी साधे हुये हैं।
सिर्फ बैनर और पोस्टर में कैंटीन संचालित
कलेक्टर के आदेश के बाद खरीदी केन्द्रों सिर्फ बैनर और पोस्टर में कैंटीन संचालित हो पाई है। हालात यह कि केन्द्रों में उपज लेकर पहुंचने वाले किसानों को बैठने के लिये दरी, पेयजल और भोजन अब तक नसीब नहीं हो पाया है। जिले की समितियों की लगातार अराजकता जारी होने के बाद भी जनप्रतिनिधि खामोश हैं।
इनका कहना है
मिलर्स और सर्वेयरों की मीटिंग कर किसानों की धान को रिजेक्ट करने का मामला आपके माध्यम से संज्ञान में आया है। यदि किसी ने भी किसानों के साथ साजिश की तो उसे बक्शा नहीं जायेगा। धान की खरीदी की लगातार मॉनीटिंग की जा रही है। यदि केन्द्रों में किसानों की सुविधा के लिये व्यवस्था नहीं की है तो इसे शीघ्र कराया जायेगा।
-राजीव रंजन मीना, कलेक्टर