BMHRC को एम्स में विलय करने पर निर्णय ले केन्द्र सरकार- हाईकोर्ट का निर्देश
BMHRC को एम्स में विलय करने पर निर्णय ले केन्द्र सरकार- हाईकोर्ट का निर्देश
डिजिटल डेस्क, जबलपुर। हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार को निर्देश दिया है कि भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर (बीएमएचआरसी) को एम्स में विलय करने पर निर्णय करें। जस्टिस आरएस झा और जस्टिस संजय द्विवेदी की युगल पीठ ने यह निर्देश केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की संसदीय समिति के सुझाव पर दिए हैं।
गैस पीड़ितों को इलाज नहीं मिल पा रहा
भोपाल गैस पीड़ित महिला कल्याण संगठन की ओर से दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि बीएमएचआरसी में गैस पीड़ितों को इलाज नहीं मिल पा रहा है। अस्पताल में उपकरण तो हैं, लेकिन इलाज के लिए डॉक्टर और अन्य स्टाफ नहीं है। इस संबंध में आज मॉनीटरिंग कमेटी ने अक्टूबर से दिसंबर 2018 की रिपोर्ट पेश की। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में सुझाव दिया कि बीएमएचआरसी में व्याप्त कमियों को दूर किया जाए।
कैशलेस इलाज का सुझाव
समिति ने सुझाव दिया कि जिन मरीजों को इलाज बीएमएचआरसी में नहीं हो पाता है, उन मरीजों को कैशलेस इलाज की सुविधा प्रदान की जाए। युगल पीठ ने अपने आदेश में कहा कि कैशलेस इलाज के संबंध में यदि केन्द्र और राज्य सरकार को किसी भी प्रकार की दिक्कत आती है तो वह कोर्ट में आवेदन दायर कर इस संबंध में दिशा निर्देश ले सकती है।
आदेश के बाद भी नहीं हो रही नियुक्ति
वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ और अधिवक्ता राजेश चंद ने तर्क दिया कि कोर्ट के आदेश के बाद भी बीएमएचआरसी में डॉक्टरों और अन्य स्टाफ की नियुक्ति नहीं की जा रही है। इसकी वजह से मरीजों को बेहतर इलाज नहीं मिल पा रहा है। इस संबंध में मॉनीटरिंग कमेटी ने भी सुझाव दिया है।
बीएमएचआरसी के पास बेहतर संसाधन
युगल पीठ को बताया कि बीएमएचआरसी के पास बेहतर संसाधन हैं। एम्स के पास अच्छे डॉक्टर और स्टाफ है। इस संबंध में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की संसदीय समिति ने सुझाव दिया है कि बीएमएचआरसी को एम्स में विलय कर देना चाहिए, ताकि मरीजों को बेहतर सुविधा मिल सके। युगल पीठ ने केन्द्र सरकार को निर्देश दिया है कि बीएमएचआरसी को एम्स में विलय करने पर निर्णय लिया जाए। केन्द्र सरकार की ओर से अधिवक्ता विक्रम सिंह ने पक्ष रखा। याचिका की अगली सुनवाई जुलाई के पहले सप्ताह में नियत की गई है।