अगले महीने हो सकते हैं नगर परिषद चुनाव, जिप व पंस चुनाव फरवरी में होने की उम्मीद
वर्धा अगले महीने हो सकते हैं नगर परिषद चुनाव, जिप व पंस चुनाव फरवरी में होने की उम्मीद
डिजिटल डेस्क, वर्धा. जिले की छह नगर पालिका के साथ ही जिला परिषद व पंचायत समितियों में कई महीने से प्रशासकों की नियुक्ति की गई है। इस कारण इस चुनाव की ओर सभी की नजरें लगी हैं। लिहाजा पहले चरण में नगर परिषद चुनाव की तैयारी राज्य चुनाव आयोग की ओर से की जा रही हैं। प्रभाग रचना व मतदाता सूची इसके पहले ही अंतिम रूप से प्रसिद्ध किए जाने के कारण दिसंबर महीने में नगर परिषदों के चुनाव होने की संभावना है। उसके बाद जिला परिषद के चुनाव होंगे। जिला परिषद व पंचायत समितियों में 21 मार्च से प्रशासक की नियुक्ति की गई है। लिहाजा नगर परिषद के चुनाव बाद जिला परिषद के चुनाव होने की संभावना है। अगले वर्ष के जनवरी महीने के अंत में तथा फरवरी महीने में जिला परिषद व पंचायत समिति के चुनाव होने की संभावना है। फरवरी व मार्च महीने से दसवीं व बारहवीं के बोर्ड की परीक्षा आरंभ होती है। उस समय चुनाव के लिए प्रशासकीय विभाग कम पड़त है। मतदान केंद्रों की समस्या निर्माण होती हैं। उसके बाद कड़ी धूप व उसके बाद बरसात के कारण चुनाव लेना संभव नहीं होता। इस कारण दिसंबर से अगले महीने के फरवरी के मध्याह्न तक नगर परिषद व जिला परिषद, पंचायत समितियों के चुनाव निपटाने पर ग्राम विकास विभाग विचार कर रहा है। मार्च महीने के बाद पुन: समय समाप्त होनेवाली व नए सिरे से निर्मित ग्राम पंचायतों के चुनाव होने की जानकारी है। इस कारण किसी भी समय नगर परिषद के चुनाव किसी भी समय घोषित किए जा सकते हैं। इस प्रकरण में 17 नवंबर के सुप्रीम कोर्ट में होनेवाली सुनवाई की ओर सभी का ध्यान लगा हैं।
महाआघाड़ी को लेकर कश्मकश
शिवसेना, कांग्रेस व राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने गत विधानसभा चुनाव के बाद महाविकास आघाड़ी की स्थापना कर सरकार बनाई थी। जिला परिषद, पंचायत समिति व नगर परिषद का चुनाव कार्यकर्ता का होता है। कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले व राकांपा के नेता पूर्व उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने चुनाव के संदर्भ में अपना वक्तव्य दिया है। शिवसेना में दो गुट हुए हैं। इस कारण उद्धव ठाकरे की शिवसेना के अपनी ताकत दिखानी है। वहीं मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का गुट भाजपा के साथ जाना तय माना जा रहा है। इधर राजनीतिक जानकारों का मानना है कि बगावत की आशंका को देखते हुए महाविकास आघाड़ी के घटक दल स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ेंगे। इस कारण महाविकास आघाड़ी होगी या स्वतंत्र चुनाव लड़ा जाएगा, यह सवाल पूछा जा रहा है।