देश में पेय जल संकट पर संसद में चिंता - विदर्भ, बुंदेलखंड जैसे इलाकों की हालत खराब

देश में पेय जल संकट पर संसद में चिंता - विदर्भ, बुंदेलखंड जैसे इलाकों की हालत खराब

Bhaskar Hindi
Update: 2019-06-24 14:05 GMT
देश में पेय जल संकट पर संसद में चिंता - विदर्भ, बुंदेलखंड जैसे इलाकों की हालत खराब

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश सहित कई राज्यों में पीने के पानी के संकट पर सोमवार को राज्यसभा में चिंता जाहिर की गई। विभिन्न दलों के सांसदों ने सरकार से आग्रह किया कि पेयजल संकट को वह गंभीरता से ले और इस समस्या के समाधान के लिए दीर्घकालीन उपाय करे। राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने इस मसले को काफी गंभीर मानते हुए सदस्यों को सलाह दी कि इस पर अल्पकालिक चर्चा के लिए माननीय सदस्य नोटिस दें। 

भाजपा सांसद डॉ सत्यनारायण जटिया ने आज राज्यसभा में देश में पीने के पानी की कमी का मसला उठाया और कहा कि इस संकट से सभी नागरिक त्रस्त हैं। उन्होने कहा कि मध्यप्रदेश का बुंदेलखंड का इलाका हो या फिर महाराष्ट्र का विदर्भ-मराठवाड़ा, यहां पीने के पानी की समस्या विकराल रूप धारण किए हुए है। उन्होने कहा कि इस समस्या के समाधान के लिए नवगठित जल शक्ति मंत्रालय को विशेष फोकस करना होगा। उन्होने कहा कि महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, उत्तरप्रदेश, झारखंड जैसे राज्यों में यह समस्या भयावह है। उन्होने कहा कि उत्तर, दक्षिण, पूर्व और मध्य क्षेत्र में ऐसे पांच प्रोजेक्ट बनाए जाएं जो नदियांे को जोड़ने के लिए हों और उनके माध्यम से हम अपने अधिकतम पानी का उपयोग पीने के लिए और कृषि के लिए कर सकें। 

भाजपा सांसद सरोज पांडेय ने जल संकट से निपटने के लिए जल संरक्षण पर जोर दिया और कहा कि इसके लिए जरूरी है कि जन जागरण चलाया जाए। सपा के रेवती रमण सिंह ने कहा कि आज पूरे देश में पानी का संकट गंभीर रूप अख्तियार कर चुका है। उन्होने मांग की कि सरकार इस मामले में तत्काल कार्रवाई करे और पानी की समस्या का समुचित हल निकालने का प्रयास करे। सांसद डॉ अशोक बाजपेयी, शांता छेतरी ने भी इस मसले पर अपने विचार रखे।

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